मुंबई, जन सामना ब्यूरो। केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु चाहे जितने दावे करें पर उनकी रेल सुविधा की बजाय आफत ज्यादा देती है। मुंबई के भवन्स सोमानी कालेज, चौपाटी में अंग्रेजी पढ़ाने वाले प्रोफेसर सन्तोष तिवारी को ऐसा अनुभव तीर्थराज प्रयाग के छिवकी स्टेशन पर हुआ, जहां संतों ने कहा है कि गंगा के दर्शन मात्र से पाप भाग खड़े होते हैं लेकिन गंगा के ओझल होते ही पुनः आप पर आक्रमण कर बैठते हैं। प्रोफेसर तिवारी के लिए महानगरी एक्सप्रेस गुंडानगरी बन गई। उस दोपहर के पौने तीन बजे उन्हें स्टेशन पर महानगरी का एसी कोच किधर आयेगा, पूछना भी भारी पड़ गया। खैर, लगभग साढे तीन बजे गाडी आई। वे अपने डिब्बे बी 1 की तरफ गए, कोच पर चिपकाए चार्ट में देखने पर पता चला कि जो बर्थ 46 नम्बर उन्हें मिलना था उसे किसी अन्य के नाम पर एलाट किया गया था। अब अंतिम सहारा टीटीई का था। इन्होंने अपना ई टिकट प्लेटफार्म पर कुछ लोगों के साथ खड़े टीटीई को दिखाकर पूछा। तब उसने कहा कि एसएमएस आया था क्या? प्रोफेसर तिवारी ने कहा हाँ पर चार्ट में मेरा नाम नहीं है। तब टीटीई ने रोबीली व घृणा से पूर्ण आवाज में कहा फिर कनफर्म नहीं हुआ, जाओ। बडी आरजू मिन्नत के बाद झुंझलाते हुए उन्होंने चार्ट में चेक कर कहा, संतोष तिवारी तुम्हारा नाम है? B1, 46 तुम्हारा है। इस व्यवहार से क्षुब्ध प्रोफेसर तिवारी जाते जाते यह बोले कि यारों आप लोग कब सुधरोगे?”..शायद ये बात उसको और बुरी लगी। फिर बी 1 की सीट 46 तक पहुंचने के पहले टीटीई एक गुंडेनुमा व्यक्ति के साथ पहुंचकर बोला इनको ज़रा वीआईपी ट्रीटमेंट बता दो ,भाई। उस गुंडा जैसे देखने वाले आदमी ने अपनी शर्ट की बांह ऊपर करते हुये, गालियां देते हुये, प्रो.तिवारी पर हमला कर दिया। उस गुंडे ने प्रोफेसर को खूब गालियां दी और मारा पीटा। इससे वे घायल हो गए उनका चश्मा टूटकर गायब हो गया, टी शर्ट की जेब में टिकट के साथ लिफाफे में रखा 20,000 रूपया गायब हो गया। वह गुंडा फरार हो चूका था। पुलिस आयी लेकिन वे लोग प्रोफ़ेसर तिवारी को ही सरकारी काम में दखलंदाजी के नाम पर अरेस्ट करने की धमकी देने लगे। लेकिन अब तक सहयात्री सत्यता जान चुके थे। प्रोफेसर सन्तोष तिवारी का कहना है उसके बाद मुंबई तक की उनकी यात्रा बेहद तकलीफ में गुजरी। एसी डिब्बे में भी अराजकता का साम्राज्य था। कैंटीन वालों की ओवर चार्जिंग जारी रही। यात्रा भर ट्वीट करने के बावजूद रेलवे विभाग सोता रहा। मुंबई सीएसटी पहुंचते ही वे सीधे रेलवे के जीएम आफिस पहुंचे, वहां शिकायत दर्ज करवाई फिर अपने घर के लिए लोकल पकड़ी। इस बीच सेंट्रल रेलवे के एडिशनल जीएम के सहायक सचिव एस एम केलकर ने सन्तोष तिवारी को पत्र भेजकर सूचना दी है कि उनकी शिकायत नार्थ सेंट्रल रेलवे इलाहाबाद को भेज दी गई है। प्रोफेसर तिवारी का कहना है कि दुर्व्यवहार करने वाले रेलवे स्टाफ को मैं सजा दिलाकर ही दम लूंगा। इस बारे में उन्होंने केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु को एक पत्र लिखकर पूछा है कि जब एसी कोच के यात्री सुरक्षित नहीं हैं तो आम यात्री की क्या बिसात।