Sunday, September 22, 2024
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एनटीपीसी के हर क्षेत्र में हिंदी भाषा के प्रयोग में हो रहा विस्तार

⇒यांत्रिकी के क्षेत्र में हिंदी को शीर्ष पर स्थापित कर राजभाषा मनीषी बनी वंदना चतुर्वेदी
पवन कुमार गुप्ताः रायबरेली। इंजीनियरिंग क्षेत्र में जहां हर कदम पर अंग्रेजी का एकछत्र राज हो, वहां पर हिंदी भाषा को स्थान दिलाना बड़ा मुश्किल कार्य था। किंतु एनटीपीसी की अतिरिक्त महाप्रबंधक वंदना चतुर्वेदी ने एनटीपीसी की ऊंचाहार में न सिर्फ हिंदी भाषा को स्थान दिलाया, अपितु राजभाषा को स्थापित करते हुए उसे बुलंदी प्रदान की है। उनके इस अदम्य कार्य के लिए उनको राजभाषा मनीषी पुरस्कार से नवाजा गया है।
हिंदी प्रेमियों के लिए वंदना चतुर्वेदी एक आदर्श और मिशाल के रूप में सामने आई है। हिंदी आज एनटीपीसी के विभिन्न कार्यालयों में पत्र व्यवहार , कार्यालय के सामान्य कामकाज, बोलचाल में प्रयोग की जा रही है। इसका श्रेय एनटीपीसी की मानव संसाधन प्रमुख वंदना चतुर्वेदी को जाता है। एनटीपीसी के राजभाषा विभाग में पूर्व में यहां तैनात रहे पवन मिश्र ने जो राह तय की थी ,उसे आज मंजिल मिल गई है। एनटीपीसी ऊंचाहार में आज हिंदी सबसे अधिक प्रयोग होने वाली भाषा बन गई है। हिंदी के विस्तार को लेकर एनटीपीसी कर्मचारियों, अधिकारियों में निबंध, प्रश्नोत्तरी के साथ साथ हिंदी में काम करने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों को पुरस्कृत, सम्मानित करके हिंदी को बढ़ावा दिया गया है। इसी का परिणाम यह रहा कि गैर हिंदी भाषी क्षेत्र से आने वाले एनटीपीसी अधिकारियों और कर्मचारियों ने ऊंचाहार में आकर न सिर्फ हिंदी सीखी अपितु हिंदी में काम करना शुरू किया है। एक छोटे से प्रयास ने एनटीपीसी की ऊंचाहार परियोजना में हिंदी को एक प्रकार से अनिवार्य भाषा के रूप में स्थापित कर दिया है।
हिंदी के प्रयोग और विस्तार के लिए वंदना चतुर्वेदी का प्रयास लगातार जारी है। एनटीपीसी में होने वाली नियमित बैठकों , विभागीय और यांत्रिकी बातचीत में हिंदी प्रयोग के लिए वह प्रयास करती रहती हैं। यही नहीं सहकर्मियों को कार्यक्षेत्र के सभी कार्य नियमित रूप से हिंदी में करने के लिए प्रेरित करती रहती हैं। उन्होंने बताया कि एनटीपीसी हिंदी को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयास कर रही है, एनटीपीसी की हर परियोजना में हिंदी में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।