Wednesday, July 3, 2024
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हाथरस लोकसभा पर फिर कब्जा करने को बाहरी नेताओं में लट्ठम लट्ठा?

♦ क्या भाजपा के पास नहीं है स्थानीय सांसद बनने लायक नेता?
♦ जो भी सांसद रहे, नहीं कर सके लोकसभा में हाथरस के विकास की मांग?
♦ शीर्ष नेतृत्व से वही सांसद बात कर पाता है जो अपने काम के बल पर जीत हासिल करता है?
♦ मोदी जी की हवा में जीतने वाले सांसद किस दम पर करेंगे शीर्ष नेतृत्व की आंख में आंख डालकर बात?
हाथरस: जन सामना संवाददाता। आगामी लोकसभा चुनाव में हाथरस सीट से प्रत्याशी बनने को बाहरी नेताओं में लट्ठम लट्ठा होना शुरू हो गई है? अन्य बाहरी जनपदों के निवासी नेता हाथरस पर कब्जा करने को कुछ भी करने को तैयार हैं। सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा पर हाथरस लोकसभा सीट के लिए कोई स्थानीय नेता नहीं है जो सांसद बनने लायक हो?
हाथरस जनपद का यह दुर्भाग्य रहा है कि यहां की जनता ने जिस किसी बाहरी नेता पर विश्वास कर सिर आंखों पर बैठाया उसने ही उन्हें छला है। इस जिले से जीतकर जो भी बाहरी नेता गया उसने पीछे मुड़कर कभी नही देखा,और विकास के लिए हाथरस जनपद मुंह ताकता रहा।
वही हाल इन 5 वर्ष में हाथरस के सांसद राजवीर सिंह दिलेर ने किया है। सांसद 5 वर्ष में हाथरस जनपद के लोगों को ही नहीं पहचान पाए हैं, खासकर पत्रकारिता के क्षेत्र में तो गिने चुने लोग ही होते हैं उन्हें तो हर राजनैतिक व्यक्ति नाम से पुकार लेता है।लेकिन सांसद महोदय उन्हें भी नही जान पाए? हाथरस में सांसद के प्रतिनिधि बने लोग ही सांसद की जड़ों में मट्ठा डालने का काम करने में लगे हुए है? सांसद को पता ही नहीं लगता और खेला भी हो जाता है? सांसद इस गफलत में रहे कि अपने पिताजी के नाम के सहारे ही हाथरस की बाल्मीकि जाति सहित पूरी जनता को आसानी से आजीवन बेवकूफ बनाते रहेंगे? नेताओं की ऐसी सोच की वजह से ही हाथरस जनपद आज भी पिछड़ा बना हुआ है?
इसीलिए उनके निकटस्थ राजनीतिक लोग ही उन्हें हाथरस में जीतते हुए नहीं देखना चाहते। यही वजह रही है कि उनका विरोध हाथरस जनपद से ही शुरू हो गया है,भाजपाइयों द्वारा ही सजातिय एक अन्य नेता को हाथरस क्षेत्र में स्थापित किए जाने का जोरदार प्रयास किया है, जिससे सांसद के वर्चस्व को बड़ी चुनौती मिली है।
भाजपा सांसद का विरोध हाथरस में उनके सजातियों और भाजपा के नेताओं द्वारा किया जाना और सम्भावित प्रत्याशी की बैठकें कराना बहुत बड़ी बात है, क्योंकि कोई छोटी मोटी हस्ती बिना किसी वजूद के इतना बड़ा कदम नहीं उठाती। स्थानीय भाजपा नेताओं ने भी जनता की नब्ज टटोल कर ही सम्भावित प्रत्याशी को सामने खड़ा किया है।
जनता की स्थानीय प्रत्याशी की मांग में चुनाव से पूर्व बदलाव लाने के प्रयास नहीं किए गए तो आगामी लोकसभा चुनाव में मोदी-योगी के नाम पर वोटों की बारिश की आस लगाए बैठे भाजपा प्रत्याशी को झटका भी लग सकता है।
हाथरस लोकसभा सीट पर विगत कई सालो से बाहरी नेता कब्जा जमाए बैठे हैं और अब आने वाले चुनाव में भी हाथरस पर कब्जा करने के लिए बाहरी नेता ही लालायित हैं। भाजपा के वर्तमान सांसद राजवीर सिंह दिलेर अलीगढ़ के निवासी हैं तो वहीं भाजपा से ही सम्भावित लोकसभा प्रत्याशी भी बाहरी बताये जा रहै हैं।
जब कोई बाहरी प्रत्याशी आता है तो वह लोगों के काम आना तो बहुत दूर की बात है,वह कार्यकर्ता को भी नही पहचानता है।इसलिए ही राजनीतिक पार्टियों से हाथरस के मतदाता परेशान हैं जो जनता का काम और जनपद का विकास नहीं कर पाते उन्हें लगातार टिकट देकर पार्टी की नीतियों के कारण मिल रहे समर्थन के दम पर जितवा कर लोकसभा और विधानसभा पहुंचवा देती हैं। ऐसे लोगों के काम का स्थलीय परीक्षण कुछ नहीं करातीं। आखिर राजनीतिक दल हाथरस लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं के धैर्य की परीक्षा और ज्यादा न लें प्रत्याशी घोषित करने से पूर्व जनता की इच्छा का भी ध्यान रखें तो यह राजनीतिक दलों और हाथरस लोकसभा की जनता के हित में होगा।