संघ लोक सेवा आयोग के 927 पदों की भर्ती परीक्षा परिणाम में 829 अभ्यर्थियों का ही परिणाम हुआ घोषित शेष 98 नियुक्तियों को लेकर खड़े हुए सवाल
(पंकज कुमार सिंह)
कानपुर। देश को चलाने वाले ब्यूरोक्रेट्स के चयन के लिए सम्पन्न हुई यूपीएससी-2019 की परीक्षा परिणाम में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की 2019 की वैकेंसी के लिए आईएएस के लिए 180 पद, आईएफएस के 24, आईपीएस के 150 पद सहित सेन्ट्रल सर्विस ग्रुप ए के 438 पद व ग्रुप बी के 135 पद सहित कुंल 927 पदों के लिए विज्ञापन जारी हुआ था। देशभर में यूपीएससी ने इन पदों की भर्ती के लिए चरणबद्ध परीक्षा का अयोजन किया था। जिसका परिणाम गत 4 अगस्त को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सेन्ट्रल सिविल सर्विस के 927 पदों के लिए चयन परीक्षा परिणाम में 829 अभ्यर्थियों का ही परिणाम घोषित किया गया। इन 829 चयनितों में 304 समान्य वर्ग से, 78 ईडब्ल्यूएस, 251 ओबीसी, 129 एससी, 67 एसटी वर्ग के अभ्यर्थी है। शेष 98 पदों के लिए क्या हुआ ? यह बड़ा प्रश्न बनकर उभरा है। इस भर्ती में पदों के एक बड़े घोटाले के रूप में देखा जा है।
सरकार ने प्रेस रिलीज जारी कर बताया है कि सिविल सेवा परीक्षा नियम 16(4)-5 के तहत एक लिस्ट रिजर्व रखी गई हैं।
सूत्रों के मुताबिक जिसमें सामन्य वर्ग के 91, ईडब्ल्यूएस के 9, ओबीसी के 71, एससी के 8 व एसटी के 3 पद सहित 182 की सूची रिजर्व की गई है। इस सूची को सार्वजनिक नहीं किया गया है। वरिष्ठ शिक्षाविद् व पत्रकार दिलीप मंडल ने सोशल मीडिया पर अपना वीडियो जारी किया है। उन्होंने यह बताया है कि दरसल सरकार की मंशा है कि जो लोग एससी – एसटी – ओबीसी कैटेगरी के हैं तो वह अपनी ही कैटेगरी में रहें। दरअसल ओबीसी के 71, एससी के 8 व एसटी के 3 अभ्यर्थी जनरल यानि ओपन कैटेगरी में आ गए हैं। यदि यह सब जनरल मैरिट में आ जाते हैं तो जनरल मैरिट से सिर्फ 304 अफसर चुने जाएंगे। सरकार चाहती है कि एस सी-ओ बी सी-एस टी अपनी ही कैटेगरी में चले जाएं और जनरल में न जाए। लालच यह रखा जा रहा है कि अपनी कैटेगरी में क्लेम करोगे तो आईएएस आईपीएस आईएफएस में नियुक्ति मिल सकती है जबकि जनरल मैरिट मे आईएएस, आई पी एस, आई एफ एस न मिले साथ ही अन्य सर्विस हेतु चयन मिले। जनरल में लगभग 50 प्रतिशत सीट को रिजर्व रखने की मंशा सरकार ने बनाई है। ऐसे में 82 अभ्यिर्थियों को आईएएस बनने से रोका जा रहा है। ब्यूरोक्रेट के 82 सीटों में आईएएस जैसे पदों पर असीन होने से रोकना बड़े षड़यंत्र के रूप में देखा जा रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने एक ट्वीट करके कहा है कि यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है। हर विचारधारा के लोग समर्थन करें। युवाओं के भविष्य का सवाल है। मासूम सी माँग है। जितने कैंडिडेट लेने हैं, सबके नाम की लिस्ट पब्लिक करो। छिपकर नियुक्तियाँ मत करो।
पूर्व आईपीएस अब्दुल रहमान ने भी ट्वीट कर सरकार की मंशा को लेकर सवाल खड़े किए हैं। फिल्हाल यह मुद्दा सोशल मीडिया पर छाया हुआ है और एक बङी बहस का रूप ले चुका है। यूपीएससी स्कैम हैस टैग ट्वीटर पर ट्रेंड किया।
इस बीच यूपीएससी के इस परीक्षा परिणाम पर उठ रहे सवाल जांच के घेरे में ला रहे हैं। केन्द्र सरकार में सचिव जैसे पदों पर लेटरल इंट्री के जरिए भर्ती को लेकर सरकार की खिंचाई पहले से हो रही है। जिसमें सभी पद सवर्ण जातियों के केंडिडेट से भरे गए हैं। ऐसे में सरकार की मंशा को संविधान के खिलाफ देखा जा रहा है और लोगों में आक्रोश है।
सुब्रमण्यम् स्वामी के बयान कौंध रहे दिमाग में
जन सामना की बातचीत में अभ्यर्थियों का कहना हैं कि भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमष्यम् स्वामी का एक बयान याद आता है जिसमें वह एक कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कहते हैं कि हम आरक्षण को खत्म नहीं करेंगे अपितु इस व्यवस्था को ऐसा कर देंगें कि इसके रहने और न रहने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। ऐसे में लगातार निजीकरण, सरकारी पदों की समाप्ति, सरकारी संपतियों को बेचना संवैधानिक व्यवस्था से खिलवाड़ के रूप में देख जा रहा है।