Wednesday, January 22, 2025
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कंटेनमेंट जोन के बाहर आंगनवाड़ी केंद्रों को फिर से खोलने का SC ने दिया आदेश

महामारी के प्रभाव को रोकने कार्यपालिका, न्यायपालिका व कोरोना वॉरियर्स का महत्वपूर्ण योगदान:भावनानी

गोंदिया, महाराष्ट्र| वैश्विक महामारी कोविड.19 को नियंत्रण में लाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास जारी हैं। भारत में दो वैक्सीन आ गई है। 16 जनवरी 2021 से पूरे देश में प्रथम चरण में 3 लाख कोरोना वॉरियर्स को वैक्सीन लगाने का लगाने काम शुरू हो चुका है। पहले दिन ही करीब 2 लाख के क़रीब लोगों को वैक्सीन सफलतापूर्वक लगाया गया है। जो कि पहले चरण का कार्य अभी जारी है। परंतु फिर भी अत्यंत सावधानी बरतने व सुरक्षात्मक प्रक्रिया को जारी रखना जरूरी है। खास करके छोटे बच्चों के लिए क्योंकि उनको वैक्सीन लगाने की फिलहाल कोई जानकारी या प्रक्रिया की घोषणा नहीं हुई है। अतः केंद्र, राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों को इस संबंध में कार्यनीति बनाना, तथा बच्चों को सुरक्षा, खाद्यपान इत्यादि उपलब्ध कराना उनतक पहुंचाना अनिवार्य है। जिनका उल्लेख राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षाअधिनियम 2013 में भी किया गया है। खासकर वर्तमान स्थिति में तो बहुत ही जरूरी हो गया है। इसी विषय से संबंधित माननीय सुप्रीम कोर्ट में बुधवार दिनांक 13 जनवरी 2021 को माननीय 3 सदस्यों की एक बेंच जिसमें माननीय न्यायमूर्ति अशोक भूषण, माननीय न्यायमूर्ति सुभाष रेड्डी व माननीय न्यायमूर्ति एम आर शाह की बेंच के सम्मुख रिट पिटिशन क्रमांक सिविल 1039/ 2020 याचिकाकर्ता बनाम भारत सरकार व अन्य के रूप में आया। माननीय बेंच ने अपने 31 पृष्ठोंऔर 35 पॉइंटों में अपने आदेश में कहा भारत सरकार के मंत्रालय महिला व बाल कल्याण विभाग द्वारा बुधवार दिनांक 11 नवंबर 2020 को जारी गाइड्स नोट के अनुसार सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों में जहां पर अभी आंगनवाड़ी शुरू नहीं की है। 31 जनवरी 2021 तक या इसके पूर्व कंटेनमेंट जोन के बाहर शुरू करें और नहीं करने का निर्णय केवल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के परामर्श के बाद ही लेंगे,आदि अनेक प्वाइंटों में आदेश जारी किया और बिना कॉस्ट के पिटिशन को डिस्पोज कर दिया। बेंच ने कहा कि केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 की वैधानिक आवश्यकताओं के अनुसार बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषण संबंधी सहायता प्रदान करने के लिए नियंत्रण क्षेत्र के बाहर स्थित आंगनवाड़ी केंद्रों को फिर से खोलेंए। जो महामारी के कारण बंद हैं।अदालत ने हालांकि निर्देश दिया कि नियंत्रण क्षेत्र के बाहर स्थित किसी भी क्षेत्र में क्षेत्र के बाहर स्थित किसी भी क्षेत्र में आंगनवाड़ी केंद्रों को नहीं खोलने का निर्णय राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उचित परामर्श के बाद ही लिया जा सकता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि नियंत्रण क्षेत्र के बाहर स्थित किसी भी क्षेत्र में क्षेत्रों के अंदर स्थित कोई भी आंगनवाड़ी केंद्र नहीं खोला जाएगा। न्यायालय ने उत्तरदाताओं को अधिनियम का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक जिले में एक शिकायत निवारण तंत्र बनाने का भी निर्देश दिया। 6 महीने से 6 साल की उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषण मानकों को प्रदान करने वाले अधिनियम की अनुसूची का विश्लेषण करते हुए पीठ ने कहा कि बच्चे अगली पीढ़ी हैं। इसलिए जब तक बच्चों और महिलाओं को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता है। यह अगली पीढ़ी और अंततः पूरे देश को प्रभावित करेगा।कोई भी संदेह नहीं कर सकता है। कि बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं। उन्हें पर्याप्त पोषण प्रदान करने में कुछ कंजूसी की जाती है। तो एक पूरे देश के रूप में हम भविष्य में उनकी क्षमता का लाभ लेने के से वंचित रहेंगे।पीठ ने कहा कि यह केंद्र और राज्यों का एक वैधानिक दायित्व है कि वह गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषण संबंधी सहायता प्रदान करें, बच्चों को पोषण संबंधी सहायता प्रदान करें और कुपोषण से पीड़ित बच्चों की पहचान करने और उन्हें भोजन उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाएं।पीठ ने कहा, अधिनियम 2013 की धारा 4,5 और 6 के तहत लगाए गए वैधानिक दायित्व को लागू करने के लिए केंद्र के साथ.साथ राज्य भी वैधानिक रूप से बाध्य हैं। पोषण संबंधी मानकों के लिए पोषण संबंधी समर्थन की आवश्यकता है जो पहले से ही अधिनियम 2013 की अनुसूची  में निर्धारित किए गए हैं।और सभी राज्य केंद्रशासित क्षेत्र ऐसी योजना को लागू करने के लिए बाध्य हैं और अनुसूची प्प् का अनुपालन किया जाना है। कोर्ट ने निर्देश जारी किए|{1} भारत सरकार महिला और बाल विकास मंत्रालय सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश,जिन्होंने अभी तक आंगनवाड़ी केंद्र नहीं खोले हैं। वे नियंत्रण क्षेत्र से बाहर आंगनवाड़ी केंद्रों को खोलने के लिए 31/01/2021 या उससे पहले निर्णय लेंगे।{ 2} किसी भी राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों में आंगनवाड़ी केंद्र नहीं खोलने का निर्णय राज्य के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निर्देश के बाद ही लिया जाएगा। {3} नियंत्रण क्षेत्र में स्थित आंगनवाड़ी केंद्र तब तक नहीं खोले जाएंगे। जब तक कि नियंत्रण जारी रहे।{ 4} सभी राज्य / केंद्र शासित प्रदेश यह सुनिश्चित करेंगे कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 की अनुसूची में गर्भवती महिलाओं को पोषण संबंधी सहायता, स्तनपान कराने वाली माताओं, कुपोषण से पीड़ित बच्चों को पोषण संबंधी सहायता प्रदान करके पोषण संबंधी मानकों को सुनिश्चित किया जाए।{ 5} सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश आंगनवाड़ी केंद्रों की निगरानी और पर्यवेक्षण के बारे में आवश्यक आदेश जारी करेंगे। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लाभ लाभार्थियों तक पहुंचे और प्रत्येक जिले में एक शिकायत निवारण तंत्र लगाया जाए।