फिरोजाबाद। श्री रत्नत्रय दिगंबर जैन मंदिर नसिया में चतुर्मास कर रहे मुनि अमित सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में नित्य प्रतिदिन धर्म की अपार वर्षा हो रही है जिसमे सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित होकर धर्म लाभ ले रहे हैं।
मंगलवार को नसिया मंदिर में प्रात सर्वप्रथम अनेकों पुजारियों द्वारा पंचामृत से पूरे भक्तिभाव के साथ श्रीजी का अभिषेक किया गया। तत्पश्चात शांतिधारा के पवित्र मंत्रों से पूरा मंदिर गुंजायमान हो उठा। मुनि अमित सागर महाराज ने विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा की मनुष्य को अपने कर्म सिद्धांत पर विश्वास करना चाहिए तथा जीवन में दुख आने पर कभी ज्यादा परेशान नहीं होना चाहिए। मृत्यु दंड, देश निकाला एवं अपवाद से नहीं डरना चाहिए। आगे कहा कि यदि हमे खाने का विवेक हो तो हम कभी बीमार नहीं होंगे और बोलने का विवेक हो तो कभी झगड़े नहीं होंगे। अच्छा कार्य का श्रेय किसी को भी मिले परंतु अच्छा कार्य होना चाहिए ऐसा सोचने वाला ही सच्चा कर्म योगी होता है। संसार में सभी धर्म सुखी बनाने का आश्वासन देते हैं, परंतु दुख दूर करने की गारंटी नहीं लेते। हम लोग संसार में रहकर दुख के कंधे बदलते हैं। हमने धर्म को टाइमपास मुफली की तरह समझ लिया है, जबकि धर्म का फल ही सुख होता है एवं दुखों को दूर करने वाला होता है। पूजा-पाठ साधना ये सभी भक्ति का ही रूप है जो आत्मा का हित चाहने वाला हो वही सम्यक दृष्टि जीव कहलाता है। उन्होंनेे बताया कि पापी से बड़ा दूस्थी होता है जो ना तो पुण्य कार्य करता है और ना ही किसी को करने देता है। धर्म और आगम के खिलाफ बोलने वाले मुनि अच्छे लगते हैं परंतु आगम के अनुसार चलने और बोलने वाले मुनि अच्छे नहीं लगते। धर्म जीवन के कल्याण का मार्ग एवं सच्चे सुख का मार्ग होता है। प्रवचन में वर्षायोग समिति के सभी पदाधिकारियों सहित शीतल जैन, रजनी जैन, राखी जैन, सुधा जैन एवं हजारों श्रद्धालुगण शामिल रहे।