Wednesday, May 1, 2024
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अखिल भारतीय आयुर्वेद विज्ञान संस्थान प्रबंधन ने पोस्ट की कैंसर के लक्षण और बचाव की जानकारी

रायबरेलीः जन सामना संवाददाता। मिली जानकारी के मुताबिक अखिल भारतीय आयुर्वेद विज्ञान संस्थान रायबरेली में इसी सप्ताह से कैंसर के इलाज की सुविधा शुरू की जाएंगी। इसी के मद्देनजर अखिल भारतीय आयुर्वेद विज्ञान संस्थान प्रबंधन ने ट्विटर पर कैंसर के लक्षण और बचाव की जानकारी साझा करते हुए पोस्ट की।
कैंसर रोगियों को तरह-तरह के शारीरिक लक्षण होते हैं, जैसे कि दर्द, सांस फूलना, खून का रिसाव, पेशाब करने में तकलीफ, दस्त, पानी की कमी हो जाना, बेसुधी, थकान, भोजन निगलने में असमर्थता, नींद ना आना, चिंता, डिप्रेशन इत्यादि। इसके साथ-साथ उनको मानसिक परेशानियां भी होने लगती हैं।
इसलिए, कैंसर से जूझ रहे मरीजों को कैंसर का पता लगने पर जितना जल्द हो सके पैलिएटिव केयर के बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए। जो मेंटल हेल्थ को ठीक रखने में बेहद मददगार है। आमतौर पर कैंसर स्पेशलिस्ट का फोकस कैंसर को जड़ से ठीक करने या कंट्रोल करने के कारण, केवल शरीर पर ही होता है और मानसिक परेशानियों को नजर अंदाज कर दिया जाता है। जब रोग फैल जाता है और जड़ से ठीक होना संभव नहीं होता, तो पैलिएटिव केयर ही एक विकल्प बचता है।पैलिएटिव केयर एक विशेष तरह की देखभाल है, जिसमें कैंसर का पता चलते ही इसे आरंभ कर देने से रोगियों की शारीरिक तकलीफों के साथ-साथ उनकी मानसिक समस्याओं से भी राहत मिलती है।
यह जानते हुए भी कि अब रोग को जड़ से ठीक करना संभव नही है। बिना जरुरत के महंगी जांचें, दवाएं, बार-बार हॉस्पिटल में दाखिल करना, आईसीयू में ले जाना या वेंटिलेटर में डाल देने से रोगी की हालत और भी बिगड़ जाती है, यह सब पैलिएटिव केयर में नहीं किया जाता।पैलिएटिव केयर का उद्देश्य रोगियों तथा उनके परिजनों को सभी परेशानियों से राहत दिला कर, उनके जीवन की गुणवत्ता बढ़ाते हुए, उनको यथासंभव आत्मनिर्भर बनाना होता है, जिससे वह शांति के साथ अपना बचा हुआ जीवन जी सकें।
शुरुआत में पैलिएटिव केयर से रोगी, कई सालों और दशकों तक भी अपना काम काज करते हुए सही से जीवन जी सकते हैं।
पैलिएटिव केयर स्पेशलिस्ट अन्य स्पेशलिस्ट, साइकोलोजिस्ट, पैलिएटिव केयर नर्से, फ़िज़ियोथेरेपिस्ट इत्यादि की टीम की देखरेख में पैलिएटिव केयर ओपीडी, डेकेयर, दाखिल कर के और घर में भी दी जा सकती है। रोगी को पैलिएटिव केयर सेंटर मे बिना जरुरत की जांचें, प्रोसीजर, दवाएं तथा दाखिले की जरुरत न होने के कारण, यह काफी किफायती होती है।
इसके साथ-साथ रोगी के परिजनों को ट्रैन किया जाता है की रोगी की देखभाल घर में कैसे की जा सकती है। आगे आने वाली समस्याओं की रोकथाम तथा पहचान कैसे करें तथा इमरजेंसी पड़ने पर हॉस्पिटल लाने की परामर्श दी जाती है।