छिवकी, प्रयागराज। संगम नगरी प्रयागराज में सरकार द्वारा किए गए विकास का बहाव इतना तेज है कि नदी नालों के साथ-साथ सड़कें भी अब लबालब भर चुकी हैं। बता दें कि सरकार के उप मुख्यमंत्री और चहेते मंत्रियों का ड्रीम प्रोजेक्ट था कि संगम नगरी प्रयागराज को स्वच्छ साफ सुथरा और विकसित बनाएंगे। परंतु चहुंमुखी विकास के दावे करने वाली सरकार और उनके मंत्रियों ने विकास के सारे दावे को खोखले साबित कर दिए हैं। आखिरकार जमीनी हकीकत उन नेताओं को कहां से दिखेगी जो कभी अपनी वीआईपी कार से नीचे उतरे ही नहीं और उतरे भी तो हेलीपैड पर। प्रयागराज के छिवकी स्टेशन के सामने सड़क किनारे दुकानदारों का सड़क पर बने जलाशय की वजह से व्यवसाय भी चौपट हो गया है। परंतु कोई भी समाज की समस्याओं को उजागर करने के लिए आवाज तक नहीं उठा पा रहा। जान पड़ता है कि विपक्ष भी अब पूरी तरह से निष्क्रिय हो चुका है। आम जनमानस को अपने हक की लड़ाई स्वयं ही लड़नी पड़ेगी।
इसके साथ ही संगम नगरी के छिवकी स्टेशन पर व्याप्त अव्यवस्थाओं को देखकर तो लगता है कि बुलेट ट्रेन चलाने से पहले इन स्टेशनों के प्लेटफार्म को तो सुधार ही देना चाहिए। हजारों की संख्या में इधर उधर परिसर और प्लेटफार्म के बाहर जमीन पर महिला और पुरुष सभी यात्रियों को देखकर लगता है कि आज भी हम कई वर्षों पहले जैसा जीवन बिता रहे हैं। गौरतलब है कि क्या रेलवे अपने यात्रियों के बैठने और आराम करने की व्यवस्था तक उपलब्ध नहीं कर पा रहा है या फिर करना नहीं चाह रहा। वहीं छिवकी रेलवे स्टेशन के प्रवेश द्वार की सड़क पर बहती नदी देखें, जब स्टेशन पर कुछ पल के लिए आने वाले यात्रियों का यहां दम घुट रहा है तो न जाने यहां के रहवासी अपना जीवन कैसे गुजारते होंगे। आखिर यहां का विकास गया तो कहां गया.?
पार्किंग के नाम पर मनमानी वसूली –
उल्लेखनीय यह भी है कि परिसर में वाहन पार्किंग के नाम पर मनमाने तरीके से वसूली भी की जाती है, बता दें कि रेलवे स्टेशन पर आने के लिए मुख्य द्वार पर प्रवेश करते ही वाहनों को रोककर वाहन का पार्किंग शुल्क ले लिया जाता है। अब उसे चाहे यात्री को केवल छोड़ना हो या घंटों रुकना हो, उसे गेट से प्रवेश करते ही शुल्क तो देना ही पड़ता है, जबकि देखा जाए तो पार्किंग क्षेत्र एक निर्धारित जगह पर होना चाहिए। क्योंकि मुख्य गेट के बाहर सड़क जलाशय में तब्दील है, जहां यात्री उस जलाशय में उतर नहीं सकते और गेट के अंदर यदि उतरना भी चाहते हैं तो पार्किंग ठेकेदार द्वारा बैठाए गए कर्मचारी उनसे तुरंत वसूली कर लेते हैं, संबंधित विभाग को कई बार ट्विटर के माध्यम से बताया भी गया लेकिन निष्कर्ष शून्य ही रहा।