कानपुर दक्षिण, अवनीश सिंह। दक्षिण के बर्रा बाईपास से कर्रही की ओर जाने वाली सड़क हुई जलमग्न एवं गड्ढामय। लेकिन किसी भी जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रति-निधि की नजर नहीं पड़ती और जब संबंधित अधिकारी को मोबाइल पर इस विषय सूचना दी जाती तो मीटिंग में होने की बात कह कर समस्या को अनसुना कर दिया जाता है। मजे की बात यह है लगभग 20 प्रतिशत नगर निगम के कर्मचारी भी रोज आने जाने के लिए इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं, वो भी कभी कभी इन गड्ढों में गिर कर स्नान करके गंतव्य की ओर आगे बढ़ जाते हैं, लेकिन इस समस्या का समाधान करने में अपने जीवन के 20 मिनट भी विभाग को सूचित करने में नहीं दे पाते, सबसे ज्यादा समस्या यहां गुजरने वाले ई-रिक्शा में बैठी सवारियों का है। जनप्रतिनिधि इंतजार में बैठे हैं, जब चुनाव की तारीख की घोषणा हो जाए, तब इस समस्या से जूझा जाए।
Read More »महबूब प्राचा को लेकर जर्नलिस्ट क्लब ने पुलिस कमिश्नर को सौपा ज्ञापन
कानपुर नगर, जन सामना ब्यूरो। कानपुर में 3 जून को हुई संप्रदायिक हिंसा के मुख्य आरोपी हयात जफर हाशमी की पैरवी करने कानपुर आए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता महबूब प्राचा ने गुरुवार को कानपुर की मीडिया पर अनर्गल आरोप लगाते हुए मीडिया को अपराधी तक कह डाला था, जो कि संविधान की किसी भी परिभाषा में सही नहीं है। शुक्रवार को कानपुर जर्नलिस्ट क्लब का एक प्रतिनिधिमंडल पुलिस आयुक्त बी पी जोगदण्ड से मिलकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौपा और महबूब प्राचा के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की।
Read More »पत्रकारों ने महमूद प्राचा का फूंका पुतला
कानपुर नगर, जन सामना ब्यूरो। कानपुर शहर आए सुप्रीम कोर्ट के वकील महबूब प्राचा द्वारा मीडिया पर की गई अनर्गल और अमर्यादित टिप्पणी के विरोध में शुक्रवार को कानपुर प्रेस क्लब ने विरोध प्रदर्शन कर महबूब प्राचा का पुतला फूंका। इस दौरान जोरदार नारेबाजी कर पत्रकारों ने अपने गुस्से का इजहार किया। पत्रकारों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन भी अधि कारियों को सौंपा। पत्रकार कानपुर प्रेस क्लब कार्यालय नवीन मार्केट में एकत्र हुए और पुतले को लेकर जुलूस की शक्ल में नवीन भ्रमण किया। उसके बाद गगनचुंबी नारेबाजी के बीच पुतले को आग के हवाले किया गया। कानपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अवनीश दीक्षित और महामंत्री कुशाग्र पांडे की अगुवाई में इस पुतला दहन में कहा गया कि महमूद प्राचा ने जिस प्रकार से मीडिया पर टिप्पणी की है उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनके इस कृत्य से मीडिया जगत में गहरा आक्रोश है।
Read More »दुष्कर्म मामले में सुलह समझौते के लिए आरोपी बना रहा दबाव
रायबरेली। शादी करने से किया इंकार युवती के तहरीर पर दर्ज हुआ मुकदमा। मामला जनपद के थाना ऊंचाहार कोतवाली क्षेत्र के एक गांव का है। मामले में ऊंचाहार पुलिस के द्वारा अभी तक आरोपी युवक की गिरफ्तारी न होने से पीड़िता ने आज जिला अधिकारी व पुलिस अधीक्षक से पूर्व में दर्ज मुकदमे के आरोपी संजीव कुमार पुत्र जगदेव निवासी जमुनापुर पर कार्यवाही करने की मांग की है।
पीड़िता ने बताया कि संजीत कुमार द्वारा शादी का झांसा देकर उसके साथ लगातार दुष्कर्म किया गया। जब युवक ने शादी से इनकार किया तब कोतवाली में प्रार्थना पत्र देकर न्याय की मांग की गई।
भगवान जी को हंसा कर बस लौटते ही होंगे हमारे राजू भैया
थोड़ी देर पहले जैसे ही मोबाइल डाटा ऑन किया। एक दुखद खबर सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुई। समाचार सुनकर अत्यंत कष्ट हुआ कि भारत देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व में अपनी मेहनत के बलबूते, अपनी कला के बलबूते, लोगों के लबों पर मुस्कान बिखेरने वाले हिंदुस्तान के एक चमकते सितारे कई दशकों से निरंतर अब तक दर्शकों, श्रोताओं अपने चाहने वालों के दिलों में राज करने वाले, हम सबके प्रिय सुप्रसिद्ध हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव भैया जिंदगी और मौत से चालीस दिनों तक सतत् संघर्ष करते हुए आखिरकार इस संसार को अलविदा कह दिये।यकीन मानिए ! राजू श्रीवास्तव भैया जैसे जिंदादिल इंसान और शख्सियत हेतु श्रद्धांजलि जैसे शब्द लिखना भी अत्यंत दुख दे रहा। इन उंगलियों मे कंपन हो रही है । हृदय भाव विहल हो उठा है मन मानने को तैयार नही कि राजू श्रीवास्तव जी अब हम सबके के बीच नही हैं।अत्यंत कष्ट होता है सबको हंसाने वाले हिंदुस्तान के इतने लाड़ले चमकते सितारे अब हम सबके बीच नहीं हैं। ऐसा लगता है जैसे राजू श्रीवास्तव कहीं नहीं गए हैं। हम सबके बीच ही हैं।
Read More »कब मिलेगा PACL कम्पनी के ग्राहकों का पैसा
आल इंवेस्टर सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन ने कानपुर में किया जिला इकाई का गठन
कानपुर नगर, डॉ0 दीपकुमार शुक्ल (स्वतन्त्र पत्रकार)। सन 2014 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ‘सेबी’ द्वारा रियल इस्टेट क्षेत्र की कम्पनी पीएसीएल लिमिटेड को बन्द करने के बाद से इसके पौने छै करोड़ से अधिक ग्राहक अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा वापस पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। लेकिन कहीं कोई सुनने वाला नहीं है। पीड़ित ग्राहकों को उनका पैसा वापस दिलाने के लिए कई संगठन अपने-अपने तरह से प्रयास करने में जुटे हुए हैं।
ग्राम प्रधान पत्रकार को जान से मरवाने की रच रहा साजिश
बीते दिनों एक पत्रकार पर ग्राम प्रधान ने करवाया था जानलेवा हमला
रसूलाबाद/कानपुर देहात, जन सामना संवाददाता। दबंग ग्राम प्रधान द्वारा पत्रकार के साथ मारपीट कराए जाने का मामला अभी शांत भी नहीं हो पाया था कि एक अन्य पत्रकार के साथ भी मारपीट व हत्या की साजिशे शुरू हो जाने से पत्रकारों में रोष व्याप्त है।
उल्लेखनीय है कि रसूलाबाद क्षेत्र के इंदल पुर लालू के पत्रकार सतेन्द्र द्विवेदी के साथ गत 8 सितम्बर को दबंग ग्राम प्रधान सहित उनके समर्थकों द्वारा मारपीट कर जानलेवा हमला किया गया था। पुलिस द्वारा अभी तक आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही न किये जाने से उनके हौसले बढ़े हुए है ।
किराने की दुकान में बिक रही अवैध शराब
कानपुर नगर, जन सामना। महाराजपुर थाना क्षेत्र का एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ है। जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे किराने की दुकान में अवैध तरीके से अंग्रेजी व देशी शराब की बिक्री हो रही है। वायरल वीडियो में शराब बेंचने वाला शख्स स्थानीय थाने के दरोगा को 6 हजार रूपए महीना बंधे होने की बात कर रहा है। सवाल यह है कि इस तरह से अवैध शराब की बिक्री से प्रदेश में हजारों लोग हर साल अपनी जान गंवा देते हैं। इसको रोकने के लिए प्रशासनिक अधिकारी आज तक कोई ठोस रणनीति नहीं तैयार कर पाए। जिस कारण अवैध शराब की बिक्री हर जगह हो रही है। जिसको संज्ञान में लेते हुए एसपी आउटर ने वीडियो के आधार पर जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने के आदेश दिए है एवम् आबकारी विभाग को कार्यवाही करने को निर्देशित किया है।
Read More »नैतिक मूल्यों की रक्षा
सोशल साइट्स पर अनेक जघन्य अपराधों के ऐसे-ऐसे मामले बढ़-चढ़ कर प्रकाश में आ रहे हैं, उससे यही लगने लगा है कि आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोग पूरी तरह से बेखौफ होने लगे हैं। उन्हें किसी का जान या परिवार से कोई मतलब नहीं रहा है। उन्हें किसी की जान ले लेने से कतई संकोच नहीं रहा है। अनेक मामले प्रकाश में आ चुके है कि किसी को सबक सिखाने में उसकी जान चली गई। सबक सिखाने का यह तरीका तो कतई उचित नहीं हो सकता कि कानून के हवाले ना कर उसे जान से ही मार डाला जाए। क्या हमारे समाज से मानवीय तकाजा खत्म होता जा रहा है? कानून का राज संदेह के घेरे में आ चुका है? अगर ऐसा नहीं तो फिर क्यों लोग कानून को अपने हांथों में ले रहे हैं? पुलिस के पास जाने के वजाय लोग स्वयं फैसला करने लगे हैं। समाज में हिंसक नजारों से सवाल उठना लाजिमी है कि क्या समाज को हिंसक होने की त्रासदी से बचाया जाना एक जरूरूरत बन गया है। ? तमाम संचार माध्यमों पर अपराध और हिंसा को आम घटना की तरह परोसा जाने लगा है। मुहिम तक छेड़ दी जाती है। न्यायालय की बात नहीं बल्कि लोग अपने मन मस्तिष्क से फैसला ले रहे हैं और सजायें देने की बात कर रहे हैं। अब तो ऐसे नजारे भी सामने आ चुके है कि सजायाफ्ता अपराधियों को लोग सम्मानित कर रहे हैं, शायद ऐसे नजारों से सबसे हमारे सामाजिक मूल्यों को आघात लगा है और यह आघात अकथनीय है।
समाचारों की सुर्खियों पर अगर विचार करें तो पिछले कुछ सालों से जिस तरह उन्मादी व अराजक तत्व समाज को सुधारने के नाम पर हिंसा को हथियार के रूप में प्रयोग कर रहे हैं या करते देखे जा रहे हैं। वह एक गम्भीर विषय है।इ इस पर विचार किया जाना चाहिये। ऐसा माहौल तैयार कर दिया गया है जिससे कि अपने ही बीच रहने वाले बहुत सारे लोगों को कई लोग शक की नजर से देखने लगे हैं।
विकृतियों का खतरा
ऐसा महौल बनता सा जा रहा है कि भारतीय समाज हिंसक एवं असभ्य होता जा रहा है। सुर्खियों पर अगर विचार करें तो ऐसा महसूस हो रहा है कि एक ऐसा हिंसक समाज बन रहा है, जिसमें कुछ लोगों को दिन भर में जब तक किसी ना किसी तरह का अपराध कारित कर देते है तब तक उन्हें बेचैनी-सी रहती है। हालांकि ऐसे कृत्य कोई नये नहीं हैं। इतिहास में ऐसे कुछ विकृत दिमागी लोग हुए हैं, जिन्हें यातना देकर या परेशान करके किसी को मारने में आनंद आता था। उन्हें एक अलग तरह की अनुभूति हो थी, लेकिन आधुनिक सभ्य समाजों में ऐसी प्रवृत्ति का कायम रहना गहन चिन्ता का विषय है। यह समझना मुश्किल होता जा रहा है कि शिक्षा का स्तर आधुनिक होने के बावजूद वर्तमान के लोगों में असहिष्णुता, असहनशीलता और हिंसा की प्रवृत्ति इतनी कैसे बढ़ रही है कि जिन मामलों में उन्हें कानून की मदद लेनी चाहिए, उनका निपटारा भी वे खुद करने लगते हैं और कानून हांथ में ले रहे हैं।
ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति का चरित्र देश का चरित्र है। जब चरित्र ही बुराइयों की सीढ़ियां चढ़ने लग जाये तो भला कौन निष्ठा के साथ देश का चरित्र गढ़ सकता है और लोक तंत्र के आदर्शों की ऊंचाइयां सुरक्षित कैसे रह सकती हैं? सवाल यह भी उठता है कि जिस देश की जीवनशैली हिंसाप्रधान होती है, उनकी दृष्टि में हिंसा ही हर समस्या का समाधान है ? अनेक उदाहरण सामने आ चुके हैं और लोगों ने मामूली बात पर या कहा-सुनी होने पर खुद इंसाफ करने की नीयत से कानून को अपने हांथ में ले लिया और किसी की हत्या करके अफसोस की बजाय कई लोग गर्व का अनुभव करते दिखे हैं। ऐसा देखने को मिला है कि मानो किसी की जान ले लेना अब खेल जैसा होता गया है।