बागपत। उत्तर प्रदेश के बागपत में जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने आज 24.24 करोड़ रुपए की धनराशि से निर्मित 14 एम०एल०डी० एसटीपी प्लांट परियोजना का निरीक्षण किया। उन्होंने अधिशासी अधिकारी से एसटीपी प्लांट में जमीन के संबंध में जानकारी ली जिसकी वे जानकारी नहीं दे पाए, इस पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की और उन्हें कार्यशैली में सुधार करने के निर्देश दिए।
बागपत में नगर बागपत के 04 प्रमुख नाले क्रमशः आफिसर्स कॉलोनी के पास, सालीग्राम मन्दिर के पास, एकता कॉलोनी के पास व मिर्धानपुरा मोहल्ला में, जिनका कुल स्राव 8.6 एम०एल०डी० था, जोकि यमुना नदी को प्रदूषित कर रहे थे। इनका प्रदूषण स्तर बी०ओ०डी०-306मिग्रा० / ली० सी०ओ०डी०-600 मिग्रा० / ली०, तथा टी०एस०एस०-463 मिग्रा0/ ली०, था।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के माध्यम से नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत उक्त नालों द्वारा प्रवाहित प्रदूषित जल के कारण यमुना नदी में होने वाले जल प्रदूषण को रोकने हेतु आई० एण्ड डी० के साथ 14 एम०एल०डी० एस०टी०पी० योजना स्वीकृत हुई थी। इस परियोजना की क्षमता का निर्धारण आगामी 15 वर्षाे यानि 2036 तक बागपत नगर में होने वाले सीवरेज जनरेशन के आंकलन को ध्यान में रखकर किया गया है। परियोजना के कार्यों की अनुबन्धित लागत 24.24 करोड रुपये (जी०एस०टी० रहित ) तथा 15 वर्षों के अनुरक्षण एवं रखरखाव हेतु 36.42 करोड़ रुपये है।
परियोजना का निर्माण कार्य माह दिसम्बर 2022 में पूर्ण कर माह जनवरी 2023 से अधिशासी अभियन्ता यांत्रिक खण्ड उत्तर प्रदेश जल निगम (ग्रामीण) मेरठ की देखरेख में अनुबन्धित फर्म द्वारा 15 वर्ष के अनुरक्षण एवं संचालन के अन्तर्गत संचालन में है। परियोजना से बागपत नगर के नालों के प्रदूषित जल को सीवेज ट्रीटमेन्ट प्लान्ट पर पहुँचाकर एस०बी०आर० प्रक्रिया द्वारा शोधित किया जा रहा है। शोधन उपरान्त प्रदुषण स्तर मानकानुसार बी०ओ०डी०- 10 मिग्रा० / ली० सी०ओ०डी०- 150 मिग्रा0/ ली०, तथा टी०एस०एस०- 520 मिग्रा० / ली० आ रहा है। उक्त शोधित जल को शोधन उपरान्त यमुना नदी में प्रवाहित किया जा रहा है ।
इस अवसर पर अधिशासी अभियंता जल निगम मूलचंद सहायक अभियंता माधव मुकुंद उपस्थित रहे।
Home » मुख्य समाचार » सटीपी प्लांट की फाइल लेकर नहीं पहुंचने पर जिलाधिकारी ने ली अधिशासी अधिकारी की क्लास