Monday, November 18, 2024
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शिक्षकों के सम्मान की ऑनलाइन प्रक्रिया में अफसरों ने किया खेल!

– दोआबा में राज्य शिक्षक पुरस्कार चयन प्रक्रिया पर खड़े हुए सवाल
– दस ने किया आवेदन, अधिकारियों ने आठ के छांट दिए नाम
प्रयागराजः प्रभाकर सिंह। कौशांबी में राज्य शिक्षक पुरस्कार चयन प्रक्रिया पर सवालियां निशान लग गए हैं। दरअसल, इल्जाम है कि बेसिक शिक्षा विभाग ने यहां 10 आवेदकों में सिर्फ दो के नाम ही राज्य स्तरीय समिति को अंतिम साक्षात्कार की खातिर भेजे हैं। जो सरासर नियम विरुद्ध है। एक शिक्षिका तो ऐसी हैं जो ट्यूशन भी पढ़ाती हैं और पुरस्कार मिलने को लेकर पूरी तरह से मुतमइन हैं। इस शिक्षिका का ऑडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हो गया है। अफसरों की इस मनमानी से जिले भर के अध्यापकों में नाराजगी है।
बेसिक शिक्षा परिषद शिक्षक दिवस पर बेहतर योगदान देने वाले शिक्षकों को पुरस्कृत करता है। पुरस्कार के लिए आवेदन करने वाले अध्यापकों के नाम जिला स्तर पर ही न रोक दिए जाएं, इसके लिए इस दफा आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन की गई थी। ऑनलाइन करने वालों का स्थानीय स्तर पर विभागीय अधिकारियों को सिर्फ वेरीफिकेशन करना था। यानी कि यह पता करना था कि आवेदक के खिलाफ कोई विभागीय या आपराधिक कारवाई तो नहीं हुई है। हैरानी की बात है कि जनपद के अफसरों ने ऑनलाइन प्रक्रिया में भी खेल कर दिया। रिकार्ड पर नजर डालें तो जिले के दस शिक्षकों ने आवेदन किया था। आरोप है कि नियमों को ताक पर रखते हुए अधिकारियों ने इनमें से सिर्फ दो का नाम अंतिम साक्षात्कार के लिए राज्य स्तरीय समिति को भेजा। इसे लेकर बाकी आवेदक मायूस हैं। चायल ब्लॉक के रसूलाबाद उर्फ कोइलहा गांव की चयनित शिक्षिका शालिनी कुशवाहा का एक क‌थित ऑडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हुआ है। जिसमें वह साफ कह रही हैं कि अवार्ड मिलने के बाद ट्यूशन पढ़ाएंगे। अवार्ड के चक्कर में ही कुछ दिनों के लिए कोचिंग पढ़ाना बंद कर दिया है। नियमों पर गौर करें तो ट्यूशन पढ़ाने वाले शिक्षक का चयन होना ही नहीं चाहिए। वहीं दूसरे शिक्षक दीप नारायण मिश्र रामपुर धमावां प्राइमरी स्कूल में तैनात हैं। अब सवाल यह है कि अधिकारियों ने आखिर बाकी आठ आवेदकों के साथ नाइंसाफी क्यों की। आवेदक अजय साहू का नाम काटा जाना समझ में आता है, क्योंकि उनके खिलाफ आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज है। बचे सात नाम छटने से खफा हैं। तीन आवेदकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उन्होंने मामले की शिकायत बेसिक शिक्षा महानिदेशक डॉ. सर्वेंद्र विक्रम सिंह से पत्र भेजकर कर दी है। शासन ने साक्षत्कार समिति में सभी मंडलों के सहायक मंडलीय शिक्षा निदेशकों (एडी) को सदस्य बनाया है। इसलिए कौशांबी के मामले की शिकायत उनसे भी की गई है। ऐसी है चयन प्रक्रियाः-
15 अगस्त के पहले तक आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो गई थी। 20 अगस्त को बेसिक शिक्षा परिषद ने अंतिम साक्षात्कार के लिए मंडलवार तारीखें घोषित कर दीं। 21 अगस्त से लखनऊ में अधिकारियों ने साक्षात्कार शुरू कर दिया। प्रयागराज मंडल के शिक्षकों को 27 अगस्त को बुलाया गया है। साक्षात्कार में सफल होने वाले को सम्मानित किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में स्थानीय अधिकारियों को सिर्फ वेरीफिकेशन का अधिकार है। किसी आवेदक का नाम छाटने का हक उन्हें नहीं है।
इन्होंने किया था आवेदनः-
सचिन कुमार ओझा (कसया पश्चिम), नृपजीत सचान (डोरामा), पंकज सिंह ( लोधना), सविता सिंह ( सइबसा), पूनम सिंह ( रसूलाबाद), क्षमा सचान (मोहम्मदपुर), ओमप्रकाश सिंह (उमरछा)। इन आवेदकों के नाम नियमों को ताक पर रखकर छाट दिए गए हैं। ध्यान रहे कि अफसरों की मनमर्जी को रोकने के लिए ही ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे, पर अफसरों ने इसे भी अपने हिसाब से कर लिया।
सिर्फ कौशांबी से दो नाम क्यों ?
शिक्षकों ने सवाल उठाया है कि जब 10 लोगों ने आवेदन किया तो बीएसए ने सिर्फ दो लोगों के ही नाम लखनऊ क्यों भेजे? शेष आवेदकों के नाम क्यों, किस आधार पर छांटे। क्या उन्हें नियमावली के तहत यह अधिकार हासिल हैं ? जबकि अन्य जिलों से दो दर्जन से अधिक नाम गए हैं। यानी जिसने आवेदन किए, उनके सबके। एक ही स्कूल से दो-दो शिक्षकों के नाम भी फतेहपुर की खागा तहसील के एक स्कूल से गए हैं।
इनका कहना है कि-
‘‘प्रकरण संज्ञान में नहीं है। इस बाबत कौशाम्बी के बीएसए से बातचीत की जाएगी। पूछा जाएगा कि ऐसा किन परिस्थितियों में किया गया। आरोप सही पाए गए तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी।’’-रमेश तिवारी-एडी बेसिक