कानपुरः अवनीश सिंह। आज देश में आरबीआई द्वारा लिए गए फैसले से 2016 नोट बंदी की यादें दोहरा गई। आरबीआई ने आज प्रेस रिलीज में बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को 2000 रुपए के नोट को बाजार से वापस लेने को कहा है। 23 मई से 30 सितम्बर तक 2000 के नोट बैंक में ग्राहकों द्वारा जमा कराए जा सकते हैं व 2000 के नोट के बदले दूसरे नोट भी दिये जायेंगे, साथ ही यह भी बताया कि बाजार में दो हजार के नोट का चलन जारी रहेगा। इसी कड़ी में आरबीआई ने बैंकों से 2000 के नोट जारी करने पर भी रोक लगा दी है। 2000 के नोट द्वारा देश में 7 वर्ष 7 महीने सेवा देने की चर्चा भी इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो जाएगी। आज आरबीआई द्वारा लिए गए फैसले ने 8 नवंबर 2016 की वो यादें ताजा कर दी जिससे देश की राजनीति से लेकर आम जनमानस की जिंदगी में भूचाल सा आ गया था। जैसे ही रात 8 बजे 8 नवंबर 2016 को 500 व 1000 के नोट बंद करने की घोषणा हुई देश में जनजीवन प्रभावित हो गया। 500 व 2000 रुपये का यह नोट नवंबर 2016 में लाया गया था। दो हजार रुपये के नोट को आरबीआई एक्ट 1934 के सेक्शन 24 (1) के तहत लाया गया था। पुराने 500 और 1000 रुपये को नोटों के बंद होने के बाद मुद्रा की मांग के चलते इन नोटो को लाया गया था। दो हजार रुपये को लाने का उद्देश्य दूसरे नोट पर्याप्त मात्रा में बाजार में आने के बाद खत्म हो गया था इसलिए 2000 रुपये के बैंकनोट्स की प्रिंटिंग 2018-19 में बंद कर दी गई थीं।खैर इस मुद्दे पर 2016 से लेकर आज तक विपक्षी दलों व सत्ता पक्ष में तकरीरें चलती रही लेकिन इसके फायदे व नुकसान सरकार आज तक देश को बता पाने में नाकाम रही है। जानकारों की माने तो उनकी नजर में आरबीआई द्वारा लिया गया फैसला एक प्रयोग की तरह नजर आ रहा है क्योंकि कुछ समय से देश के निम्न वर्ग व मध्यम वर्ग के लोगों के पास से 2000 का नोट आरबीआई द्वारा घोषणा किए जाने से पहले ही दूरी बना चुका था। इस बात से आरबीआई व सरकार अच्छी तरह से वाकिफ है। खैर इस फैसले से होने वाला फायदा या नुक़सान आगे चलकर पता चलेगा। 2016 में नोटबंदी का अनुभव ले चुके देश के नागरिक पहले की अपेक्षा ज्यादा सतर्क व सुरक्षित नजर आ रहे हैं।