Wednesday, November 27, 2024
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अतल प्रणय का प्रतिबिंब : करवाचौथ

करवाचौथ की खूबसूरती को आज राधा मन ही मन महसूस करके हर्ष-उल्लास से झूम रही थी। दुनिया के सबसे खूबसूरत रिश्ते की सुंदरता का एहसास राधा को माधव से मिलने के बाद हुआ। सगाई के बाद से ही माधव ने राधा को समझने का प्रयास किया। उसकी कमजोरी, दु:ख-दर्द और मनोभाव सबको आत्मसात किया। माधव राधा से मिलने के बाद यह जान चुका था कि उसमे आत्मविश्वास की कमी है इसलिए कभी भी उसने अकेले होने का एहसास नहीं होने दिया। जब राधा शादी के बाद माधव के साथ नौकरी के लिए इंटरव्यू देने गई तब भी माधव खिड़की के बाहर सबकुछ सुन रहा था। उसके डॉक्युमेंट्स अरैंज करने से लेकर तुम सब कुछ कर सकती हो यह सब तो राधा में एक नवीन उत्साह का संचार कर देता था। परिणाम राधा का चयन भी नौकरी के लिए हो गया। जब राधा ने नौकरी की शुरुआत की तब माधव उसके लिए टिफिन पैक करता, समय के अनुसार उसे छोडने और लेने आता। कई बार नौकरी में भी विवाद हुए। जहाँ पर सही और गलत की भी लड़ाई थी, पर माधव ने उस लड़ाई में भी राधा को निडर होकर असत्य का विरोध करना सिखाया।
एक बार अचानक राधा वॉक करते-करते थोड़ा आगे निकल गई पर अकस्मात मौसम बिगड़ने लगा। राधा की सहेली भी उसके साथ थी, तभी माधव का फोन आया उसको घर लाने के लिए लेकिन उसकी सहेली के पति का कोई फोन नहीं आया। उस क्षण राधा ने माधव के प्यार को महसूस किया। वह सोचने लगी की माधव को पाकर तो वह धन्य हो गई। कहते है छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए, पर माधव तो राधा की हर छोटी-छोटी बात का ख्याल रखता था। वह आज जीवन जीना क्या होता है माधव से सीख चुकी थी। गर्भावस्था के क्षणों के दौरान जब डॉक्टर ने राधा को बाहरी यात्रा से मना कर दिया और परिवारजन यात्रा पर गए तब माधव हर समय राधा की चिंता करके उसे फोन करता और अपना ख्याल रखने की याद दिलाता। उसकी आवश्यकता पूछता और उसे दूर रहकर भी अपनेपन का एहसास दिलाता।
विवाह के बाद जब कुछ रिश्तेदारों द्वारा उसके खाना बनाने को लेकर मखौल बनाया गया तब भी माधव ने उसका साथ देकर उसके मन को आहात होने से बचाया। बीमार होने पर उसका ध्यान रखने से लेकर उसकी देखरेख में कभी भी राधा को अकेलापन महसूस नहीं होने दिया। हर दिन माधव राधा के दिल में एक नई छाप छोड़ जाता था। आज करवाचौथ का दिन है। राधा विवाह की तस्वीर देखकर सोच रही थी कि अगर माधव जैसा जीवनसाथी सभी बेटियों को मिल जाए तो कभी भी बेटी किसी माँ-बाप के लिए बोझ नहीं होगी और न ही किसी लड़की को संत्रास, घुटन और शोषण के चलते आत्महत्या का मार्ग अपनाना होगा। करवाचौथ केवल एक दिन हमें इस बंधन के महत्व की याद दिलाता है, पर क्यों न छोटे-छोटे क्षणों में हम एक-दूसरे के प्रति समर्पण भाव से इस रिश्ते की खूबसूरती को निशाकर की तरह चमकता हुआ बनाएँ।
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)