Sunday, May 5, 2024
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जन सूचना का अधिकार अधिनियम की उड़ाई जा रहीं है धज्जियां

महराजगंज, रायबरेली। नगर पंचायत के अधिकारियों ने जन सूचना के अधिकार का मजाक बनाकर रख दिया है। क्षेत्र के रहने वाले रिंकू जायसवाल का कहना है कि सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) इसलिए लागू किया कि सरकारी कामकाज में पारदर्शिता रहे। लोग सूचनाएं प्राप्त कर सकें ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे और अधिकारियों व कर्मचारियों की जवाबदेही तय हो। लेकिन नगर पंचायत महराजगंज के अधिशासी अधिकारी ने इसका भी मखौल बनाकर रख दिया है। रिंकू ने बताया कि विगत करीब 3 माह से हमारे द्वारा जन सूचना मांगी जा रही है, लेकिन इन मामलों मे नगर पंचायत की अधिशासी अधिकारी अपर्णा मिश्रा ने ठान रखा है कि चाहे कुछ भी हो जाए आरटीआई के तहत कोई सूचना देनी ही नहीं है। जिससे तंग आकर रिंकू जायसवाल ने जिलाधिकारी हर्षिता माथुर को ज्ञापन देते हुए न्याय की गुहार लगाई है, जिलाधिकारी ने आश्वासन देते हुए कहा कि इस मामले में जल्द कार्रवाई की जाएगी।
सोचने वाली बात यह है कि जिला अधिकारी को इस मामले की जानकारी प्राप्त हो चुकी है फिर भी, नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी निडर हैं। नगर पंचायत के इस रवैये से क्षेत्र वासियों का कहना है कि उन्होंने अब आवेदन करना ही बंद कर दिया है।
आवेदक का कहना है कि शिकायत की तह में जाने का प्रयास किया गया तो पता चला कि नगर पंचायत की आरटीआई विंग में रजिस्टर तो मेंटेन हो रहा है लेकिन आवेदन लेकर फाइलों में दफन कर दिए जाते हैं। ज्यादातर आवेदन बाबू से आगे ही नहीं बढ़ते।
संबंधित पक्षकारों ने कई बार अधिकारियों को लिखित व मौखिक रूप से रिमाइंडर के बाद भी इनकी कोई सुनवाई नहीं की जा रही है। सूचना उपलब्ध नहीं कराने पर लोगों का कहना है कि अपनी गड़बडिय़ों तथा सरकारी धन के कथित रूप से हुई दुरुपयोग को छिपाने के लिए नगर पंचायत के अधिकारी जान-बुझकर ऐसा कर रहे हैं।
नियमतः आरटीआई अधिनियम के तहत आवेदन करने वाले व्यक्ति को तीस दिन की अवधि में वांछित सूचना देना जरूरी है या उसे इस अवधि तक सूचित करना पड़ता है। इसके बाद वह अपील कर सकता है। मगर ज्यादातर लोग जानकारी के अभाव में आगे अपील नहीं कर पाते हैं। इसी का फायदा उठाकर नगर पंचायत के अधिकारी उन्हें चक्कर कटवाते रहते हैं।