हाथरस। चंदपा क्षेत्र के गांव महमूदपुर ब्राह्मणान निवासी एवं जेपीजीडी कॉलेज के वरिष्ठ अध्यापक रमेश कौशिक गत 5 जनवरी को नर्मदा नदी की परिक्रमा देने गए और सौ दिन बाद परिक्रमा देकर वापस अपने गांव लौटे तो परिजनों ने उनका भव्य स्वागत किया है।
परिजन व ग्रामीण उन्हें ढोल बाजे के साथ घर ले गए। सौ दिन बाद परिजनो से रमेश कोशिक मिले तो परिजनों के आंसू झलक उठे। रमेश कौशिक को देख सभी की आँखे नम हो गईं और सभी खुशी से रो पड़े। रमेश कौशिक से हुई वार्ता में बताया कि नर्मदा यात्रा भक्ति भाव में सबसे बड़ी है और वर्ष में एक बार होती है। जिस पर नर्मदा मय्या की कृपा होती है वही भक्त परिक्रमा को पूरी कर पाते हैं। समुद्र तट से 3000 किलोमीटर ऊपर है नर्मदा की परिक्रमा।उन्होंने बताया कि ओंकारेश्वर से शुरू होकर ओंकारेश्वर पर 90 दिन में पूरी होती है। परिक्रमा सूरपाडी, रत्ना सागर महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तरी तट, सतपाडा, विंध्याचल से होते हुए नर्मदा उदगम स्थल पर्वतों घाटियों जटिल मार्ग वन जंगल से होते हुए मरकंटक उदगम स्थल नर्मदा तक पहुंचती है। श्री कौशिक ने बताया कि नर्मदा नदी की परिक्रमा बहुत ही जटिल है जो भक्त भक्ति भाव और श्रद्धा से नर्मदा माता की परिक्रमा करता है। वही भक्त परिक्रमा पूरी कर पाता है।
स्वागतकर्ताओं में यादराम सिंह प्रधानाचार्य जेपीजेडी स्कूल, सुनील परमार, गणेश गोला, ज्ञानेश कुमार सिंह, पंकज सिंह, नरेश आजाद, परिजन एवं क्षेत्र के प्रमुख लोग उपस्थित थे।