सलोन, रायबरेली। लौह पुरुष राष्ट्रीय एकीकरण के शिल्पकार, भारत रत्न, सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वी जयंती कंपोजिट विद्यालय खमहरिया पूरे कुशल में धूमधाम से मनाई गई। सरदार पटेल 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में पैदा हुए। आप भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और पहले गृहमंत्री थे। देश के एकीकरण में बेहद अहम भूमिका निभाई ।यही वजह है कि आप को राष्ट्रीय एकता का प्रेरणा स्रोत माना जाता है। यह विचार अनिल कुमार पांडेय प्रधानाध्यापक ने बच्चों एवं अभिभावकों के सामने व्यक्त किया। इस अवसर पर सेवानिवृत शिक्षक मोहम्मद इस्माइल खान ने सरदार वल्लभभाई पटेल के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए कहा कि सरदार पटेल अपने बेहतरीन नेतृत्व और प्रशासनिक क्षमताओं के लिए भी जाने जाते थे। पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने वाले सरदार पटेल को भारत का बिस्मार्क भी कहा जाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देसी रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत के निर्माण में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। सरदार पटेल का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था वह अपने पिता झावर भाई पटेल और माता लदबा की चौथी संतान थे। लंदन में बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। गांधी जी के विचारों से प्रेरित होकर भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षक अनुराग श्रीवास्तव, बलवंत सिंह, सायमा खानम, शहवार अयाज, उषा देवी अभिभावक श्रवण कुमार मिथलेश सहित समस्त बच्चों को इसी विद्यालय से सेवानिवृत हुए शिक्षक मोहम्मद इस्माइल खान ने राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता को क़ायम रखने की शपथ दिलाई।