सारा ज़ग है प्रेरणा, प्रभाव सिर्फ राम हैं ।
भाव सूचियाँ ब़हुत हैं, भाव सिर्फ राम हैं।।
भारत राष्ट्र का नाम आते ही भारत के अनेक उपनाम जुड़ते चले जाते हैं यथा, विश्व गुरु भारत, सांस्कृतिक भारत, आध्यात्मिक भारत, गौरवशाली भारत, संस्कारित भारत, सनातनी भारत, कलात्मक भारत, प्राचीन भारत, अनादि भारत, अनंत भारत, विज्ञानमय भारत और मृत्युंजय भारत। जब इतनी उपमाओं से भारत विभूषित है तो समझ आता है, कि कितना सबकुछ दुनिया को भारत ने दिया हैं। दूसरी ओर यह पीड़ा भी होती है कि इतना कुछ देने वाला मेरा भारत आज कहां खो गया ? इसके साथ ही प्रश्नों की एक श्रंखला बनती है कि क्या भारत कभी फिर वैसा बन पाएगा ? क्या फिर कोई राजा हरिश्चंद्र आएगा जो सत्य का पाठ पढ़ाएगा ? क्या फिर से कोई राजा राम आयेंगे और राम राज्य का स्वप्न साकार करेंगे ? क्या कोई चन्द्रगुप्त आएगा जो फिर भारत की सीमाओं को सुरक्षित करेगा ? क्या कोई समुद्रगुप्त पुनरू भारत में स्वर्णयुग लाएगा ? क्या कोई शिवाजी फिर से जन-जन में स्वराज्य का भाव पैदा करेगा ? ऐसे कई प्रश्न बरसों से तलाश किए जाते रहे हैं जिनका उत्तर एक ही हो सकता है कि पुनः भारत अपनी खोई प्रतिष्ठा प्राप्त करे। भारत के संपूर्ण समाज में फिर से भारत को रामराज्य बनाने की इच्छा हिलोरे लें, तभी भारत का भाग्योदय संभव हैं ।
इतिहास में ऐसी कई घटनाएँ घटित हुई हैं, जिसके पश्चात देश के भविष्य ने करवट ली। वर्तमान में भी देश में ऐसी एक घटना हुई जिसके पश्चात भारत में नया उत्साह और उमंग के साथ भारत के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक उदय और भारत के भाग्योदय के संकेत दिखाई देने लगे हैं ।
देश की सर्वाेच्च न्यायिक संस्था सर्वाेच्च न्यायालय ने 9 नवंबर 2019 को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के पक्ष में फैसला दिया। पूरे देश में दीपावली मनाई गई और श्रीराम मंदिर के निर्माण के मार्ग खुल गए ।