Friday, September 20, 2024
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 विजयदशमी महोत्सव में मंचित हुई नौटंकी शैली की रामलीला

कानपुर। अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश ने लोकनाट्य में श्रीराम (नौटंकी उत्सव) के अन्तर्गत स्थानीय रामलीला समितियों के सहयोग से नौटंकी शैली में रामलीला का मंचन प्रारम्भ करवाकर एक अनूठी पहल शुरू की है। इसी कड़ी में बीती रात कानपुर शहर के गड़रियन पुर्वा नौबस्ता में श्री महाराणा प्रताप रामलीला समिति के विजयदशमी रामलीला महोत्सव में दीपांजलि समाजोत्थान समिति कानपुर द्वारा नौटंकी शैली की रामलीला का मंचन कराया गया। नक्कारे की थाप पर कलाकारों ने जटायु मोक्ष से लंका दहन तक की बेहतरीन प्रस्तुति देकर जमकर तालियाँ बटोरी। आयोजन समिति के पदाधिकारियों एवं क्षेत्रीय जनता ने इस कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
सायं 7 बजे से रात डेढ़ बजे तक चले कार्यक्रम की शुरुआत में जैसे ही नक्कारे के साथ साज और आवाज की प्रस्तुति प्रारम्भ हुई वैसे ही आसपास के दर्शक बरबस ही रामलीला प्रांगण की ओर खिंचे चले आये और आखिर में लंका दहन होने के बाद ही हटे। अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डॉ.लवकुश द्विवेदी ने बताया कि नौटंकी उत्सव ‘लोकनाट्य में श्रीराम’ के आयोजन का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को इस बात से परिचित करवाना है कि श्रीराम के जीवन के साथ लोक संस्कृति का कितना अटूट सम्बन्ध है। इस हेतु स्थानीय रामलीला समितियों के सहयोग से नौटंकी शैली में रामलीला का मंचन करवाने की पहल की गयी है। जिसकी शुरुआत कानपुर से हुई। अगली प्रस्तुति 24 अक्टूबर को कौशाम्बी तथा 25 अक्टूबर को प्रतापगढ़ में होगी। कानपुर में इस कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु संस्कृति विभाग के विशेष सचिव राकेश चन्द्र शर्मा, निदेशक शिशिर तथा पर्यटन एवं संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने श्री महाराणा प्रताप रामलीला रामलीला समिति एवं दीपांजलि समाजोत्थान समिति तथा समस्त कलाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। श्री महाराणा प्रताप रामलीला समिति के उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता कुलदीप गुप्ता ने अयोध्या शोध संस्थान एवं संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के अधिकारियों तथा दीपांजलि समाजोत्थान समिति को धन्यवाद देते हुए बताया कि रामलीला में नक्कारे के प्रयोग से हमारे दर्शकों में एक नया उत्साह देखने को मिला और रोज से कहीं अधिक दर्शक आज की रामलीला में आखिर तक डटे रहे।
अध्यक्ष ओम प्रकाश पाल ने कहा कि आज की रामलीला अन्य दिनों से कुछ अलग हटकर रही। जिसने दर्शकों को अन्त तक जोड़े रखा। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में अयोध्या शोध संस्थान की ओर से पुनः यदि ऐसी कोई पहल होती है तो श्री महाराणा प्रताप रामलीला समिति उसमें बढ़-चढ़कर सहभागिता करेगी।
लक्ष्मण अभिनेता डॉ. दीपकुमार शुक्ल के निर्देशन में जटायु मोक्ष से लंका दहन तक मंचित हुई रामलीला में राम की भूमिका रमेश दीक्षित ने तथा लक्ष्मण की भूमिका पूर्णेश बाजपेयी ने निभाई, जबकि रत्नाकर मिश्र बाली और फिर रावण बने। सुग्रीव बने हास्य अभिनेता अशोक लपेटू ने बाली से युद्ध करते हुए दर्शकों को खूब हंसाया। जटायु शिवाकान्त बाजपेई, शबरी मुकेश, तारा कंचन, अंगद शिव प्रसाद सिंह, हनुमान सन्तोष भदौरिया, अक्षय कुमार अंकित मिश्रा, सीता करन मिश्र, लंकिनी अजय, त्रिजटा सौरभ, मन्दोदरी राजू, सुमाली बृज नन्दन, विभीषण पवन, शुक सन्त राम, सारंग मलखान सिंह तथा मेघनाद बने देवांशु आदि कलाकारों ने अपने प्रभावशाली अभिनय से खूब तालियाँ बटोरी।
व्यास के रूप में हारमोनियम पर अनूप पाण्डेय, नाल पर देवी प्रसाद तथा नक्कारे पर विशाल ने सराहनीय प्रदर्शन कियाद्य प्रस्तुति नियन्त्रक के रूप में अमर नाथ अवस्थी, रिंकू तिवारी, मनीष पाल तथा अंशू पाल ने सहभागिता की।