मथुरा ; श्याम बिहारी भार्गव । पुरानी सड़कों को खुदाई के बिना नई लेयर बिछा देने से आबादी क्षेत्र की सड़कें कई फीट तक ऊंची होने से इमारतें नीची हो गयी हैं। जिनमे बरसाती दिनों में जलभराव की समस्या बन जाती है। नई नई सड़कों को विकास के नाम पर खुदाई करना आम हो गया है। विभागों में सामंजस्य की कमी से जनता के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है। शहरों नगरों कस्बों की मुख्य समस्या के तौर पर घरों, दुकानो,ं इमारतों का नीचे होते जाना जनता की परेशानी का कारण बनता जा रहा है। सड़क निर्माण के ठेकेदारों की एक मानसिकता बन गयी है कि सड़क को ऊंचा कर देने से सड़क ज्यादा दिन चलेगी। सड़क पर जलभराव नहीं होगा लेकिन सड़क को ऊंचा उठाकर बनाने से जल भराव तो रुकता नहीं उल्टे स्थानीय निवासियों को परेशानी हो जाती है। किसी क्षेत्र में सड़क नीची हैं और साइडों में नालियां नहीं हैं और सड़क पर पानी भरा रहता है तो वहां सड़क ऊंची उठाई जा सकती है लेकिन सब जगह इस फॉर्मूले को लागू करने से भारी परेशानी सामने आती है। वास्तव में शासन को सभी सड़क बनाने वाले ठेकेदारों, लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों, नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत के अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों को आदेशित करना चाहिये कि वह सड़क निर्माण के समय निम्न बिंदुओं पर ध्यान दें। जनता के पैसे का इतना बड़ा दुरुपयोग आखिर कब तक चलता रहेगा। जलभराव एक विकराल समस्या के रूप में सड़कों को सबसे ज्यादा हानि पहुंचाती है।तो क्यों ने जलभराव के उन बिंदुओं को चिन्हित किया जाए जिन पर अवैध कब्जों की वजह से जलभराव की संभावना बनी और बढ़ी।मुख्य रूप से जिलों के विकास प्राधिकरणों की भूमिका हमेशा से इस बारे में संदेहपूर्ण रही है। इस ओर ध्यान दिया जाना सड़को की सुरक्षा के लिये आवश्यक है।
कोर्ट भी दे चुका है निर्णय
उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय भी इस सम्बन्ध में निर्णय दे चुके हैं कि सड़कों को बनाते समय इतना ऊंचा न उठाया जाए कि आसपास की इमारतों का लेबल सड़क से नीचा या सड़क के समानांतर हो जाये। बावजूद इसके कोई ध्यान ठेकेदारों और विभागीय अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों द्वारा नहीं दिया जाता है।