Wednesday, November 27, 2024
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राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस जमीनी स्तर से राजनीतिक शक्ति के विकेंद्रीकरण के इतिहास की गाथा है:किशन भावनानी

भारत के किसी हिस्से में पहली बार कार्बन न्यूट्रल पंचायत होगी, सारे रिकॉर्ड डिजिटल होंगे! पीएम द्वारा एक क्लिक के जरिये देश की अच्छी पंचायतों को अवॉर्ड मनी भी वितरित की जाएगी

गोंदिया – भारत विश्व में सबसे बड़ा लोकतंत्र और 135 करोड़ जनसंख्यकीय शक्ति का दूसरे नंबर का सबसे बड़ा देश है। बड़े बुजुर्गों की कहावत है कि एक और एक ग्यारह बस!! इन चार शब्दों में, एक छोटे से कस्बे से लेकर वैश्विक स्तर पर किसी भी क्षेत्र में काम करने की सफ़लता की कुंजी समाई हुई है, जिसने समझकर इसे क्रियान्वित किया समझो आधुनिक प्रौद्योगिकी युग में सफलता के झंडे गाड़े!! जिसे आज के युग में विकेंद्रीकरण की संज्ञा दी गई है। यूं तो हर स्तरपर हर क्षेत्र में यह हो सकता है परंतु चूंकि 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस है इसलिए हम आज राजनीतिक शक्ति के विकेंद्रीकरण की बात करेंगे।साथियों बात अगर हम इस उत्सव को मनाने की करें तो, हर साल 24 अप्रैल को पूरे देश में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता है। ये दिन भारतीय संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 के पारित होने का प्रतीक है, जो 24 अप्रैल 1993 से लागू हुआ था। इस दिन को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत साल 2010 से हुई थी। पूरे देश को चलाने में सिर्फ केंद्र सरकार या सिर्फ राज्य सरकार सक्षम नहीं हो सकती है। ऐसे में स्थानीय स्तरपर भी प्रशासनिक व्यवस्था ज़रूरी है।
साथियों इस काम के लिए बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में 1957 में एक समिति का गठन किया गया था, समिति ने अपनी सिफारिश में जनतांत्रिक विकेंद्रीकरण की सिफारिश की जिसे पंचायती राज कहा गया है। इसके तहत स्थानीय निकायों को शक्तियां दी गईं। पंचायतीराज के तहत गांव, इंटरमीडिएट और जिलास्तर पर पंचायतें संस्थागत बनाई गई हैं। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस जमीनी स्तर से राजनीतिक शक्ति के विकेंद्रीकरण के इतिहास को बताता है। उनकी आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की शक्ति को दर्शाता है। राजस्थान देश का पहला राज्य बना जहां पंचायती राज व्यवस्था लागू किया गया। इस योजना का शुभारंभ तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने नागौर जिले में 2 अक्टूबर 1959 को किया था। भारत में पंचायती राज व्यवस्था की देखरेख के लिए 27 मई 2004 को पंचायती राज मंत्रालय को एक अलग मंत्रालय बनाया गया था।
साथियों बात अगर हम इस वर्ष का राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर्व मनाने की करें तो हमारे माननीय पीएम महोदय जम्मू कश्मीर के सांबा जिले के पल्ली गांव में मना रहे हैं जहां वे पल्ली पंचायत घर भी जाएंगे और सरपंच और पंचों से बात भी करेंगे। इसमें देश-विदेश के जाने माने उद्योगपति शामिल होंगे। एक क्लिक के जरिये देश के सभी पंचायतों को अवॉर्ड मनी भी वितरित की जाएगी।कार्यक्रम की रूपरेखा से ऐसा प्रतीत होता है कि एक बार का यह उत्सव अविस्मरणीय होगा!! जम्मू कश्मीर राज्य को अनेकों सौगातें मिलेगी जिससे इस राज्य का तीव्रता से आधुनिकीकरण होगा। पर्यटन के विशाल क्षेत्र को तीव्र गति मिलेगी और हर भारतवासी का अपने देश के स्वर्ग में भ्रमण करने का सपना की शीघ्र साकार होगा।
साथियों बात अगर हम इस दिवसपर महत्वपूर्ण उपलब्धियों की करें तो भारत देश के सांबा जिले का पल्ली गांव देश की पहली कार्बन न्यूट्रल पंचायत होगी। देश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी हिस्से में पहली बार कार्बन न्यूट्रल पंचायत होगी और सारे रिकॉर्ड डिजिटलाइज होंगे। पंचायत के हज़ारों प्रतिनिधियों के साथ पीएम का ये कार्यक्रम होगा जिन पंचायतों ने अच्छा काम किया है पीएम उनको सम्मानित करेंगे और उनकी सम्मान राशि एक बटन दबने के साथ खाते में तुरंत पहुँच जायेगी।
साथियों बात अगर हम पंचायती राज की करें तो विकेंद्रीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी संगठन की गतिविधियों जैसे योजना और निर्णय लेने को केंद्रीय प्राधिकरण से दूर किया जाता है। राजनीतिक संदर्भ में, विकेंद्रीकरण एक नीति विकल्प है जिसमें सरकार सरकार के अन्य स्तरों के साथ कुछ जिम्मेदारियों को साझा करने का निर्णय लेती है। इस प्रकार, एक विकेन्द्रीकृत प्रणाली संघीय प्रणाली के भीतर या बिना हो सकती है।
लोकतांत्रिक जड़ों को मजबूत करने के लिए सहकारी संघवाद को बढ़ाते हुए, भारत के संविधान में संशोधन ने शहरी क्षेत्रों में नगर पालिकाओं (नगर निगम और परिषद) का निर्माण किया। स्थानीय स्वशासन की शुरूआत के पीछे मुख्य उद्देश्य आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय लाना था। पंचायतों और नगर पालिकाओं को अपने स्वयं के विकास (सामाजिक और आर्थिक) योजनाएँ बनाने का अधिकार दिया गया था जिसे जिला योजना समिति द्वारा समेकित किया गया है। मुर्गा पद्धति का पालन करते हुए, सीटों को लोकतांत्रिक तरीके से भरा जाता है; जाति और लिंग के आधार पर लंबवत और क्षैतिज आरक्षण। संविधान अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों के लिए विशिष्ट प्रावधान प्रदान करता है।
एक पंचायत निर्वाचित प्रतिनिधियों का एक निकाय है जो स्थानीय आबादी द्वारा सीधे चुने जाते हैं जो भारत में ग्राम स्तरपर स्थानीय सरकार बनाते हैं। पंचायती राज प्रणाली लोगों को अपने स्वयं के प्रबंधन में संलग्न होने का अधिकार देती है जो सामुदायिक स्तर पर प्रकट होता है। भारतीय संविधान में पंचायतों की त्रिस्तरीय प्रणाली की परिकल्पना की गई है, ग्राम स्तर की पंचायत (ग्राम पंचायत), जिला स्तर की पंचायत (जिला परिषद) और मध्यवर्ती स्तर की पंचायत (पंचायत समिति)।
साथियों बात अगर हम पंचायती राज के लाभोंकी करें तो स्थानीय समस्याओं के लिए स्थानीय समाधान की आवश्यकता होती है। स्थानीय नेतृत्व को प्रोत्साहित करते हुए, पंचायतों के सदस्यों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाली समस्याओं को सबसे अच्छी तरह से देखा और हल किया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों की जरूरतें जैसे सड़कों का निर्माण और रखरखाव, पर्याप्त जलापूर्ति, कृषि गतिविधियों में सुधार, शिक्षा सुविधाएं आदि, सभी का ध्यान स्थानीय स्वशासन द्वारा रखा जाता है। उनके द्वारा किए गए ऐसे सभी कार्य स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार करते हैं, जमीनी स्तर पर राजनीतिक नेतृत्व को मजबूत करते हैं।
पंचायती राज प्रणाली के निर्माण ने एक विकेन्द्रीकृत निर्णय लेने की प्रक्रिया को सुगम बनाया है जिससे स्थानीय लोगों की भागीदारी हुई है और समाज के पिछड़े वर्गों को सशक्त बनाया है। स्थानीय सरकार होने से राज्य और केंद्र सरकारों के कंधों से बोझ भी दूर हो गया है।
अतःअगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 24 अप्रैल 2022 विशेष है।भारत के किसी हिस्से में पहली बार कार्बन न्यूट्रल पंचायत होगी जिसमें सारे रिकॉर्ड डिजिटल होंगे।राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस जमीनी स्तर से राजनीतिक शक्ति के विकेंद्रीकरण के इतिहास को बताता है।

-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र