Monday, November 25, 2024
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सनातन श्रृद्धा, भक्ति व विश्वास का प्रतीक है बाबा बाल्हेश्वर धाम

जन सामना ब्यूरोः लालगंज, रायबरेली। जिले की लालगंज तहसील क्षेत्र में तीर्थ स्थल के रूप में मशहूर बाबा बालेश्वर धाम पर श्रावण मास में दर्शन हेतु लाखों श्रद्धालु आते हैं। वैसे तो वर्ष भर इस धाम पर लोग दर्शन हेतु आते रहते हैं परंतु श्रावण मास में श्रद्धालुओं की उपस्थित और यहां लगने वाला मेला भक्तों की अपनी ओर आकर्षित करता है।
लालगंज से करीब 7 किलोमीटर पूर्व की ओर चलने पर रायबरेली को जाने वाले मार्ग में स्थित है बाबा बाल्हेश्वर महादेव का यह पावन धाम। बाबा बालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित झिलमिल जी महाराज और पूर्व प्रधान एवं मंदिर के सेवादार राजकिशोर सिंह बघेल बताते हैं कि लगभग पांच सौ वर्ष पहले मंदिर के आस-पास काफी जंगल था। बाल्हेमऊ व इसके समीपवर्ती गांवों के लोग उस स्थल को मवेशियों के चारागाह के रूप में प्रयोग करते थे। इस धाम के बारे में एक कहावत प्रचलित है कि बाल्हेमऊ गांव के तिवारी परिवार की गाय को एक चरवाहा चराने ले जाता था। अचानक गाय ने दूध देना बंद कर दिया। गृहस्वामी ने अनुमान लगाया कि चरवाहा चोरी से दूध निकाल लेता है। रंगे हांथों चोरी का खुलाशा करने के लिए एक दिन वह जंगल की झाड़ियों में छिप कर बैठ गया। उसने देखा कि गाय एक झाड़ी में चली गई और वहां लेट गई। उसके थन से दूध धार बनकर बह रहा है और उस स्थान पर भूमि में बने एक छेद में जा रहा है। उसी रात गाय के स्वामी को बाल्हेश्वर महादेव के दर्शन हुए और कहा मैं यहां हूं, मूर्ति के पूजन हेतु एक मंदिर की स्थापना कराओ। दूसरे दिन वह अपने परिवार के साथ स्वप्न की सच्चाई जानने के लिए उसी झाड़ी में गया। वहां खुदाई करने पर वहां शिवलिंग निकला, और आज बाबा बाल्हेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर तीर्थस्थल के रूप में मशहूर है।
✍️ शिवालय की विशेषता –
बाबा बाल्हेश्वर महादेव मंदिर के गुम्बद पर स्थापित त्रिशूल दिन भर सूर्य की गति के साथ-साथ अपने स्थान पर घूमता है। सनातन श्रृद्धा, भक्ति व विश्वास के प्रतीक इस मंदिर में गैर जनपदों से भी लोग पूजन अर्चन को आते हैं। नव वर्ष पर हजारों की संख्या में भक्त पैदल मंदिर पहुंच कर सुखी जीवन के लिए पूजन अर्चन करते हैं। मंदिर के मुख्य पुजारी पं. झिलमिल जी महाराज कहते हैं कि सच्चे मन से बाल्हेश्वर महादेव से मांगी गई मुराद अवश्य पूरी होती है। यहां सुबह व सायं प्रतिदिन ससंगीत आरती होती है जिसमें लोग प्रतिभाग कर पूजन अर्चन करते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं।