Saturday, April 27, 2024
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बच्चों को सुपोषित बनाने में टीकाकरण की बड़ी भूमिकाः सीएमओ

कानपुर। टीकाकरण के महत्व को समझाते हुए कानपुर नगर के मुख्य चिकित्साधिकारी डा. आलोक रंजन ने बताया कि बीमारी के विरुद्ध रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात इम्युनिटी बढ़ाने के लिए टीकाकरण बेहतर और आवश्यक उपाय है। बच्चों में संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए टीकाकरण सबसे उपयुक्त, प्रभावी और सस्ती व्यवस्था मानी जाती है, लेकिन रूढ़िवादी परंपराओं के तहत आज भी ग्रामीण क्षेत्र के बड़ी संख्या में बच्चे टीकाकरण से वंचित रह जाते हैं। समय पर टीकाकरण न हो पाने के कारण बच्चे असाध्य रोगों के शिकार हो जाते हैं। गौरतलब है कि हर वर्ष 16 मार्च को राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस मनाया जाता है। डा. आलोक रंजन बताते हैं कि बच्चों को सुपोषित बनाने में भी टीकों की बड़ी भूमिका है क्योंकि टीके से वंचित बच्चा यदि लम्बे समय तक दस्त (डायरिया) का शिकार हो गया तो उसका समुचित विकास बाधित हो जाएगा। इसका असर शारीरिक स्वास्थ्य पर ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। जिससे इस तरह के बच्चे पढाई-लिखाई में भी पिछड़ जाते हैं जिससे उनका पूरा जीवन चक्र प्रभावित होता है। उन्होंने बताया की डिजिटलीकरण के युग में अब नियमित टीकाकरण भी ऑनलाइन हो गया है। युविन पोर्टल के माध्यम से सर्टिफिकेट भी डाउनलोड कर सकेंगे।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. यूबी सिंह का कहना है कि टीके के बल पर ही देश से पोलियो और चेचक को ख़त्म करने में सफलता मिली है। टीके के बल पर ही खसरा, जापानी इन्सेफ़लाइटिस (जेई) व टिटनेस जैसी बीमारियों पर काफी हद तक नियन्त्रण पा लिया गया है। बच्चों को बीसीजी का टीका दिया जा रहा है ताकि टीबी का शरीर के अंदर फैलाव रोका जा सके। गलघोंटू, काल, खांसी, डिप्थीरिया, डायरिया जैसी तमाम बीमारियों से बच्चों को सुरक्षित बनाने के लिए आज हमारे पास टीके मौजूद हैं, जिन्हें नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत लगाकर बच्चों को पूर्ण प्रतिरक्षित बनाने की कोशिश चल रही है।
वर्ष 1995 से मनाया जा रहा दिवस
राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस की शुरुआत वर्ष 1995 में मुंह के जरिये दी जाने वाली पोलियो की खुराक की शुरुआत के साथ हुई थी, तब से हर साल 16 मार्च को हर किसी को बीमारियों से सुरक्षित बनाने के लिए टीके की अहमियत समझाई जाती है ।
यह है टीका
टीके, एंटीजन होते हैं। टीके के रूप में दी जाने वाली दवा या तो रोगकारक जीवाणु या विषाणु की जीवित लेकिन क्षीण मात्रा होती है। कई बार इन्हें मारकर/अप्रभावी करके या कोई शुद्ध किया गया पदार्थ, जैसे प्रोटीन आदि हो सकता है।
आईये जानें जनपद की रिपोर्ट
जनपद में इस वर्ष अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 तक कुल कार्यभार के सापेक्ष 89.89 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण हुआ। बीसीजी का टीका 108.51 प्रतिशत, पोलियो ड्राप 94.56 प्रतिशत, पांच वर्ष तक के बच्चों को डीपीटी का टीका 99.60 प्रतिशत, 10 वर्ष तक के बच्चों को टीटी का टीका 95 .41 प्रतिशत और 16 वर्ष तक के बच्चों का टीका 84.42 प्रतिशत हुआ। वर्ष 2022-23 तक कुल कार्यभार के सापेक्ष 109.01 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण हुआ। बीसीजी का टीका 135.18 प्रतिशत, पोलियो ड्राप 130.17 प्रतिशत, पांच वर्ष तक के बच्चों को डीपीटी का टीका 146.34 प्रतिशत, 10 वर्ष तक के बच्चों को टीटी का टीका 140.41 प्रतिशत और 16 वर्ष तक के बच्चों का टीका 163.06 प्रतिशत हुआ।
क्या कहता है राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-05
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार जनपद में वर्ष 2019-21 में 96.4 प्रतिशत बच्चों के पब्लिक हेल्थ फैसिलिटी में टीकाकरण प्राप्त किया तो वहीं 81.2 प्रतिशत बच्चों का सम्पूर्ण टीकाकरण हुआ। 93.7 प्रतिशत बच्चों को बीसीजी का टीका लगाया गया।