Saturday, October 12, 2024
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सर्वज्ञ श्री चक्रधर स्वामी मराठी भाषा तथा तत्त्वज्ञान अध्ययन केंद्र का कुलपति ने किया निरीक्षण

वर्धा: जन सामना डेस्क। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के रिद्धपुर (अमरावती) स्थित सर्वज्ञ श्री चक्रधर स्वामी मराठी भाषा तथा तत्त्वज्ञान अध्ययन केंद्र पर संचालित करने हेतु प्रस्‍तावित पाइलेट परियोजना के संचालन हेतु आवश्यक व्यवस्था आदि का निरीक्षण करने के लिए विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह ने कुलसचिव प्रो. आनंद पाटील के साथ 8 अक्‍टूबर 2024 को केंद्र का औचक दौरा किया। इस अवसर पर महानुभाव पंथ के अध्‍येता मोहन बाबा कारंजेकर, सद्य स्थापित मराठी भाषा विद्यापीठ के प्रथम कुलपति प्रो. अविनाश आवलगांवकर एवं महंत राजधर वाईंदेशकर बाबा उपस्थित रहे।
निरीक्षण के क्रम में सबसे पहले चक्रधर स्‍वामी की प्रतिमा पर पुष्‍प अर्पित किया गया और केंद्र का निरीक्षण किया गया। इसके उपरांत कुलपति प्रो. सिंह ने मोहन बाबा कारंजेकर एवं डॉ. अविनाश आवलगांवकर का स्‍वागत पुष्‍पगुच्‍छ एवं अंगवस्‍त्र प्रदान कर स्वागत किया। इस अवसर पर मोहन बाबा कारंजेकर ने कहा कि सभी भारतीय भाषाओं का अध्‍ययन, अध्‍यापन हो इस विचार से विश्‍वविद्यालय के रिद्धपुर केंद्र की स्‍थापना की गई। रिद्धपुर में संतों द्वारा लिखे गए 4500 दुर्लभ ग्रंथों की पांडुलिपियाँ मौजूद हैं। इस ग्रंथ संपदा का सभी भारतीय भाषाओं में अनुवाद कर देश-दुनिया में पहुँचाना आवश्‍यक है। उन्‍होंने कहा कि मराठी भाषा की दृष्टि से रिद्धपुर ऐतिहासिक महत्त्व का स्थान है और यहाँ विश्‍वविद्यालय का केंद्र स्‍थापित होना हम सभी के स्‍वाभिमान का विषय है। उन्‍होंने विश्‍वास चताया कि इस केंद्र के माध्‍यम से चक्रधर स्‍वामी के जीवन दर्शन को विश्‍व‍पटल पर ले जाया जा सकता है।
विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. कृष्‍ण कुमार सिंह एवं कुलसचिव प्रो. आनन्‍द पाटील के साथ मराठी भाषा विद्यापीठ के कुलपति प्रो. अविनाश आवलगांवकर एवं महंत राजधर वाईंदेशकर बाबा मंचस्‍थ थे। विवि के कुलपति प्रो. सिंह ने कहा कि हिंदी और मराठी भाषा का उद्गम काल एक ही है। भाव, विचार और शब्दों के स्‍तर पर दोनों भाषाओं में समानताएँ हैं। रिद्धपुर केंद्र की स्‍थापना के पीछे नई पीढ़ी को संस्‍कृतिक विरासत से परिचय कराना महत्‍वपूर्ण लक्ष्‍य है। उन्‍होंने आशा व्‍यक्‍त की कि मोहन बाबा कारंजेकर के मार्गदर्शन में यह केंद्र बड़ा आकार लेगा। उन्‍होंने कहा कि विश्‍वविद्यालय की ओर से रिद्धपुर केंद्र में शोध हेतु विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को एक पायलट प्रोजेक्‍ट चलाने के लिए प्रस्‍ताव भेजा गया है, जिसकी स्‍वीकृति मिलने पर यहाँ हिंदी-मराठी भाषाओं की आवा-जाही बढ़ेगी।
मराठी भाषा विद्यापीठ के कुलपति प्रो. अविनाश आवलगांवकर ने कहा कि रिद्धपुर में मराठी का प्राचीन साहित्‍य लिखा गया। वस्तुतः स्‍त्री, दलित एवं आदिवासी स्‍वतंत्रता का प्रारंभ यहीं से हुआ है। संस्‍कृति के अध्‍ययन की दृष्टि से भाषा महत्‍वपूर्ण स्रोत होती है। इस दिशा में प्राचीन साहित्‍य का प्रचार-प्रसार आवश्‍यक है। उन्‍होंने कहा कि हाल के दिनों में भाषा अध्‍ययन के प्रति रुचि बढ़ी है। हमें इसका लाभ उठाते हुए नई पीढ़ी को रिद्धपुर के प्राचीन ग्रंथों को विभिन्‍न भाषाओं में उपलब्‍ध कराने चाहिए।
निरीक्षण के उपरांत माननीय कुलपति ने सभी के साथ गोविंद प्रभु राजमठ संस्‍थान का भ्रमण किया और रिद्धपुर में उपलब्ध दुर्लभ पांडुलिपियों एवं अन्य साहित्य का अवलोकन किया। यह पांडुलिपियाँ लगभग 1000 वर्ष पुरानी हैं।
विश्वविद्यालय ने पाइलेट परियोजना की आरंभिक शुरुआत के लिए दो अतिथि अध्यापकों, एक शोध अनुषंगी, एक परियोजना सहायक, दो कार्यालय सहायक एवं एक सुरक्षा कर्मी को कर्तव्यस्थ कर दिया है। सभी कर्तव्यस्थ लोगों ने केंद्र पर कार्यभार ग्रहण कर लिया है।
औचक निरीक्षण प्रतिनिधि मंडल के साथ डॉ. राजेश लेहकपुरे, डॉ. जयंत उपाध्‍याय, डॉ. बालाजी चिरडे, डॉ. सीमा बर्गट, डॉ. मीरा निचळे, डॉ. दिग्विजय मिश्र, डॉ. मनोज मुनेश्‍वर, डॉ. जीतेन्द्र, डॉ. कुलदीप पाण्‍डेय, बी.एस. मिरगे, डी. गोपाल उपस्थित थे। केंद्र की प्रभारी डॉ. नीता मेश्राम ने सभी के प्रति आभार व्‍यक्‍त किया।
इस अवसर पर किशोर गोमरकर, संजय कोहळे, राहुलराज शिवनेरकर, रवींद्र कारंजेकर सहित सारंग विरुळकर, भूषण सिरभाते राठोड एवं वाघमारे आदि की उपस्थिति रही।