Monday, May 6, 2024
Breaking News
Home » लेख/विचार » गर्मी से लड़ने की बारी, कैसे करें तैयारी

गर्मी से लड़ने की बारी, कैसे करें तैयारी

गर्मी की शुरुआत हो चुकी है। पारा धीरे धीरे अपना स्तर बढ़ा रहा है। ऐसे में यह जरूरी है कि हम भी अपने शरीर की सुरक्षा और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सतर्कता बरतें। ठण्ड के मौसम के बाद बढ़ती गर्मी बदलते मौसम के साथ साथ कई ऐसी बीमारिया भी दस्तक देती हैं जो हमारी दिनचर्या को प्रभावित कर देती हैं। गर्मी के मौसम में सेहत को लेकर कई तरह की चुनौतियां होती हैं। तेज धूप और गर्म हवा से स्किन का बुरा हाल तो होता ही है साथ में डिहाइड्रेशन, उल्टी, दस्त जैसी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है।
दरअसल कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं जो मौसम के बदलने से होती हैं जैसे सर्दियों में फ्लू, कोल्ड-कफ सामान्य हैं। मानसून आते ही डेंगू, मलेरिया आदि बीमारियां होती। गर्मियों में डायरिया, फूड पॉइजनिंग की संभावनाएं बढ़ जाती है। ये बीमारियां वातावरण में जलवायु के परिवर्तन के दौरान संक्रमण काल के कारण वेक्टीरियाओं की सक्रियता से पनपती हैं। ऐसे में मौसम की मार इंसान के लिए मुसीबत का सबब भी बन जाती है।
गर्मियों में हीट स्ट्रोक, हीट रैश, अत्यधिक गर्मी से थकावट, अत्यधिक पसीना, सिर दर्द, चक्कर, हृदय गति तेज होना आदि सामान्य तौर पर देखा जाता है। हिहाइड्रेशन, फूड प्वाइजनिंग, सनबर्न , घमौरी, डायरिया का खतरा बढ़ जाता है। गर्मियों में सबसे बड़ी समस्या आमतौर पर डिहाइड्रेशन है जिसमें हमारे शरीर में पानी का संतुलन बिगड जाता है। शरीर में पानी की कमी और पानी का शरीर से बाहर निकलना बढ़ जाता है – पसीने के रूप में या पेट की खराबी से।
ऐसे में ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। ताजे फलों का जूस पिये। सिकंजी बनाकर पिएं। पानी खूब पिएं। कोशिश करें कि ज्यादा धूप के संपर्क में ना रहें। वहीँ हीट स्ट्रोक तेज धूप में इंसान पर पड़ने वाला सबसे बड़ा खतरा होता है। गर्मी के मौसम में लू लगना सामान्य समस्या है। लू लगने पर लू लगने पर सूते भीगे कपडे को निचोङकर शरीर को ढकें और डाक्टर से तत्काल इलाज लेना बहुत जरूरी है। नहीं तो यह खतरनाक रूप ले सकता है। कुछ परिस्थितियों में यह शरीर के महत्वपूर्ण आंतरिक अंगों को प्रभावित कर देता है। इससे बचने के लिए ज्यादा देर तक धूप में न रहें। बहुत आवश्यक होने पर आंखों पर सनग्लास व केप स्कार्फ पहनकर ही घर से निंकलें। खाली पेट घर से कभी न निकलें। धूप से आने के कुछ देर रुककर ही जलपान गृहण करें।
ज्यादा देख देर तक सूर्य की रोशनी में रहने रैसै इन दिनों पड जाते है जिसमें त्वचा लाल पड़‌ जाती है इससे बचने के लिए अपने शरीर को ढक कर रखें हल्के रंगों के कपड़े पहनें और खुली त्वचा पर सनस्क्रीन लोशन लगाकर रखें। नहाने के लिए पानी में नीम की पत्तियों का पानी मिलाकर नहाएं।
पाचन शक्ति ठीक से कार्य करे, इसके लिए तेज मिर्च-मसालेदार, तले हुए एवं गरिष्ठ भोजन से जहां तक हो सके परहेज करें। भूख से दो रोटी कम सेवन करें एवं दिन में पीने के लिए पानी का उपयोग ज्यादा करें। बासी खाना न खाएं। दिन में छाछ या दही का इस्तेमाल खाने में करें। घर से बाहर निकलें तो पीने का पानी साथ लेकर निकलें। किसी भी गंभीर समस्या होने पर चिकित्सक से तत्काल संपर्क कर इलाज जरूर लें। मक्खी मच्छरों से बचने के लिए घर की पानी वाली जगह जैसे सिंक नाली आदि में एक ढक्कन मिट्टी का तेल या फिनायल डालने से मच्छर मक्खी के लारवा मर जाते हैं यह बीमारियों का कारण बनते हैं। मौसम की मार से बचने के लिए सावधानी और स्वास्थ्य सुरक्षा ही पहला इलाज होता है।
मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन : खानपान में तीखे मसालों का प्रयोग करने से शरीर का तापमान बढ़ने लगता है। दरअसल, हाई कैलोरी और फैट से भरपूर फूड हमारे पाचनतंत्र को कमजोर कर देता है। इससे शरीर का पाचनतंत्र प्रभावित होने लगता है। ज्यादा मसालेदार खानपान से ज्यादा पसीना बहता है। ऐसे में तलाभुना और मसालेदार फूड के बजाय मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करें। उन फलों और सब्जियों को खाएं, जिनमें पानी की मात्रा अधिक होती है, जैसे खीरा, ककङी, गाजर, खरबूज और अन्य पत्तेदार सब्जियां। बाजार में खुले में कटे फलों के सेवन से बचें।
गर्मियों में इन चीजों से दूर रहें : बार-बार चाय या कॉफी पीने से बचें। इससे शरीर में गर्मी बढ़ती है और अत्यधिक कैफीन डिहाइड्रेशन का कारण भी बन सकती है।
बासी खाना खाने से बचना चाहिए। कई बार वो पाचनतंत्र को गड़बड़ाने का कारण सिद्ध हो सकता है। हल्का और ताजा बना खाना खाएं। तेज ठण्डे पानी या कोल्ड ड्रिंक के बजाए घङे का पानी पिएं। सुबह उठकर काम निपटा लें और जल्दी सुबह व्यायाम और टहलने की आदत बनाएं अपने बालों और स्किन को धूप से सुरक्षा दें सिर में पसीने को रुकने न दें इसके लिए सूती कपङे से सिर को ढक कर रखें।

डॉ. ज्योति दिलारे
(चिकित्सक एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ)