आजकल इंसान कई बीमारियों का शिकार होते मौत से पहले ही मर रहे है। कैंसर, किडनी खराब होना और हार्ट अटेक अब मलेरिया और शर्दी खांसी की तरह आम बीमारीयां हो गई है। अच्छी सेहत के लिए अच्छा, पौष्टिक और साफ़ सुथरे तरीके से बनाया गया खाना ही ताउम्र तनमन को स्वस्थ रखता है।
आजकल दूषित खाना खाने की वजह से बहुत ज्यादा लोग बीमारियों के शिकार हो रहे है। सबसे ज्यादा जो बीमारिया दूषित भोजन की वजह से होती है। नोरोवायरस संक्रमण, डायरिया, फूड प्वाइजनिंग सहित अन्य बीमारियों का खतरा दूषित खाने से बढ़ता जाता है।
लेख/विचार
स्त्री शक्ति की प्रतिमूर्ति
सौंदर्य की प्रतिमूर्ति है मातृ रूप! एक दर्द ये भी जो किसी को नहीं दिखता वो स्त्री है सृजन करके हमें जीवन दिया अपने रूप का त्याग स्वीकार किया अपने यौवन को तुम्हें समर्पित किया आपकी आपके कुल की प्रतिष्ठा की रक्षा हेतु स्वयं को प्रताड़ित किया अपनी इच्छाओं का दमन किया आपने उसे क्या दिया घृणा अपने अंतर्मन से पूछो तुम्हारी आत्मा तुम्हें धिक्कारती है।
पुरुष को कभी किसी स्त्री को हीन भाव से देखने का अधिकार नहीं है किसी भी परिस्थिति में वो सृष्टि है प्रेम की प्रतिमूर्ति सहजता सौम्यता सहिष्णुता सरलता संभवतः ये गुण उसके प्रादुर्भाव किस समय ही उसे प्राप्त हो गए थे हमने कभी उसको समझना नहीं चाहा एक स्त्री पुरुष से क्या चाहते हैं सम्मान इसके अतिरिक्त उसकी कोई अभिलाषा नहीं होती क्या हम यह कहें कि अब हम मानसिक रूप से इतने विक्षिप्त हैं कि हम उसे सम्मान और प्रेम की दृष्टि से देखना ही नहीं चाहते या यह कहें कि हमारे पास वो दृष्टि अब रही नहीं।
आंतों में छेद भी कर रहा है व्हाइट फंगस संक्रमण: नाजुक अंगों पर हमला करता है व्हाइट फंगस
एक ओर जहां रूप बदल-बदलकर कोरोना वायरस पिछले डेढ़ वर्षों से पूरी दुनिया में लोगों पर कहर बरपा रहा है और लाखों लोगों को अपना निवाला बना चुका है, वहीं भारत में अब इस बीमारी से ठीक होने वाले कुछ लोगों पर विभिन्न प्रकार के खतरे मंडरा रहे हैं। देशभर में ब्लैक फंगस के हजारों मामले सामने आने के बाद अब कोरोना से उबरे मरीजों में व्हाइट फंगस, यैलो फंगस और एस्पेरगिलिस फंगस के मामले भी मिलने लगे हैं। हालांकि अभी तक यैलो और एस्पेरगिलिस फंगस के गिने-चुने मामले ही मिले हैं लेकिन व्हाइट फंगस से संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 29 मई को तो गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में फंगस के 23 नए मरीजों की पहचान हुई, जिनमें से व्हाइट फंगस के ही 17 मरीज थे।
Read More »प्लास्टिक अपने कफन में दफन करके ही दम लेगा_
“प्लास्टिक प्रदूषण से उठो युद्ध करो, कुछ भी न प्रकृति देवी के विरूद्ध करो, मानवता का अस्तित्व बचाने के लिए, संसार के पर्यावरण को शुद्ध करो। “विज्ञान ने ऐसी बहुत सी खोज की है जो जो अभिशाप बन गई है। ऐसा ही एक अभिशाप है प्लास्टिक। प्लास्टिक शब्द लेटिन भाषा के प्लास्टिक्स तथा ग्रीक भाषा के शब्द प्लास्टीकोस से लिया गया है। दिन की शुरूआत से लेकर रात में बिस्तर में जाने तक अगर ध्यान से गौर किया जाए तो आप पाएंगे कि प्लास्टिक ने किसी न किसी रूप में आपके हर पल पर कब्जा कर रखा है। पूरे विश्व में प्लास्टिक का उपयोग इस कदर बढ़ चुका है और हर साल पूरे विश्व में इतना प्लास्टिक फेंका जाता है कि इससे पूरी पृथ्वी के चार घेरे बन जाएं। हमारे भारत देश में 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिदिन 15000 टन प्लास्टिक अपशिष्ट निकलता है। जो कि दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। जबकि अगर निर्माण की बात करे तो भारत में प्रतिवर्ष लगभग 500 मीट्रिक टन पॉलीथिन का निर्माण होता है, लेकिन इसके एक प्रतिशत से भी कम की रीसाइक्लिंग हो पाती है। वैसे इस समय विश्व में प्रतिवर्ष प्लास्टिक का उत्पादन 10 करोड़ टन के लगभग है और इसमें प्रतिवर्ष उसे 4 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। इन आंकड़ों से प्लास्टिक से भविष्य में होने वाले प्रभावों का आकलन किया जा सकता हैं।
Read More »गांवों में कोरोना संक्रमण रोकने प्रशासनिक सख्ती जरूरी – प्रोत्साहन योजना लागू हो
भारत गांव प्रधान देश है, संक्रमण से बचाने, वैक्सीन लगाने, प्रशासनिक सख्ती, प्रोत्साहन योजना रणनीति बनाकर क्रियान्वयन हो – एड किशन भावनानी
भारत देश में कोरोना महामारी से लड़ाई, हमारी योजना बद्ध रणनीतिक रोडमैप बनाकर किया गया महायुद्ध हम जीतने की ओर बढ़ गए हैं। इसका दिनांक 1 जून 2021 को आए संक्रमितों के आंकड़े से लगाया जा सकता है। जहां यह आंकड़ा कई दिनों से लगातार गिर रहा है और कोरोना से जंग जीतने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए कई राज्यों ने दिनांक 1 जून 2021 से अपने अपने राज्यों में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू कर दी है और आज अनेक प्रतिष्ठान योजनाबद्ध तरीके और शासकीय दिशानिर्देशों के अनुसार खुले। यह बात तो शहरी क्षेत्र की हुए।….
वृद्धाश्रम समाज का सबसे बड़ा कलंक है
गुनहगार की तरह अपने ही बच्चों को जन्म देने की सज़ा काट रहे होते है माँ-बाप उस वृद्धाश्रम नाम की जेल में। क्या महसूस करते होंगे वो बुढ़े मन सिर्फ़ सोचकर ही आँखें नम हो जाती है।
कोई कैसे द्रोह कर सकता है उस पिता का जिस पिता ने तुम्हारी जीत के लिए अपना सबकुछ हारा हो, और जिस माँ को तुमने हर बार हर मुश्किल पर पुकारा हो। बच्चें माँ-बाप के लिए जान से ज़्यादा किंमती जेवर जैसे होते है। बच्चों की एक आह और तकलीफ़ पर कलेजा कट जाता है माँ-बाप का। बच्चे का रोना सौ मौत मारता है माँ बाप को।
अपनी गलतियों, कमियों को स्वीकार करना, अपने सुरक्षित उज्जवल भविष्य का द्वार खोलने के बराबर
परिस्थितियों अनुसार थोड़ा झुकना, तालमेल बैठाना, भूल स्वीकार करना, गम खाना, जिंदगी को बहुत आसान, आनंदित करने का मूल मंत्र
वैश्विक रूप से मानव जीवन में हम देखें तो अधिकतम मनुष्य की प्रवृत्ति होती है कि वह सब कुछ अर्जित करना चाहता है। मैं और सब कुछ मेरा, यह स्वाभाविक रूप से मानव जीवन का एक संकल्प है। आज इस मानव जीवन के दौर में और वह प्राप्त भी कर रहा है। मानव का यह स्वभाव है कि आज वह आधुनिक जीवन, सारी विलासितापूर्ण सुख सुविधाओं आराम देह जिंदगी को अपनी पहली पसंद बताना चाहेगा। स्वाभाविक रूप से आज के युग में यह ठीक भी है।…. बात अगर हम भारतीय अपने हमारे, बड़े बुजुर्गों की करें तो आज के युग में उनकी एक एक बात, वाणी, बोल, अनमोल हीरे की तरह हम अपनी जिंदगी में महसूस भी करते हैं।
टीकाकरण की धीमी प्रक्रिया कोरोना को फैलने की दावत दे रही है
लाॅकडाउन ज़्यादा से ज़्यादा कितने समय तक लगाते रहोगे ? जब लाॅकडाउन हटेगा तब वापस लोग इकट्ठा होंगे, काम काज हेतु घर से बाहर निकलेंगे तो कुछ संपर्क से और कुछ बेदरकारी से वापस कोरोना फैलेगा ही, और कोरोना की लहरें आती ही रहेंगी जब तक टीकाकरण की कारवाही संपूर्णत: पूरी नहीं होती।
वायरस के फैलने की गति से कितना प्रतिशत धीमी गति से टीकाकरण हो रहा है। कुछ सीनियर सिटीजन लोग एक डोज़ लेने के बाद दूसरे डोज़ को तरस रहे है। पहले उनसे कहा गया दूसरा डोज़ 6 सप्ताह के बाद लेना है, ऐसे में 18 प्लस की घोषणा कर दी उनको भी नहीं पहुँच पा रहे। उतने में तीसरी लहर बच्चों को भी चपेट में ले रही है। पहला डोज़ लेने वाले 6 सप्ताह बाद दूसरे डोज़ के लिए जाते तो अब कहा जाता है सरकार ने अब 12 सप्ताह के बाद दूसरा डोज़ लेने की गाइडलाइन जारी की है।
एलोपैथी वर्सेस आयुर्वेद, होम्योपैथी आपसी विवाद वर्तमान कोरोना काल में दुर्भाग्यपूर्ण
चिकित्सीय क्षेत्र में एलोपैथी और आयुर्वेद, होम्योपैथी के आपसी विवाद से कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई कमजोर होगी – एड किशन भावनानी
भारत में कोरोना महामारी से महायुद्ध में शासन-प्रशासन, न्यायपालिका क्षेत्र, चिकित्सा क्षेत्र, व्यापारिक, सामाजिक क्षेत्र, गैर सरकारी स्वयंसेवी संस्थाएं, एनजीओस, धार्मिक संस्थाओं सहित अन्य क्षेत्र के नागरिकों सहित सभी एक साथ मिलकर, एक लक्ष्य से कोरोना महामारी को हराने के लिए रणनीतिक रूप से एक कुचल सैनिक बनकर युद्ध लड़ रहे हैं और मन में ठान लिया है कि कोरोना महामारी को भारत से, पूरी तरह से, जड़ से मिटा देंगे। दिनांक 25 मई 2021 को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा घोषित आंकड़े दो लाख़ से भी कम बताए गए। जबकि एक महीने पूर्व चार लाख से अधिक रोज़ाना आंकड़े आ रहे थे।
फ़िज़ूल खर्च को पहचानो, कंपनियों के दावों को पहचानो
क्यूँ आज सबकी जेब पर बोझ पड़ रहा है ? क्यूँ महंगाई और सरकार को कोसते है सब। कभी ये क्यूँ नहीं सोचते की बिनजरूरी चीज़ों पर व्यर्थ खर्च कर रहे है हम। आज से कुछ साल पहले के रहन सहन में और आज के रहन सहन पर एक नज़र डालेंगे तो पता चल जाएगा कि कुछ चीजों पर कितना फ़िज़ूल खर्च कर रहे है हम। खुद को नये ज़माने के जताने के चक्कर में नयी नयी प्रोडक्ट से घर भर देते है। जीवन जीने के चोंचले बढ़ गए है।
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