कानपुर। उप्र सरकार के लाख प्रयासों केे बावजूद राहगीरों के लिये आवारा गौवंश परेशानी का सबब बने हुए हैं। चुनावी माहौल के दौरान जरूर कुछ ऐसा लगने लगा था कि आवारा जानवरों अथवा गौवशों से मुक्ति मिल जायेगी लेकिन चुनाव खत्म हुए और परिणाम आ गया लेकिन आवारा जानवरों (गौवंशों) के झुण्ड फिर से सड़कों पर दिखने लगे। आवारा जानवरों के झुण्डों को देखकर ऐसा लगता है कि गौशालायें फिर से पुराने ढर्रो पर आ गईं है और आवारा गौवंशों के छुट्टा छोड़ देने लगीं हैं।
बर्रा क्षेत्र के गुजैनी पुलिस चौकी के सामने सड़क पर ऐसा ही नजारा दिखा और आवारा गौवंशों के झुण्ड को देखकर लगा कि आवारा जानवरों से छुटकारा दिलाने का वादा सिर्फ हवा हवाई था।
वहीं मिली जानकारी के अनुसार, अस्थाई गौशालाओं की स्थापना होने के कारण शायद गौवंशों के अवारा घूमने पर कुछ कमी आई थी और अब शायद उन्हीं से आवारा जानवरों को छोड़ा जा रहा है। जिसके चलते अवारा जानवरों के झुण्ड फिर से महानगर में दिखने लगे हैं और सड़कों पर राहगीरों के लिये परेशानी व दुर्घटना की सम्भावनाओं को प्रबल करने लगे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या चुनावी लाभ लेने के लिये अवारा गौवंशों की पकड़-धकड़ की गई थी और परिणाम आते ही सबकुछ पुराने ढर्रे पर ला दिया गया।