किरठल के आर्य महाविद्यालय गुरुकुल के 101वे वार्षिकोत्सव में वैदिक सत्य सनातन धर्म पर चर्चा
बागपत। जनपद के किरठल गांव स्थित आर्य महाविद्यालय गुरुकुल में वैदिक विद्वानों ने वैदिक सत्य सनातन धर्म पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान जहां एक ओर गुरुकुल का 101 वां वार्षिकोत्सव ब्रह्मचारियों द्वारा योग शारीरिक प्रदर्शन के साथ मनाया गया, वहीं देश के कोने-कोने से आए वैदिक विद्वानों ने वैदिक धर्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वैदिक साहित्य के पठन-पाठन से ही संस्कृति को बढ़ावा मिल सकता है। गुरुकुल महाविद्यालय के प्राचार्य ब्रह्मदत्त शास्त्री ने कहा कि मानव जीवन वैदिक साहित्य संस्कृति और संगीत तीनों का संगम है। इन तीनों के बिना मानव का जीवन पशु तुल्य है।
दूसरे दिन के वार्षिकोत्सव का शुभारंभ वैदिक यज्ञ के साथ हुआ। इसके बाद आयोजित धर्म सभा में देश के विभिन्न कोने से आए विद्वानों ने वैदिक धर्म पर प्रकाश डाला। गुरुकुल के ब्रह्मचारियों ने योग, आसन, शारीरिक प्रदर्शन आदि का प्रदर्शन किया। वैदिक धर्म प्रचारक आचार्य श्रीमती सुलभ शास्त्री ने वैदिक धर्म पर आधारित भजन सुना कर सबको मंत्र मुग्ध कर दिया। गुरुकुल के प्राचार्य आचार्य ब्रह्मदत्त शास्त्री ने कहा कि मानव जीवन में वैदिक साहित्य संस्कृति तथा संगीत तीनों का विशेष महत्व है। उनके बगैर मानव का जीवन पशु तुल्य है। उन्होंने एक सुभाषित की व्याख्या करते हुए कहा कि जिस मानव के जीवन में न यश है, न विद्या है, न तप है, न दान है, न ज्ञान है, न शील है, न गुण है और न धर्म है, वह मनुष्य इस पृथ्वी पर मानव के रूप में विचरण करता हुआ पशु के समान है। उन्होंने कहा कि आज मानव मात्र के वेदों की ओर लौटने की आवश्यकता है। तभी हमारा जीवन सार्थक होगा। सभा का संचालन राष्ट्रवर्धन मुनि ने किया। कार्यक्रम में पूर्व प्रधानाचार्य धर्मपाल आर्य, रवि शास्त्री, संजीव आर्य, वेदपाल आर्य, आचार्य श्रीमती शुलभा शास्त्री, चौधरी इकबाल सिंह, वरिष्ठ पत्रकार डॉ जेपी त्यागी, विश्व बंधु शास्त्री, पूर्व कृषि वैज्ञानिक डॉ यशपाल सिंह आदि ने वेद धर्म पर चर्चा करते हुए वैदिक धर्म की विस्तृत व्याख्या की। कार्यक्रम के अंत में समाजसेवी वरिष्ठ सज्जनों का स्वागत किया गया।