आजम खां के खिलाफ शिवसेना जिलाध्यक्ष ने सात माह पूर्व दी थी तहरीर
तब से लगातार लगा रहे न्याय की गुहार-तीन मंत्रियों से मिलकर भी कराया अवगत
कहा-एफआईआर दर्ज करने के हैं लिखित आदेश-फिर भी किया जा रहा नजरअंदा
बोले-25 को राज्यपाल रामनाईक से मिला है
फिरोजाबाद, एस. के. चित्तौड़ी। बेशक उत्तर प्रदेश में योगीराज आ गया हो लेकिन अफसोस वाली बात यह है कि आज भी पुलिसिया व्यवस्था उसी ढर्रे पर चल रही है। जिस पर पिछली सपा सरकार में चल रही थी। इसका एक उदाहरण जिले में भी देखने को मिला। जहां पिछले शासनकाल से ही थाने में सपा में कैबिनेट मंत्री रहे आजम खां द्वारा दिये बयान पर आपत्ति जताते हुये एफआईआर दर्ज करने को तहरीर दी गयी जो कि सात माह बीत जाने के बाद सरकार बदलने के बाद भी अभी तक नहीं लिखी गयी। यहां तक कि इससे बदली सरकार के कई मंत्रियों व प्रमुख नेताओं को भी अवगत कराया गया। उनके निर्देश भी दिये गये, इसके बावजूद कोई एफआईआर थाने में नहीं लिखी गयी। बताते चलें यह मामला शिवसेना के जिलाध्यक्ष पं. राजीव शर्मा से जुड़ा हुआ है। जो कि थाना रसूलपुर क्षेत्र पुराना रसूलपुर निवासी हैं। उन्होंने 28 नवम्बर 2016 को एक प्रमुख समाचार पत्र में उस समय कैबिनेट मंत्री रहते हुये दिये बयान में कहा था भले ही बाल ठाकरे शेर हों लेकिन शेर हैं तो जानवर। शिवसेना जिलाध्यक्ष के अनुसार आजम खान ने शिवसेना सुप्रीमो बाला साहब ठाकरे की मौत के बाद उन पर लांछन लगाया। जिससे उनकी भावनाएं आहत हुयीं। इसी को लेकर उन्हांेने आजम खां द्वारा मर्यादा को बनाये न रखने पर, इस बयान को अपराध की श्रेणी में बताते हुये तीन दिसम्बर 2016 को थाना रसूलपुर में तहरीर दी। उसके बाद भी तहरीर को कोई महत्व नहीं दिया गया। समय बदला, इसके साथ ही थाना प्रभारी भी बदल गये। सरकार बदलने के बाद जब यूपी में योगीराज आया, तब उन्होंने बीस मई 2017 को मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी जो कि लखनऊ स्थित प्रदेश भाजपा कार्यालय जनसहयोग केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे उन्हें देकर अवगत कराया। पं. राजीव शर्मा के अनुसार उन्होंने लिखित में एफआईआर दर्ज करने के आदेश भी दिये, पर कोई सुनवाई नहीं हुयी। फिर छह जून 2017 को पुनः मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र महिला कल्याण परिवार कल्याण एवं मातृ एवं शिशु कल्याण एवं पर्यटन उत्तर प्रदेश शासन की मंत्री प्रो. रीता बहुगुणा जोशी को देकर अवगत कराया। उन्होंने भी जल्द से जल्द एसएसपी को एफआईआर दर्ज कराने को निर्देशित करने के लिखित में आदेश दिये। फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुयी। फिर भी शिवसेना जिलाध्यक्ष ने हार नहीं मानी और दुबारा 24 जून 2017 को मुख्यमंत्री को ही संबोधित शिकायती पत्र जनसहयोग केंद्र में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार अनुपमा जायसवाल को भी दिया। उन्होंने भी एसएसपी को एफआईआर दर्ज करने के लिखित आदेश दिये। इस तरह बदले योगी शासन में उन्हांेने तीन बार शिकायती पत्र दिये। पं. राजीव शर्मा ने कहा इसके अलावा मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी अवगत कराया। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को भी हाथोंहाथ 26 जून को यही शिकायती पत्र दिया। आगे बात करें तो राज्यपाल रामनाईक के यहां भी देकर आये। आगे बताया कि अभी तक नतीजा सिफर ही रहा तो फिर क्या फर्क रहा सपा और भाजपा सरकार में। सपा शासन में भी कानून व्यवस्था बदहाल चल रही थी और भाजपा शासन में भी कानून व्यवस्था का यही हाल है। योगी सरकार के मंत्रियों की ही कोई सुनवाई नहीं हो रही है तो फिर जनता की क्या सुनेंगे यहां के आला अधिकारी? आगे कहा अब उन्हें राज्यपाल रामनाईक से कुछ उम्मीदें हैं, उनके यहां से 25 जुलाई 2017 का मिलने का समय मिला है। उन्होंने कहा कोई सुने या ना सुने वे अपने कर्तव्य पथ से पीछे नहीं हटेंगे, बाला साहब ठाकरे का अपमान करने वाले पर जब तक कार्यवाहीर नहीं होगी चैन की सांस नहीं लेंगे, उनका यह संघर्ष जारी रहेगा और जारी है।