Friday, September 20, 2024
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आरोप: डलमऊ तहसील में फर्जी मालिक बनकर कूट रचित दस्तावेजों के साथ बेंच डाली साढ़े चार बीघे जमीन, डीएम से हुई शिकायत

पवन कुमार गुप्ताः रायबरेली। जिले के अंदर भ्रष्टाचार इस कदर ब्याप्त हो चुका है कि कदम कदम पर लोगो के साथ फर्जीवाड़ा हो रहा है। बता दें कि जिले के सलोन तहसील क्षेत्र में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र की आग अभी तक शांत भी नहीं हुई थी कि इधर डलमऊ तहसील क्षेत्र में अब फर्जीवाड़े की आग पनप उठी। सलोन में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का खेल अधिकारियों के रहमो करम पर खेला जा रहा था तो इधर डलमऊ में रजिस्ट्री कार्यालय की नाक के नीचे असली जमीन के नकली मलिक बनकर 4.30 बीघा जमीन का सौदा हो गया, जो पूरे सिस्टम के मुंह पर तमाचा है। दरअसल पूरा मामला प्रकाश में तब आया जब जमीन के असली मालिक युवांशु यादव निवासी 1 बी 218 एमआईजी आवास विकास बस्ती शिकोहाबाद जिला फिरोजाबाद को हुई। युवांशु की 4.30 बीघा जमीन गंगापुर बरस में है, जिसका बैनामा सन 2020 में युवांशु ने कराया था। लेकिन गजब तो तब हो गया जब युवांशु की फर्जी आईडी बनाकर एक महिला के रसूक पर पूरा खेल रचा गया। जिसका नाम रामरति निवासी अरारी मजरे दूकनहा लालगंज जो प्रॉपर्टी डीलर की मुख्य भूमिका के तहत बैनामा के नाम पर क्रेता से 10000 वसूले व मोहम्मद यूनुस उर्फ पप्पू पुत्र राजा घुशी जो घोसियाना रायबरेली का रहने वाला है और छोटेलाल तथा भारत पुत्र बैजू बसंतपुर कठोइया की मिली भगत से क्रेता रेखा पत्नी अमित को झांसे में लेकर जमीन को 32 लाख में कूड़े के भाव बेच दिया गया और असली मालिक को कानों कान खबर नहीं हुई नकली मलिक ने पूरा सजरा तैयार कर तहसील डलमऊ के रजिस्ट्री कार्यालय में फर्जी वाडे को अंजाम देने में सफल हुआ। मामले का खुलासा क्रेता रेखा व अमित को दाखिल खारिज के वक्त जानकारी में आया तो कोतवाली डलमऊ में तहरीर देकर अपने साथ हुई ठगी का जिक्र किया और कार्यवाही की मांग की। वहीं दूसरी ओर जमीन के असली हकदार युवांशु ने भी अपने साथ हुए सनसनी खेज फर्जीवाड़े की पूरी पृष्ठभूमि तहसीलदार डलमऊ के सामने रखकर न्याय की गुहार लगाई। साथ ही कोतवाली पुलिस को भी पूरे मामले से रूबरू कराया। वहीं पीड़ित प्रार्थी युवांशु ने बताया कि इस मामले में गजब तो तब हो गया, जब जमीन का सौदा करने वाली डीलर रामरती ने मामले का खुलासा होता देख जमीन के मालिक के ऊपर फिरौती और बंधक बनाने जैसे बेबुनियाद आरोपो का ठीकरा फोड़ दिया। जो लालगंज पुलिस की जांच में हवा हवाई निकली। खैर देखने वाली बात तो यह होगी कि इतने बड़े फर्जी वाडे को जन्म देने वाले अधिकारियों की गिरेबान तक कब कानून के हांथ पहुंचते हैं।
क्या तहसील स्तर के अधिकारियों ने मिलकर किया फर्जीवाड़ा?
उक्त मामले को लेकर सवालों के कठघरे में डलमऊ रजिस्ट्री कार्यालय के अधिकारी पर लोगों को संदेह है, जिनके कंधों पर फर्जीवाड़े से निपटने की जिम्मेदारी होती है। जमीन किसी दूसरे की बेंचा किसी तीसरे ने बेंच दी। आखिर यह कैसे संभव है.?
सवाल तो यह भी है कि क्या आसानी से किसी की फर्जी आईडी बनाकर दूसरा व्यक्ति जमीन का सौदा कर सकता है.? फिलहाल डलमऊ तहसील के रजिस्ट्री कार्यालय में इस पूरे मामले को अमली जामा पहनाया गया है। इतने बड़े फर्जीवाडा से अगर परतदर परत राज खुले तो जद में कई कर्मचारी व अधिकारीयों की संलिप्तता भी पाई जा सकती है।
उक्त गम्भीर प्रकरण को पीड़ित प्रार्थी द्वारा रायबरेली जिले के जिला अधिकारी हर्षिता माथुर और पुलिस अधीक्षक अभिषेक अग्रवाल तक पहुंचाया जा चुका है। अब देखना यह है डलमऊ तहसील के अंदर व्याप्त भ्रष्टाचार की जड़ को क्या जिलाअधिकारी हर्षिता माथुर निष्पक्ष जांच कर पीड़ित प्रार्थी को उसकी असली जमीन यानी उसका हक दिला पाएंगी ? क्या जिलाधिकारी अपने ही महकमे के आला अधिकारियों पर कोई ठोस कार्रवाई कर सकेंगी ? यदि ऐसा नहीं होता है तो रायबरेली जिले के अंदर इस तरह के भ्रष्टाचार और फर्जीवाडे जैसे मामले को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।