वर्धा। पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं लोकसभा सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने वर्धा साहित्य महोत्सव के उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा कि साहित्य में समाज के महानायकों पर आधारित वर्धा साहित्य महोत्सव का यह अभियान देशभर में पहुँचेगा। महोत्सव के माध्यम से महानायकों के विचार नई पीढ़ी में पहुचाने की आवश्यकता है।
वर्धा साहित्य महोत्सव 2022 महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के अमृतलाल नागर सृजनपीठ की ओर से दिनांक 26, 27 एवं 28 अप्रैल को आयोजित किया जा रहा है. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल की अध्यक्षता में वर्धा साहित्य महोत्सव का उद्घाटन किया गया. इस अवसर पर विशेष सान्निध्य हेतु प्रो. प्रकाश बरतुनिया, कुलाधिपति बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ तथा वर्धा संसदीय क्षेत्र के सांसद श्री रामदास तडस उपस्थित रहे.
उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि यह नीति जैसे-जैसे युवावस्था में आयेगी, राष्ट्र विश्वगुरू बनने की दिशा में अग्रसर होगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति मनुष्य को मनुष्य बनाने की प्रक्रिया से प्रेरित है और यह इस शिक्षा नीति के केंद्र में है। यह शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं को शक्ति प्रदान करने में कारगर साबित होगी। उद्बोधन में श्री ‘निशंक’ ने वर्धा साहित्य महोत्सव की सराहना करते हुए कहा कि महानायकों के विचार-दर्शन और आदर्शों को लोगों की भाषा में व्यापक जनमानस तक पहुँचाने का अभियान बनेगा यह महोत्सव । वर्धा को गांधी और विनोबा की कर्मस्थली बताते हुए उन्होंने कहा कि इस भूमि से वसुधैव कुटुंबकम और सर्वे सुखी निरामय का संदेश देश-दुनिया में पहुँचेगा। हमें अपने आचार, विचार और व्यवहार में संदेश जीवंत बनाए रखने की आवश्यकता है। हिंदी विश्वविद्यालय के नए कार्यक्रमों में विधि पाठ्यक्रमों का शिक्षण हिंदी माध्यम में आरंभ किए जाने पर उन्होंने हर्ष व्यक्ति किया साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति को क्रियान्वित करने का श्रेय इस विश्वविद्यालय को देते हुए उन्होंने कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल को बधाई दी। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि हिंदी देश की एकता का सूत्र है, हिंदी का वैभव पूरी दुनिया में है और हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की आत्मा है। भारतीय भाषाओं की दृष्टि से आज का दिन नया इतिहास लिखेगा। चेतना के शिखरपुरूष अपनी शब्दसंपदा से इसे शिखर पर पहुँचाएंगे।साहित्य में महानायक विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के अध्यक्षीय वक्तव्य में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि विश्वविद्यालय हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का सपना पूरा करेगा. यह महोत्सव इस दिशा में एक शुरुआत है। इस दिशा में भारत के साहित्य एवं अकादमिक संसार में बड़ी छलांग लगाने की योजना है। विश्वविद्यालय सभी भारतीय भाषाओं के साथ हिंदी को बढ़ावा देना के प्रयास हेतु महत्वपूर्ण कार्य उपक्रम को सतत निर्मित कर रहा है। उन्होंने कहा कि विदर्भ में तपन के मौसम में वर्धा साहित्य महोत्सव को देशभर से आये साहित्यकारों के माध्यम से शीतल बयार प्राप्त हो रही है। यह हमारे लिए उर्जा का काम करेगी। भारत के आजा़दी के अमृत महोत्सव और विश्वविद्यालय के रजत जयंती वर्ष पर भारत के साहित्य में सचेत, सकारात्मक और विविधता का स्वरूप इस महोत्सव के माध्यम से प्राप्त होगा और बहुधर्मीय भारत कैसे खड़ा होगा इसका प्रयास यह महोत्सव करेगा। इस महोत्सव में आठ भारतीय भाषाओं पर चर्चा होगी।कार्यक्रम में प्रो. प्रकाश बरतुनिया, कुलाधिपति बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ ने भारतीय भाषाओं का अदभूत साहित्य सम्मेलन तथा संगम करार देते हुए कहा कि हमारे महानायकों ने साहित्य के माध्यम से देश, संस्कृति और मानव की सेवा की है। यह गौरव की बात है कि महोत्सव के बहाने उन महानायकों का पुनर्स्मरण किया जा रहा है। इस महोत्सव से राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य को बल मिलेगा और इस मंथन से जो नया उत्कर्ष निकलेगा वह शिक्षा जगत तथा समस्त राष्ट्र के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
वर्धा लोकसभा क्षेत्र के सांसद रामदास तडस ने अपने उद्बोधन में कहा कि साहित्य समाज को आगे ले जाने का कार्य करता है। हिंदी विश्वविद्यालय की देश में नहीं अपितु विश्व में अपनी एक खास पहचान बन गई है। इस उपक्रम से यह महोत्सव वर्धा शहर को एक नई भी देगा। शिक्षा और शोध के लिए देश-विदेश के विद्यार्थी वर्धा विश्वविद्यालय आते हैं। वर्धा की विशिष्टता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी और आचार्य विनोबा भावे की यह कर्मभूमी बताते हुए भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम एवं उपक्रमों की जानकारी भी दी और विश्वविद्यालय के विकास और प्रगति हेतु सहयोग देने का आश्वासन भी दिया। कार्यक्रम का संचालन वर्धा साहित्य महोत्सव के सयोंजक, हिंदी एवं तुलनात्मक साहित्य विभाग के प्रो. कृष्णकुमार सिंह ने किया तथा विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर अतिथियों ने विश्वविद्यालय के प्रकाशन विभाग की ओर से लगाई गई पुस्तक प्रर्दशनी का अवलोकन किया। उद्घाटन समारोह में सुविख्यात साहित्यकार पद्मश्री श्री विष्णु पण्ड्या, गोविंद मिश्र, डॉ. योगेंन्द्र नाथ शर्मा ‘अरूण’, पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र, प्रो. राजेंद्र तिवारी, प्रो. टी. वी. कट्टीमनी, प्रो. देवशंकर नवीन, के.सी.अजय कुमार, दामोदर खडसे, प्रो. चित्तरंजन कर, अग्निशेखर, डॉ. बीना बुदकी, एस. के. अग्रवाल, अमिता पाण्डेय, आनंद निर्वाण, ओमप्रकाश तिवारी, राजू मिश्र, दत्तात्रय मुरूमकर, सुमन जैन, डॉ. हिमांशु वाजपेयी आदि सहित विश्वविद्यालय के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्ष, अध्यापक, शोधार्थी, साहित्य प्रेमी एवं वर्धा शहर के गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।