करवा चौथ व्रत के बाद माता अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। इस व्रत में माताएं निर्जल व्रत रखते हुए उदय होते तारों को देखकर व्रत का समापन करती हैं। जिस तरह करवाचौथ के व्रत में चंद्रमा का महत्व है, उसी तरह अहोई अष्टमी व्रत में तारों का विशेष महत्व होता है।
अहोई अष्टमी करवा चौथ के समान ही है। यह एक सख्त उपवास का दिन है। इस व्रत को रखने वाली महिलाएं पूरे दिन पानी पीने से भी परहेज करती हैं। वे केवल शाम को तारों को देखने और उनकी पूजा करने के बाद ही उपवास तोड़ सकतीं हैं।
यह व्रत माताएं अपने बच्चों की दीर्घायु की कामना के लिए करती हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। सुबह उठकर स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें फिर दीवार पर अहोई माता की तस्वीर बनाएं या लगाएं। रोली, चावल और फूलों से माता अहोई की पूजा करें। इसके बाद कलश में जल भरकर माताएं अहोई अष्टमी कथा सुनें। माता अहोई को हलवा पूरी या फिर किसी मिठाई का भोग लगाएं।
अहोई अष्टमी व्रत से संबंधित दो कथाएं प्रचलित हैं,
पहली कथा-
एक समय एक नगर में एक साहूकार रहता था। उसके सात-सात बेटे- बहुएं और एक बेटी थीं। दीपावाली से कुछ दिन पहले उसकी बेटी अपनी भाभियों संग घर की लिपाई के लिए जंगल से साफ मिट्टी लेने गई। जंगल में मिट्टी निकालते वक्त खुरपी से एक स्याहू का बच्चा मर गया। इस घटना से दुखी होकर स्याहू की माता ने साहूकार की बेटी को कभी भी मां न बनने का शाप दे दिया। उस शाप के प्रभाव से साहूकार की बेटी का कोख बंध गया। इस शाप से साहूकार की बेटी दुखी हो गई और उसने अपनी भाभियों से कहा कि उनमें से कोई भी एघ्क भाभी अपनी कोख बांध ले। ननद की बात सुनकर सबसे छोटी भाभी तैयार हो गई। उस शाप के दुष्प्रभाव से उसकी संतान केवल सात दिन ही जिंदा रहती थी। जब भी वह कोई बच्चे को जन्म देती, वह सात दिन में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता था। वह परेशान होकर एक पंडित से मिली और उपाय पूछा।
महिला जगत
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस: अब हमारा समय है – हमारे अधिकार हमारा भविष्य
आदिअनादि काल से भारतीय संस्कृति में महिलाओं का बहुत सम्मान किया जाता रहा है। उन्हें देवियों का अवतार माना जाता रहा है, परंतु बड़े बुजुर्गों की कहावत सत्य ही है कि, समय कभी एक सा नहीं रहता परंतु उनकी वह भी शिक्षा है कि वह अपनी सकारात्मक सोच सच्चाई नारी सम्मान परमार्थ बुरी नजर से बचना सहित अनेक गुणों को समय के साथ न बदलते हुए स्थाई रखना मानवीय स्वभाव में समाहित करना जरूरी है। परन्तु जैसे-जैसे समय बीतता गया इनकी स्थिति में काफी बदलाव आया, लड़कियों के प्रति लोगों की सोच बदलने लगी, बालविवाह प्रथा, सती प्रथा, दहेज़ प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या इत्यादि रुढ़िवादी प्रथायें काफी प्रचलित हुआ करती थी, इसी कारण लड़कियों को शिक्षा, पोषण, कानूनी अधिकार और चिकित्सा जैसे अधिकारों से वंचित रखा जाने लगा था, लेकिन अब इस आधुनिक युग में लड़कियों को उनके अधिकार देने और उनके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं। भारतीय सरकार भी इस दिशा में काम कर रही है और कई योजनायें लागू कर रही है। चूंकि 11 अक्टूबर 2022 को हम अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मना रहे हैं जिसकी थी। अब हमारा समय है-हमारे अधिकार हमारा भविष्य, इसलिए आज हम मीडिया के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से दुनिया को बदलने के लिए सही साधनों के साथ बालिकाओं को सुरक्षित शिक्षित सशक्त और स्वस्थ जीवन शैली सुनिश्चित करना समय की मांग है इसपर चर्चा करेंगे।
Read More »करवाचौथ के उपलक्ष्य में भव्य कार्यक्रम आयोजित किये
ग्वालियरः जन सामना डेस्क। माहौर क्षत्रिय स्वर्णकार महिला मंडल का करवाचौथ के उपलक्ष्य में बहुत ही मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किये गये। मुख्य अतिथि के रुप में बंदना भूपेंद्र प्रेमी को बुलाया गया। करवा चौथ आरती और कन्या पूजन के बाद कार्यक्रम की शुरुआत हुई। सभी महिलाओं ने करवा चौथ कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इस मौके पर महिलाओं के लिए गेम्स हाउजी, करवा चौथ की क्वीन सहित अनेक मनोरंजक कार्यक्रम रखे गए।
Read More »लोखंड़ी महिला द्रौपदी मुर्मू का स्वागत है
ज़िंदगी की चुनौतियों पर बार-बार बिखरी एक नारी देखो हर ज़ख़्म के साथ कुंदन सी निखरी, थकी नहीं न हारी हर कसौटी पर फ़तेह पाकर ज़िंदगी जीने की उसने कला सीख ली
जहाँ एक तरफ़ आज भी महिलाओं के लिए कहा जाता है कि स्त्री की बुद्धि पैरों की पानी में होती है, वहाँ आज हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी बुद्धिमत्ता और आत्मविश्वास के साथ अपना लोहा मनवा रही है। देश के लिए सचमुच गर्व की बात है एक महिला जो पिछड़े समाज का हिस्सा रही वह अपने आत्मविश्वास और अपने दम पर आज खुद को राष्ट्रपति के पद के लिए प्रस्थापित करने जा रही है। अपनी ज़िंदगी में कई उतार-चढ़ाव से गुज़री द्रौपदी मुर्मू जी एक उम्र तक घर के बाहर शौच जाने के लिए अभिशप्त थी। अब वो भारत के सर्वाेच्च संवैधानिक पद की हकदार बन चुकी है। इसके अलावा झारखंड राज्य की पहली महिला राज्यपाल बनने का खिताब इन्हीं के नाम है। अगर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से बनी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार जीत जाती है तो पहली बार ऐसा होगा कि कोई आदिवासी महिला भारत देश की पहली राष्ट्रपति बनेगी और भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू बनेंगी।
प्रशिक्षण:महिलाओं को बताया जा रहा है ब्यूटी पार्लर में कैरियर बनाने का तरीका
आगरा । वैचारिक जागरण मिशन ट्रस्ट द्वारा आयोजित मासिक प्रशिक्षण शिविर में महिलाओं को ब्यूटी पार्लर में कैरियर बनाने के तरीके बताए। इसके साथ महिलाओं को सैल्फ मेकअप के टिप्स सिखाकर फिजूलखर्ची से बचाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।महिलाओं को घर में ही फल, फ्रूट, मसाले आदि से चेहरे और बदन पर निखार लाने के लिए अनेक टिप्स बताए। अतिथिवन में आयोजित इस कार्यक्रम में ब्यूटी एक्सपर्ट अंजलि रस्तोगी ने बताया कि प्राकृतिक निखार लाने हेतु रात को मेकअप उतार कर अवश्य सोना चाहिए। अपने चेहरे पर कोई भी प्राकृतिक क्रीम को अवश्य लगाएं, जिससे चेहरे पर नमी बनी रहती है। जौ का आटा, मलाई, नींबू, हल्दी के प्रयोग से घर पर ही फेस पैक कैसे बनाए जा सकते हैं, यह भी बताया। उन्होंने कहा कि मौसम के फलों का सेवन विशेष रूप से करें। पानी का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करें, पानी चेहरे पर टॉक्सिन को निकालने का कार्य करता है ।
Read More »“उर्फ़ी जावेद का अतरंगी अंग प्रदर्शन”
आजकल सोशल मीडिया पर बिग बॉस ओटीटी के ज़रिये प्रसिद्धि हो चुकी टीवी ऐक्ट्रेस उर्फ़ी जावेद सुर्खियों का विषय बनी रहती हैं। वह अपने अजीबो गरीब पहनावे को लेकर दर्शको के बीच एक उत्सुकता का विषय बनी रहती है। ऐसी लड़कियों ने आजकल लगता है शर्म बेच खाई है। अधनंगी बीच बाज़ार या सड़कों पर फ़ोटो खिंचवाते प्रदर्शन करती रहती है। कभी बैकलैस कपड़े तो कभी सिर्फ़ ब्रा जैसे छोटे कपड़े लपेट कर खड़ी हो जाती है।
हर तरफ़ से हर अंगों का प्रदर्शन करके क्या साबित करना चाहती है? ऐसी लड़कियां दरिंदों के दिमाग में वासना का ज़हर भरती है। पुलिस को इसके ख़िलाफ़ कारवाई करके बैन कर देनी चाहिए। उनके माँ-बाप को नोटिस भेजकर अपनी बेटी को एक हद में रखने की हिदायत देनी चाहिए।
हिजाब और नकाब का समर्थन करने वाले इस्लाम धर्म से ताल्लुक रखने वाली लड़की बीच बाज़ार फटेहाल कपड़ों में अंगों का प्रदर्शन करते अपने धर्म को लज्जित कर रही है। क्यूँ उसकी ऐसी हरकतें किसीकी नज़र में नहीं आती।
उर्फ़ी ने अभी कुछ दिन पहले पेंट के साथ एक क्रॉप टॉप पहनी थी। मजे की बात यह थी की उन्होंने जो पेंट पहनी थी उसके बटन खुले हुए थे। उनके इस पहनावे के अंदाज को लेकर लोग उनको ट्रोल भी करते रहते है। लड़के निम्न कक्षा की कमेन्ट देकर नीचा दिखाते है।
इससे पहले उर्फ़ी ने कैमरे के सामने बोल्डनेस की सारी हदें पार कर दी थीं। उसने अपनी एक तस्वीर शेयर की जिसमें वह टॉपलेस नजर आईं। फोटो में देखा जा सकता है कि उर्फ़ी ने सिर्फ जींस पहनी हैं और वह बेड पर लेटी हुई दिख रही हैं। उर्फ़ी का ये बोल्ड लुक सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था।
आकर्षण को प्यार समझने की भूल मत करो
इश्क की आँधी बहा ले जाती है जिनको कच्ची उम्र के पड़ाव पर, वह लड़कियां कहीं की नहीं रहती। छूट जाती है पढ़ाई और इश्क की आराधना करते कई बार हार जाती है अपनी ज़िंदगी।
यह उम्र ख़तरनाक होती है 15 से लेकर 20 साल के बीच का सफ़र विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण पैदा करता है। उस उन्माद को बच्चियाँ प्रेम समझकर एक ऐसी राह पर निकल जाती है, जहाँ फिसलन और पतन के सिवा कुछ नहीं होता।
न आजकल के लड़कें उस उम्र में इतने परिपक्व होते है। प्यार, इश्क, मोहब्बत को अपनी शारीरिक जरूरतें पूरी करने का ज़रिया समझते है। खासकर डिज़िटल युग में हर बच्चें मोबाइल का बेबाक उपयोग करते है, जिसमें अंगूठा दबाते ही पोर्नाेग्राफ़ी एप्स की भरमार मिलती है। बहुत कम उम्र में आजकल के बच्चे एडल्ट हो जाते हैं। हर माँ-बाप को अपने बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए। बच्चे मोबाइल का उपयोग किस चीज़ के लिए करते हैं और बच्चों की मानसिकता का अध्ययन करते बातचीत से जानने की कोशिश करनी चाहिए की बच्चे किस दिशा में जा रहे हैं और हर माँ-बाप का कर्तव्य है की बेटे को यह संस्कार दें कि दूसरों की बेटी की इज्जत करें, सम्मान दें। प्यार के नाम पर कोई खेल खेलने से पहले सोचे की अपनी बहन-बेटी के साथ अगर कोई ऐसा करें तो?
कभी-कभी बच्चे आकर्षण को प्यार समझकर एक ऐसी राह पर निकल जाते हैं, जहाँ से बाकी सब पीछे छूट जाता है। पढ़ाई-लिखाई से भटक जाते हैं लक्ष्य को भूल जाते हैं।
महिलाएं ई-सेक्स मैनियाक से सावधान रहें”
हर महिला के फेसबुक की ब्लाॅक लिस्ट में शायद सौ से ज़्यादा मानसिक तौर पर जो विकृत होते है ऐसे लोग पड़े होंगे। सोशल मीडिया महिलाओं के लिए बहुत ही असुरक्षित और ख़तरनाक होता जा रहा है। ई-सेक्स मैनियाक यानी जो मानसिक तौर पर विकृत होते है ऐसे लोगों की भरमार मिलती है। हर महिला के मैसेंजर पर लाइन लगी होती है। मानों महिलाओं को फसाने का मौका ढूँढ रहे होते है। फेसबुक और इंस्टा पर जाल बिछा रखी है ऐसे बेशर्मों ने। इनको लगता है फेसबुक पर रहने वाली हर औरत चीप है और इन जैसों की प्यास बुझाने ही बैठी है। ये प्रोसेस फेसबुक मैसेंजर पर हाय, हैलो से शुरू होती है। पहले डीपी पर लगी तस्वीर की तारीफ़ों के पुल बाँधते चिकनी चुपड़ी और सैक्सी भाषा का प्रयोग करते खुद को महिला का बहुत बड़ा आशिक जताने की कोशिश करते है। बाईस-पच्चीस साल के लड़के उम्र तक नहीं देखते और चले आते है लाइन मारने।
Read More »वूमेन्स डे स्पेशल
“21वीं सदी की दहलीज़ पर खड़े अब स्त्री विमर्श लिखना कुछ अजीब लगता है”
अब लिखनी है महिलाओं की स्वतंत्रता, मुखरता और आत्मसम्मान कई बातें क्यूँकि आज महिलाएं कहाँ से कहाँ पहुँच गई है। हवाई जहाज उड़ाने से लेकर मल्टीनेशनल कंपनियों में सीईओ बनकर परचम लहरा रही है। तो अब ऐसी विवाहिता महिलाओं की शान में साहित्य को क्यूँ न सजाया जाए, जिसे पढ़कर जो गिनी चुनी अबलाएं अब भी कुएँ के मेढ़क सी छिछरे पानी में तैरने की कोशिश कर रही है वह भी समुन्दर लाँघने की हिम्मत कर जाएँ।
महिलाओं को अधिकारों के प्रति किया जागरूक
कानपुर। माननीय राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ द्वारा दिए गए दिशा- निर्देशों के अनुपालन में माननीय जनपद न्यायाधीश, अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कानपुर नगर मयंक कुमार जैन की अध्यक्षता में आगामी 12 मार्च को दीवानी न्यायालय परिसर में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कानपुर नगर श्रीमती श्रद्धा त्रिपाठी द्वारा बताया गया। यह भी बताया गया कि उक्त राष्ट्रीय लोक अदालत में दीवानी न्यायालय में लंबित सभी प्रकार के वाद जो सुलह योग्य हैं का निस्तारण किया जाएगा एवं पीएलवी, पैनल लॉयर, आशा बहूओं व आंगनबाड़ी कार्यकत्री के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जा रहा है।
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