♦ व्यापारी व उद्यमी नया उद्योग लगाने से कतरा रहेः पलायन को होंगे विवश
हाथरस। शहर में व्यापारियों पर सर्वे छापे के नाम पर छापामार कार्यवाही से व्यापारियों व उद्योगपतियों में भारी रोष व्याप्त है और व्यापारियों द्वारा पूरे देश की अर्थव्यवस्था में अपना अमूल्य योगदान दिया जाता है और फिर भी छापामार कार्यवाही का शिकार व्यापारियों को ही होना पड़ता है। जिससे व्यापारी वर्ग में भारी रोष व्याप्त है।
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल (मिश्रा गुट) के प्रदेश पदाधिकारी रघुनाथ टालीवाल, विष्णु पचौरी, कमलकांत दोबरावाल, निर्देशचंद वार्ष्णेय, डॉ. रघुकुल तिलक दुबे, सुनील वर्मा व जिला अध्यक्ष विष्णु गौतम, जिला महामंत्री अनिल वार्ष्णेय तेल वाले, शहर अध्यक्ष तरुण पंकज, शहर महामंत्री विजय वार्ष्णेय स्टील, युवा जिला अध्यक्ष सुरेन्द्र वार्ष्णेय, युवा जिला महामंत्री मनोज अग्रवाल, युवा शहर अध्यक्ष योगेश वार्ष्णेय सहपऊ वाले, व युवा शहर महामंत्री चंदन वार्ष्णेय द्वारा संयुक्त रूप से कहा गया है कि व्यापारी समाज अपने आर्थिक प्रयास व परिश्रम से कर के रूप में सरकारी खजाने को भरता है और उन्हीं राजस्व से पूरे देश की अर्थव्यवस्था चलती है। लेकिन दुर्भाग्यवश व्यापारी को ही सर्वाधिक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। व्यापारियों का कहना है कि विभिन्न विभागों द्वारा नाना प्रकार से व्यापारियों का शोषण किया जाता है। साथ ही सरकार व्यापार और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन करती है। जिसमें मुख्यमंत्री से लेकर जिलाधिकारी तक सभी उद्योगों को बढ़ावा देने की बात करते हैं और सभी जिलों से पूरे प्रदेश में व्यापारियों, उद्योगपतियों ने लाखों करोड़ों रूपया निवेश करने के लिए रुचि दिखाई है तथा स्वयं सरकार का मानना है कि इस निवेश से अधिकाधिक राजस्व प्राप्त होगी और तमाम नौकरियों का सृजन होगा और प्रदेश का चहुंमुखी विकास होगा।
व्यापार मंडल के पदाधिकारियों का कहना है कि इसके विपरीत उत्तर प्रदेश में उद्योगों व व्यापार को समर्थन देने की वजह उनके यहां छापेमारी कर उनको निरूत्साहित किया जा रहा है। साथ ही जीएसटी विभाग आने वाले दिनों में सर्वे की कार्यवाही करने की बात कर रहा है और इन सब तथ्यों को मददेनजर व्यापारियों में खासा रोष व्याप्त है। व्यापारी और उद्यमी नया उद्योग लगाने से कतरा रहे हैं और यही हाल रहा तो उत्तर प्रदेश के उद्योगपति व व्यापारी उत्तर प्रदेश छोड़कर बाहर पलायन करने के लिए विवश होंगे। उन्होंने कहा है कि जीएसटी का कलेक्शन रिकॉर्ड राजस्व देने के बावजूद भी व्यापारी को बेईमान की दृष्टि से देखा जाता है और वोगस फर्मों की आड़ में जो हमारे सम्मानित व्यापारी हैं उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। इसलिए व्यापारियों ने सरकार और अधिकारियों से मांग की है कि आयकर विभाग, जीएसटी विभाग एवं अन्य विभागों की उत्पीड़नात्मक कार्यवाही बंद कराएं अन्यथा व्यापारी आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
मांग करने वालों में जिला कोषाध्यक्ष संजीव आंधीवाल, नगर कोषाध्यक्ष राम अग्रवाल, युवा जिला कोषाध्यक्ष विकास गर्ग, ऋषि शर्मा, स्वतंत्र वार्ष्णेय, शशांक वार्ष्णेय, पुनीत वार्ष्णेय, नितिन वार्ष्णेय बब्बू, कृष्ण कुमार यादव, अजय उपाध्याय, चौधरी अजय सिंह, अंकुर अग्रवाल, बांके बिहारी वार्ष्णेय, दीपक वत्स, गोविंद गुप्ता, लोकेश अग्रवाल, मनीष वार्ष्णेय ट्रांसपोर्ट, मुकेश वार्ष्णेय, नीलेश वार्ष्णेय, मयंक वार्ष्णेय गुप्ता मैनशन, नीरज अग्रवाल, पंकज चतुर्वेदी एडवोकेट, पीयूष गुप्ता एडवोकेट, राकेश बागला, उत्तम वार्ष्णेय, विपिन वार्ष्णेय महौ, सुनील अग्रवाल, संदर्भ अग्रवाल, विकास वार्ष्णेय, विशाल वार्ष्णेय, त्रिलोकी अग्रवाल आदि तमाम व्यापारी शामिल हैं।