Sunday, May 19, 2024
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रक्षा बन्धन के पावन पर्व में स्नेह प्यार का अटूट रिश्ता

हाथरस, नीरज चक्रपाणि। रक्षा बन्धन पाँच विकारों से आत्मा की रक्षा के लिये बांधा गया पावन एवं आलौकि प्रेम का पवित्र बन्धन है जो हृदय की समस्त कंलुषित वासनाओं को परिष्कृत कर देता है। रक्षाबन्धन का त्यौहार भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को प्रेरणा देने वाला है यह त्यौहार हमें आत्मिक रूप से सम्पन्न और मूल्यनिष्ठ बनने की प्रेरणा देता है। सृष्टि पर एक समय ऐसा था जब नारी को देवी का दर्जा प्राप्ता था और नारी को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। यह त्यौहार हमें उस समय की याद दिलाता है जब परमात्मा स्वयं इस धरा पर अवतरित होकर सर्व मनुष्य मात्र को विकारों से रक्षा के लिये रक्षा सूत्र बाॅधते हैं। जिससे वे पावन बनकर पुनः देवी स्वराज्य के अधिकारी बन जाते हैं। आज इस त्यौहार को पुनः उसी भाव और स्वरूप मे मनाने की आवश्यकता है तभी सर्व मनुष्य मात्र की रक्षा हो सकेगी। यह विचार ब्रह्माकुमारीज की शाखा वरदानी भवन वसुन्धरा एंकलेव की संचालिका ब्रह्माकुमारी रानी बहन ने भुस के नगला आवासीय वृद्ध आश्रम में कहे। रक्षाबन्धन के पावन पर्व के उपलक्ष्य में सभी वृद्धों को राखी बाॅधी गयी और मस्तक पर आत्मिक स्मृति का तिलक लगाकर फल व मिठाई से मुख मीठा कराया और परमात्मा का संदेश दिया जिससे वे भाव विभोर हो गये। राजेश वार्ष्णेय ने रक्षाबंधन का आध्यात्मिक अर्थ समझाया। इस अवसर पर संजय, पंकज गुप्ता, कृष्णकान्त, गौरीशंकर, पप्पू, अर्चना, प्रेम आहुजा, मृदुला, शकुन्तला, माया आदि मौजूद थे।