राजीव रंजन नागः नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने एक बार नागपुर में आरएसएस मुख्यालय की अपनी यात्रा रद्द कर दी थी क्योंकि दोस्तों ने उन्हें चेतावनी दी थी कि अगर वह वहां गए तो उन पर ‘आरएसएस का हमदर्द’ के रूप में चिन्हित किया जाएगा। डा. कलाम पर आई हालिया किताब ‘कलामः द अनटोल्ड स्टोरी’ में इसका खुलासा किया गया है।
डा. कलाम के निजी सचिव आरके प्रसाद द्वारा लिखी गई पुस्तक में दावा किया गया है कि राष्ट्रपति कलाम द्वारा इस यात्रा पर टाल मटोल ने ‘आरएसएस नेतृत्व को नाराज़ कर दिया’ क्योंकि उन्होंने उनके आने को लेकर पूरी व्यवस्था की जा चुकी थी। ..और उनकी यात्रा के प्रचार के लिए योजना भी बना ली गई थी। हालांकि पहले से निर्धारित तारीख के एक महीने बाद कलाम ने अंततः आरएसएस मुख्यालय का दौरा किया और वहां एक आंतरिक प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को संबोधित किया जिस पर उन्होंने शुरू में सहमति व्यक्त की थी। हालांकि, संगठन के शीर्ष अधिकारियों में से कोई भी शामिल नहीं हुआ। एक एयरोस्पेस वैज्ञानिक जिन्होंने 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया, उन्हें व्यापक रूप से ‘पीपुल्स प्रेसिडेंट’ माना जाता था। मई 2014 को, हमारे कार्यालय को आरएसएस के महासचिव राम माधव से निमंत्रण मिला। वे चाहते थे कि पूर्व राष्ट्रपति आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की उपस्थिति में एक प्रशिक्षण शिविर में युवा आरएसएस स्वयंसेवकों को संबोधित करें। ‘श्री प्रसाद लिखते हैं उन्होंने रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के रुप में अपनी तैनाती के दौरान डा. कलाम की सेवा की है। ‘शिविर 12 जून को समाप्त होगा और वे चाहते थे कि कलाम उससे पहले उनके लिए सुविधाजनक तारीख पर जाएँ। राम माधव ने बाद में श्री कलाम से मुलाकात की और यह निर्णय लिया गया कि पूर्व राष्ट्रपति प्रशिक्षण शिविर के अंतिम दिन वह आरएसएस मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगे।’ हालांकि, अपने कुछ दोस्तों से मिले इनपुट और सलाह के परिणामस्वरूप, श्री कलाम ने अपना विचार बदल दिया। श्री प्रसाद के अनुसार, उन्हें उनके द्वारा चेतावनी दी गई थी कि आरएसएस मुख्यालय की यात्रा पर उन्हें ‘आरएसएस हमदर्द’ के रूप में लेबल किया जाएगा और ‘संगठन द्वारा उनके नाम का संभावित दुरुपयोग किया जाएगा।’ पुस्तक के अनुसार, अपने दोस्तों से कड़ी सलाह के बाद जाने को तैयार नहीं, थे लिहाजा डा. कलाम ने श्री प्रसाद से आरएसएस को एक बनाने के लिए कहा और यह कहने का निर्देश हुआ कि उन्हें उक्त कार्यक्रम से पांच दिन पहले वहां जाने में खुशी होगी। प्रसाद लिखते हैं- ‘आरएसएस में संपर्क व्यक्ति के साथ बात करना मेरे लिए वास्तव में कठिन था। भरोसा देकर अचानक इस तरह से पीछे हटने पर संघ नेतृत्व वास्तव में नाराज हो गया क्योंकि उन्होंने व्यवस्था की थी और उनकी यात्रा के आसपास प्रचार की योजना बनाई थी।’विशेष रूप से, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस और उनके परिवार के सदस्यों की आलोचना के बावजूद जून 2018 में आरएसएस द्वारा अपने मुख्यालय में आयोजित ‘तृतीय वर्ष वर्ग’ के पाठ्यक्रम के समापन सत्र में भाग लिया। ब्लूम्सबरी द्वारा प्रकाशित, ‘कलामः द अनटोल्ड स्टोरी’ डा.कलाम के राजनीतिक नेताओं के साथ संबंधों और कुछ विवादों के पीछे की सच्चाई पर नई रोशनी डालती है।