कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। जनपद कानपुर देहात के समस्त दिव्यांगजनों को दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा संचालित दिव्यांग शादी पुरस्कार योजना के आवेदन पत्र आनलाइन करने की व्यवस्था विभाग द्वारा कर दी गयी है।
उक्त जानकारी देते हुए जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी गिरिजा शंकर सरोज ने बताया कि इस योजना के अन्तर्गत दिव्यांग दंपति को शादी करने पर पुरूष के दिव्यांग होने पर 15000 रूपये एवं महिला के दिव्यांग होने पर 20000 रू0 अथवा दोनो पति पत्नी दिव्यांग होने पर 35 हजार रू0 की धनराशि पुरस्कार के लिए रूप प्रदान की जायेगी। पात्र इच्छुक दिव्यांगजन आनलाइन आवेदन भरते समय आवेदक दंपति को दिव्यांगता प्रर्दशित करने वाला संयुक्त नवीनतम फोटो, आयु प्रमाण पत्र जिसमें जन्म तिथि का अंकन हो। उन्होंने बताया कि सक्षम स्तर से निर्गत दिव्यांगता प्रमाण, विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र अधिवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, आय एवं जाति प्रमाण पत्र, राष्ट्रीयकृत बैंक में संचालित संयुक्त खाता आदि अभिलेख स्वप्रमाणित कर अपलोड करते हुए http://divyangian.upsdc.gov.in पर आनलाइन करायें साथ ही समस्त आवश्यक अभिलेखों की हार्ट कापी जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण कार्यालय में उपलब्ध कराये।
Daily Archives: 23rd February 2019
बृजभाषी होली गीत में नजर आयेंगे: मुकेश
आगरा, आर्यन वर्मा। वर्मा कैसेटस व रिकार्डिंग स्टूडियो के बैनर तले नवनिर्मित होलीगीत (बृजभाषी) में मुकेश कुमार ऋषि वर्मा मुख्य भूमिका में नजर आयेंगे। इस गीत के निर्माता व निर्देशक जयकिशन वर्मा हैं। वीडियो गीत की शूटिंग अभी हाल ही में ग्राम नगला देवहंश में सम्पन्न हुई है।
आपको बता दें कि मुकेश कुमार ऋषि वर्मा को साहित्य – कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अब तक सौ से अधिक सम्मान – पुरस्कार देशभर से प्राप्त हो चुके हैं। साथ ही दो काव्य पुस्तिकाएं प्रकाशित हो चुकी हैं और तीसरी काव्य पुस्तक – काव्यदीप प्रेस में है। इसके साथ ही देश-विदेश से प्रकाशित पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं नियमित प्रकाशित होती रहती हैं।
अभी हाल ही में प्रदर्शित हिंदी फीचर फिल्म – शूद्र अ लव स्टोरी में मुकेश मामा परमार्थ के किरदार में नजर आये थे। उनकी यह पहली बड़े पर्दे की फिल्म है। तमाम लघु फिल्मों, टेलीफिल्मों व वीडियो गीत, क्षेत्रीय भाषायी अलबमों में मुकेश सफल अभिनय कर चुके हैं। लेकिन छात्र जीवन से ही कृषि को अपनी मुख्य आजीविका मानते हैं। उनका कहना है कि बाकी के जो भी काम वे करते हैं, वे महज शौक हैं, आजीविका नहीं…. जब कृषि आदि से समय बचता है तो वे बाकी के अपने शौक पूरे कर लेते हैं, जिनमें प्रमुख हैं, साहित्य, अभिनय, पत्रकारिता, समाज सेवा, चित्रकारी आदि।