हम में से कितने लोग सोशल मीडिया से कुछ अच्छी बातें सीखते है? या सोशल मीडिया का उपयोग नीतिमत्ता से करते है, शायद बहुत कम। ज़्यादातर ये मंच झूठी तारीफ़, झगड़े, दुष्प्रचार और किसी को नीचा दिखाने के लिए ही उपयोग होता है।
सोशल मीडिया का गलत तरीके से उपयोग करते कुछ लोग अफ़वाहें और झूठी खबरें फैलाकर धर्म के नाम पर लोगों को बांटने की कोशिश करते है। भ्रामक और नकारात्मक जानकारी साझा करते है जिससे जनमानस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। और कई बार तो बात इतनी बढ़ जाती है कि सरकार सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल करने वालों पर सख्त हो जाती है।
पहले तो ये जो फॉरवर्ड-फॉरवर्ड का खेल है ये बहुत ख़तरनाक है, वाट्सएप, फेसबुक या इंस्टाग्राम हर जगह पर एक व्यक्ति जो मैसेज डालता है वो घूम फिरके 10 बार हमारे पास आता है। और उसमें से भी महज़ दो मैसेज काम के होते होंगे बाकी फ़ालतू हथोड़े की तरह दिमाग पर लगते है। और लोग जो किसीके मुँह के उपर नहीं बोल सकते वो कमेन्ट बोक्स में बिंदास चिपका देते है। सोशल मीडिया का सदुपयोग से ज़्यादा दुरुपयोग होता है। जनता की ऐश है सरकार को वह लोग भी सोशल मीडिया के ज़रिए गालियाँ दे देते है जिनकी खुद का चार लोगों का परिवार संभालने जितनी औकात नहीं होती। हर किसीको लगता है की कौनसा हमें कोई ढूँढ कर लताड़ने वाला है दे मारो कमेन्ट में जो भी भड़ास निकालनी है।
यहाँ लोग दोस्त भी जल्दी बना लेते है और दुश्मन भी। पर दोस्ती के मायने सोशल मीडिया पर अलग ही है, आज दोस्त बनाया चार दिन बाद एकाद पोस्ट पर उनकी लाइक, कमेन्ट ना दिखी तो सीधा दोस्त जा गिरता है ब्लाॅक लिस्ट में। अमा ये कैसी दोस्ती हुई? या तो लाइक कमेन्टस व्यवहार बन गया है हर कोई ये सोचता है वो मेरी पोस्ट पर नहीं आते मैं क्यूँ जाऊँ वाली रेस बन गई है।
उसमें भी ये मैसेंजर की माया ख़तरनाक है, मैसेंजर लग्नेतर संबंध और सेक्सपूर्ति का साधन बन गया है। यहाँ बीस बाइस साल के लड़के आसानी से चालीस पैंतालीस साल की औरतों को मैसेंजर के ज़रिए हाय-हैलो करते पटा लेते है। महिलाएं भी झूठे प्यार, झूठी तारीफ़ और मीठी बातों में आकर पिघल जाती है और शुरू होता है प्रेम के नाम पर गंदा खेल। औरतें ज़िंदगी के मजे लेने के चक्कर में फंस जाती है और कभी-कभी ब्लैकमैलिंग का शिकार होते बदनाम भी हो जाती है।
जरूरी नहीं ऐसे गंदे कामों के लिए ही सोशल मीडिया का उपयोग किया जाए।
सोशल मीडिया सकारात्मक भूमिका भी अदा करता है। जिससे किसी भी व्यक्ति, संस्था, समूह और देश आदि को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से समृद्ध बनाया जा सकें। सोशल मीडिया के जरिए ऐसे कई विकासात्मक कार्य होते है जिनसे लोकतंत्र को समृद्ध बनाया जा सकें। कितनी सारी सुविचारित पोस्ट होती है जिससे प्रेरणा मिलती है। पोस्ट के द्वारा ऐसे प्रयास भी होते रहते है किसी जरूरत मंद को मदद कर सकते है। सच्चे दोस्त बना सकते है ऐसा ग्रुप बना सकते है जो मिलकर ऑनलाइन सोशल एक्टिविटिज़ से कमा भी सकते है। साथ ही शिक्षा के लिए एक अच्छा माध्यम है। अभी कोरोना महामारी के समय सोशल मीडिया के उपयोग से सभी ने एक दूसरे की बहुत मदद की है। साथ में कई जगह पर किसी टेलेंटेड बच्चों को कोई देख लेता है तो विडियो बनाकर आगे भेजता है, जिससे बच्चे को प्लेटफॉर्म मिलें।
अगर इस माध्यम का उपयोग चौकन्ना रहकर नहीं करेंगे तो हमारे जीवन की प्राइवेसी पूर्णत: भंग हो जाती है। किसी भी ग्रुप में अपना फोटो या वीडियो ड़ालने से पहले सौ बार सोचें की एडिटिंग करके आपकी फोटो का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है। या घर बंद करके पूरा परिवार कहीं घूमने जा रहे हो तो ये स्टेटस सोशल मीडिया पर अपडेट करने की भूल कभी न करें, हो सकता है आप जब वापस आए तो घर साफ़ हो गया हो। सायबर अपराध सोशल मीडिया से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या है। कुल मिलाकर जिस प्रकार हर चीज़ के दो पहलू होते हैं, ठीक उसी प्रकार सोशल मीडिया के भी दो पक्ष है, तय हमें करना है कौनसा पहलू इस्तेमाल करना है।
भावना ठाकर ‘भावु’ (बेंगलूरु, कर्नाटक)