विशेष लक्षण से युक्त जहां अपनी अपूर्वता विचित्रता तथा विलक्षणा से मुग्ध और स्तब्ध कर देने वाले देश को भारत कहते हैं ।यहां मनाए जाने वाले तीज त्यौहारों से भारत का सौंदर्य विश्व में किसी को भी मोहित करने में सक्षम है ।जब ये त्यौहार वसंतोत्सव का मित्र हो फागुन के साथ मुस्कुरा कर रंग बिरंगे चटकीले रंगों की बहार लेकर आता है तब सोने पे सुहागा जैसा ही अहसास देता है। वसंत सर्दियों के अंत का प्रतीक है और गर्मियों से पहले होता है। इसलिए, वसंत की जलवायु विशेष रूप से मनभावन होती हैए जब फूल प्रचुर मात्रा में होते हैं। इस प्रकार होली को प्रकृति के वसंत सौंदर्य और अच्छी फसल के उपलक्ष्य मेंए रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। होली हिन्दुओं का ऐसा त्यौहार है जिसमें प्रेम ही प्रेम है और फागुन के महिने में प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाया जाता है।गुझियों का मिठाईयों का सौहार्द का अपनेपन का ये त्यौहार पुराने सभी गिले शिकवे को धूमिल कर रंगो की बौछार में अपने ही रंग में रंग देने का त्यौहार है।यह त्यौहार विशेष रूप से बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है। होली का त्यौहार वैसे तो दो दिन तक मनाया जाता है पहले दिन होलिका दहन और दूसरे दिन रंग बिरंगे रंगों को लोग एक दूसरे पर लगा कर इस त्यौहार की खुशी और बढ़ा देते हैं ।
भारत में किसी भी त्यौहार का अपना ही महत्व होता है तथा उसके मनाए जाने का अध्यात्मिक कारण भी होता है। जैसे होली मनाने के पीछे भक्त प्रह्लाद की एक बड़ी रोचक कहानी प्रचलित है। एक बार प्रह्लाद जो भगवान के बहुत बड़े भक्त थे। उनको उनके ही पिता ने मारने की कोशिश की क्योंकि उन्होंने भगवान के स्थान पर अपने ही पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया था। उसकी बुआ होलिका प्रह्लाद के पिता के आदेश पर उसे अपनी गोद में रखकर अग्नि में बैठ गई। लेकिन भगवान् ने प्रह्लाद को बचा लिया। और होलिका को जलते रहने दिया।उस दिन से हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोग बुराई पर अच्छाई की विजय को याद करने के लिए हर साल होली का त्यौहार मनाने लगे।
होली के त्यौहार से एक दिन पहले लोग उस दिन को याद करने के लिए होलिका के जलते हुए रात में लकड़ियों और गोबर के कंडे का ढेर जलाते हैं। कुछ लोग होलिका में प्रत्येक परिवार के सदस्य की सरसों उबटन की मालिश को जलाने की विशेष रस्म का पालन करते हैं। यह मानते हुए कि यह घर और शरीर से सभी बुराइयों को दूर करेगा और घर में खुशी और सकारात्मकता लाएगा। होली का त्यौहार आने से पहले ही बच्चों में विशेष रूप से उत्साह देखने को मिलता है। रंगों, गुब्बारे व्यंजनों की तैयारी के लिए खाद्य पदार्थों आदि को खरीदना शुरू कर देते हैं। बच्चे वह होते हैं जो होली के लिए बहुत अधिक उत्साहित होते हैं। अपने दोस्तों के साथ रंगों का छिड़काव करके इसे अग्रिम रूप से मनाना शुरू करते हैं। पानी के तोपों या पिचकारियों का उपयोग करना। शहरों और गाँवों के आसपास के बाजारों को गुलाल रंगों पिचकारियों आदि से सजाया जाता है।घरों में मीठे नमकीन पकवान बनाए जाते हैं ।उत्तर भारत में होली का त्यौहार आठ दिन तक मनाया जाता है। जहां एक दूसरे के घर जा कर बधाई दी जाती है व पकवानों का आदान प्रदान होता है। होली पूरे भारत में हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला रंगों का त्योहार है। हिंदू होली को प्रेम और खुशी के त्यौहार के रूप में मनाते हैं। दुश्मनी, लालच, घृणा और प्रेम और एक साथ जीवन के नए जीवन को अपनाते हैं।होली सद्भाव का त्यौहार है। जहाँ दोस्त और रिश्तेदार शाम को एकत्रित होते हैं या अपने दोस्तों, परिवार और पड़ोसियों से मिलते हैं और उन्हें रंगों और मिठाइयों के साथ शुभकामनाएं देते हैं। होली की माउथ वॉटरिंग व्यंजनों जैसे गुझिया,लड्डू त्यौहारों के मौसम में एक स्वाद भर देते हैं। लोग होली पर एक.दूसरे को गले लगाते हैं और सभी नफरतों और दुखों को भूलकर एक नई शुरुआत करते हैं।लेकिन समय काल परिवर्तन होने से कोरोना जैसी गंभीर बिमारी के कारण इस वर्ष सावधानी पूर्वक ही इस त्यौहार को मनाना चाहिए ।वर्तमान की परिस्थिति को देखते हुए समझते हुए एक बार फिर देश में मार्च के बाद से कई त्यौहारों पर भी कोरोना वायरस का असर देखने को मिला है। इस साल मार्च के बाद से किसी भी त्यौहार को कोरोना के कारण भव्य तरीके से मनाए जाने की अनुमति नहीं दी गई है। कोरोना के चलते कई सावधानियां भी लोगों को बरतने की सलाह दी जा रही है।इस समय केरल में 92.246 सक्रिय मामले हैं और अब रोजाना 10.000 से भी ज्यादा नए मामले सामने आने लगे हैं। केरल उन राज्यों में भी शामिल हो गया है जहां कोविड.19 से मारे जाने वालों की संख्या भी सबसे तेजी से बढ़ रही है। सक्रिय मामलों के लिहाज से केरल अभी सभी राज्यों में तीसरे स्थान पर हैण् पहले स्थान पर महाराष्ट्र और दूसरे पर कर्नाटक हैं।
महाराष्ट्र व अन्य कुछ राज्यों में लॉकडाऊन फिर से लग गया है । महाराष्ट्र में 3.7 लाख नए मामले सामने आए। जो राज्य में संक्रमण के कुल मामलों के 46 प्रतिशत के बराबर है, जो चिंतनीय है ।सादगी से त्यौहार मनाने की अपील की गयी है। साथ ही चेताया भी गया है कि बड़ी संख्या में इकट्ठा होने से कोरोना के मामलों में तेज़ी आ सकती है।कोरोना महामारी का कहर लगातार जारी है। ऐसे में लोगों की सामाजिक व आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गई हैं। महामारी का असर पर्व त्यौहारों व पौराणिक परम्पराओं पर भी पड़ा है। अब त्यौहार नाम मात्र के लिए मनाए जा रहे हैं ए लोग घर की चारदीवारी के अंदर ही मनाने को मजबूर हैं । कोरोना महामारी ने एक तरह से त्यौंहारों की भव्यता व रौनकता पर ग्रहण लगा दिया है।