हिन्दी मात्र भाषा नही बल्कि सभी भाषाओं की धड़कन है। हिन्दी ने सभी भाषाओं को अंगीकार करके उनका मान बढ़ाया है। हिन्दी समाज को दिशा देने का कार्य करती है।
हिन्दी वैज्ञानिक भाषा है जो शरीर के विभिन्न अंगो कण्ठ, मूर्धन्य, तालव्य, ओष्ठय और दन्त आदि का प्रयोग करके बोली जाती है। जो अंगो की क्रियाशीलता के साथ उच्चारण को भी स्पष्ट बनाती है। रस और अलंकार हिन्दी को जीवन्त और भावपूर्ण बनाते है। इस भाषा की एक विशेष बात है कि इसे जैसा लिखा जाता है, वैसा पढ़ा भी जाता है।
हिन्दी भारत मे एक विषय के रूप मे पढ़ायी जाती है। जैसे कि अन्य विषय भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, गणित और अन्य विषय आदि। जब हम किसी विषय को पढ़ते है तो उसका एक निश्चित उद्देश्य होता है। जीव विज्ञान ठीक से पढ़ लो तो डॉक्टर बन जाओगे और भौतिक विज्ञान व गणित पढ़ लो तो अभियन्ता बन जाओगे। हमें यह बताया जाता है। यह ज्वलन्त प्रश्न है और उसका उत्तर भी हमें ही खोजना है कि हिन्दी क्यों पढ़ायी जाती है?
हिन्दी का पढ़ाने का उद्देश्य इतना सीमित नही है कि उसे परिभाषित नही किया जा सकता। हिन्दी मानवीय गुणों का विकास करके हमें अच्छे नागरिक और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करती है। लेकिन छात्रों को ये स्पष्ट होना जरूरी है कि उन्हें हिन्दी क्यों पढ़ायी जाती है।
जब हम इतिहास में युद्ध और मानव संहार को पढ़ते है तो हिन्दी विषय में महात्मा गाँधी जी के अहिंसा के सबक को पढ़कर हम मानव जीवन की महत्ता को समझते है। जब हम गणित के प्रकांड विद्वान बनकर जोड़- घटाना में दक्ष हो जाते है तो मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘नमक का दरोगा’ हमें जिन्दगी की गणित का उदाहरण प्रस्तुत करती है। जब विज्ञान माइन ब्लास्ट और सड़क निर्माण की दक्षता प्रदान करती है तो सुमित्रानंदन पन्त की रचनायें हमें प्रकृति का ज्ञान देती है। हिन्दी जीवन में संतुलन प्रदान करती है और हमें मानव जीवन, प्रकृति प्रेम और जीवन की महत्ता से अवगत कराती है। वरना इतिहास के युद्ध हमें मानव जाति का दुश्मन बना देगे। विज्ञान का असंतुलित प्रयोग पर्यावरण को नष्ट कर देगा। यह हिन्दी ही है जो हमें,समाज,राष्ट्र और प्रकृति को मान प्रदान करती है।
इस पर भी चर्चा जरूरी है कि जब हम कुछ चुने विषय पढ़कर डॉक्टर, अभियन्ता और वकील बन सकते है तो हिन्दी विषय पढ़कर हम क्या बनेंगे।
पहली बात तो शिक्षा रोजगारपरक होनी चाहिये यदि ऐसा नही है तो न विद्यार्थी पढ़ने में रुचि लेंगे और न ही अभिभावक अपने बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देंगे। हम तो हिन्दी पर चर्चा कर रहे है तो यह विषय के रूप मे हमें रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध कराती है। आप हिन्दी विषय पढ़कर हिन्दी अनुवादक, प्रवक्ता, सम्पादक, शोधकर्ता, संवाददाता बन सकते है। इसी के साथ आप कहानीकार, गीतकार और गायक बनकर फिल्मी दुनिया में अपनी किस्मत चमका सकते है। आप हिन्दी के मर्मज्ञ व कुशल अध्यापक बनकर समाज को अच्छे नागरिक देकर देश के उत्थान मे अपना अनन्य सहयोग भी प्रदान कर सकते है।
यह स्पष्ट है हिन्दी, भाषा और विषय के मानक से परे है। यह जन- जन के हृदय में वास करने वाली और बेझिझक बोलकर अपनेपन का एहसास कराने वाली एक भावना व संवेदना है, जो मानव जीवन को अनन्त विस्तार व प्रेम प्रदान करती है।
लेखक:- अभिषेक कुमार शुक्ला, प्राथमिक विद्यालय लदपुरा, पीलीभीत, उत्तर प्रदेश