Sunday, May 5, 2024
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » निस्वार्थ सेवा संस्थान में पूरे किए अपने मूक पशु आहार सेवा के 100 दिन

निस्वार्थ सेवा संस्थान में पूरे किए अपने मूक पशु आहार सेवा के 100 दिन

हाथरस।गाय जैसे पशुओं में 33 कोटि देवता निवास करते हैं। परंतु फिर भी यही जानवर है जो सड़कों पर भूखे प्यासे आवारा घूमते हैं। इनकी स्थिति वास्तव में दयनीय हो गई है। गायों के साथ बंदरों की भी लगभग समान स्थिति है, ऐसे में निस्वार्थ सेवा संस्थान परिवार में इन जानवरों के लिए भोजन की व्यवस्था आरंभ की थी। निस्वार्थ सेवा संस्थान परिवार के लोग प्रतिदिन सुबह 7:00 से 8:00 तक एक जगह एकत्रित होकर जानवरों के खाने के लिए सब्जी, चने, फल आदि खरीदते हैं और उन्हें शहर के विभिन्न हिस्सों में बंदरों, गायों, वृषभ ,आदि को खिलाते हैं। आज निस्वार्थ सेवा संस्थान परिवार की इस सेवा को 100 दिन पूरे हो चुके हैं।
संस्था के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया हमारे पुराणों में भी जानवरों को दाना डालने के महत्व के बारे में बताया गया है जो लोग बंदरों को लगातार दाना डालते हैं उनकी आयु लंबी होती है और जो लोग गाय इत्यादि जानवरों को भोजन कराते हैं उनके घर में स्वयं देवता वास करते हैं। निस्वार्थ सेवा संस्थान परिवार लगातार जानवरों के भोजन की व्यवस्था प्रतिदिन सुबह करता है।
मूक पशु सेवा के अलावा भी निस्वार्थ सेवा संस्थान द्वारा लगातार असहाय एवं वृद्ध लोगों के भोजन की व्यवस्था रोटी बैंक अन्न क्षेत्र गांधी पार्क तिराहे पर की जाती है। शहर के सभी अज्ञात शवों का दाह संस्कार व गरीब व्यक्ति जिनके पास अंतिम संस्कार के भी पैसे नहीं होते,उनके अंतिम संस्कार की भी पूरी जिम्मेदारी निस्वार्थ सेवा संस्थान परिवार द्वारा निभाई जाती है। गरीब लड़कियों के कन्यादान में भी निस्वार्थ सेवा संस्थान अपना योगदान देता आ रहा है। समय-समय पर बच्चों के लिए पठन-पाठन सामग्री जरूरतमंदों के लिए उनकी जरूरत का सामान संस्था द्वारा उपलब्ध कराया जाता है।
संस्था के ज्यादातर कार्यों में अध्यक्ष सुनील अग्रवाल, सचिव नीरज गोयल, कोषाध्यक्ष सीए प्रतीक अग्रवाल, प्रवक्ता हिमांशु गौड(कातिब), मीडिया प्रभारी नितिन अग्रवाल ,संस्था मंत्री चंद्रप्रकाश अग्रवाल अग्रवाल, वैभव अग्रवाल, सह मीडिया प्रभारी टिंकू सिंह राणा, सदस्य ध्रुव कोठीवाल, प्रेम पोद्दार, शुभम मित्तल ,सारांश टालीवाल, सुभाष उपाध्याय, दीपांशु वार्ष्णेय, डॉ रंगेश शर्मा, योगेश पौरुष, आकाश ठाकुर, आदि का विशेष सहयोग रहता है।