Wednesday, June 26, 2024
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » ब्रज में ग्रामीण पर्यटन को रोप वे, क्रूज से लगेंगे पंख

ब्रज में ग्रामीण पर्यटन को रोप वे, क्रूज से लगेंगे पंख

मथुरा। ब्रज में ग्रामीण पर्यटन को पर लग रहे हैं। यमुना में क्रूज के बाद बरसाना में रोप वे आकर्षण का केन्द्र होंगे। इसके अलावा भी कई योजनाएं जल्द पूरा होने जा रही हैं। इन योजनाओं के पूरा होने के बाद मथुरा तक पहुुंचने के लिए बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग पर भी तेजी से काम चल रहा है। हालांकि ब्रज क्षेत्र में पहले रोप वे का इंतजार बेचौनी बढ़ा रहा है। बरसाना में सात साल पहले रोप वे प्रोजेक्ट का उद्घाटन हुआ था। अभी भी लोगों को रोप वे का इंतजार है। बरसाना की पहाडी पर बने लाडली मंदिर तक श्रद्धालुओं के पहुंचने और ग्रामीण पर्यटन को बढावा देने के लिए रोपवे का निर्माण किया जा रहा है। गत दिनों में मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण की बैठक में बरसाना रोपवे को लेकर मण्डलायुक्त रितु महेश्वरी के सख्त निर्देश के बाद भी रोप वे का कार्य रेंगता नजर आ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट में सामिल बरसाना के रोपवे को बनते बनते आज सात वर्ष से अधिक होने जा रहे हैं। उच्चाधिकारियों के सख्त निर्देश के बाद भी मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण के अधिकारी और रोपवे निर्माणक कंपनी पर कोई असर नहीं दिखाई दे रहा। बरसाना में निर्माणधीन रोपवे का पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सन 2016 में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती पर विश्व विख्यात श्रीराधारानी मंदिर के दर्शनार्थियों के लिए रोपवे का शिलान्यास कर सरकार ने बजट भी पास कर दिया। 15 से 20 करोड़ की लागत से बनने वाले रोपवे को एमवीडीए ने कंपनी से अनुबंध कर प्राधिकरण ने उद्यान विभाग से 3600 वर्गमीटर जमीन भी हासिल कर इसका प्रस्ताव भी मंजूर कर दिया। एडवोकेट संजय गोस्वामी पूर्व मन्दिर रिसीवर का कहना है कि बरसाना का श्रीराधारानी मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। वहीं योगी सरकार द्वारा बरसाना को तीर्थ स्थल भी घोषित कर दिया है। लेकिन बड़े दुर्भाग्य का विषय है कि सात वर्षों में भी रोपवे का काम पूरा नहीं हुआ है। मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण द्वारा रोपवे को लेकर कार्यवाही के लिए भी कहा गया। लक्ष्मण प्रसाद शर्मा पूर्व जेल विजिटर का कहना है कि विश्व विख्यात लाडली जी मंदिर की 350 सीढियां है, वृद्धजनों एवं दिब्यांगजनों के लिए चढ़ना बहुत कठिन है।