कानपुर देहात। सरकारी कर्मचारियों के लिए इनकम टैक्स दाखिल करना एक महत्वपूर्ण कार्य होता है। यदि उसमें जरा सी भी भूल होती है तो उन्हें इनकम टैक्स विभाग नोटिस जारी कर देता है। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों ने अपने इनकम टैक्स रिटर्न में कुछ खामियों का अवलोकन किया है जिसके बाद उन्होंने लेखा कार्यालय को उन्हें सही करने के लिए शिकायती पत्र दिया है। शिकायती पत्रों का संज्ञान लेते हुए वित्त एवं लेखाधिकारी आशुतोष त्रिपाठी ने कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ के सीए विवेक त्रिपाठी को पत्र लिखा है जिससे शिक्षकों की समस्याओं का निराकरण किया जा सके। उन्होंने सीए को निर्देशित किया है कि वे 14 जुलाई 2023 से 24 जुलाई 2023 तक प्रत्येक कार्य दिवस में स्वयं या अपने प्रतिनिधि को भेजकर शिक्षकों की आयकर संबंधी समस्याओं का निराकरण करें ताकि शिक्षक निर्धारित समय सीमा 31 जुलाई 2023 तक अपना आयकर रिटर्न दाखिल कर सकें।
आईटीआर दाखिल करते समय बरतें सावधानी-
यदि आप आयकर दाता हैं और आयकर रिटर्न दाखिल कर रहे हैं तो पूरे वित्त वर्ष में कुल अर्जित आय, ब्याज और निवेश से हुए लाभ के आंकड़ों का मिलान जरूरी दस्तावेजों से अवश्य कर लें। इसके लिए फॉर्म 16, 26एएस और वार्षिक सूचना रिपोर्ट (एआईएस) की आवश्यकता पड़ेगी। दोनों ही दस्तावेज आयकर विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। यदि आंकड़ों का मिलान इन दोनों से नहीं होता है तो आयकर रिटर्न खारिज हो सकता है और करदाता को संशोधित रिटर्न दाखिल करना पड़ सकता है। करदाताओं को यह सलाह दी जाती है कि वे फॉर्म 16 / फॉर्म 16ए जैसे टीडीएस प्रमाणपत्रों की तुलना फॉर्म 26एएस और एआईएस से कर लें त्रुटि होने पर अपने विभाग से सही करवा लें।
इन दोनों में क्या है अंतर-
एआईएस सुविधा को हाल ही में आयकर विभाग ने शुरू किया है। इससे पहले फॉर्म 26एएस की जरूरत पड़ती थी। इसमें संबंधित वित्त वर्ष के दौरान चुकाए गए कर भुगतान और लेनदेन का ब्योरा शामिल रहता है। इसे विभाग के ट्रेस पोर्टल से हासिल करना होता है। वहीं वार्षिक आयकर लेनदेन का दायरा और बढ़ा दिया गया है। स्थायी खाता संख्या यानी पैन के जरिए सूचना रिपोर्ट में होने वाले प्रत्येक लेनदेन को इसमें शामिल किया गया है। इसमें भरे गए कुल कर के अलावा अलग- अलग माध्यम से होने वाली आमदनी, ब्याज, डिविडेंड, लंबी अवधि का मुनाफा, रिफंड समेत 46 तरह की सूचनाएं शामिल की गई हैं।
ब्योरा अलग हो तो यह करें-आयकर विभाग का कहना है कि अगर कर भुगतान का कोई भी विवरण फॉर्म 26एएस और एआईएस में अलग-अलग है, तो फॉर्म 26एएस में दी गई जानकारी को सही माना जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि एआईएस सेवा को शुरू किए ज्यादा वक्त नहीं हुआ है और इसमें सुधार किए जा रहे हैं। हालांकि कर विशेषज्ञों का कहना है कि जानकारी में ज्यादा फर्क होने की आशंका बेहद कम है क्योंकि सूचनाएं लगातार अपडेट होती रहती हैं। इसलिए जरूरी हैं दोनों दस्तावेज- कर विशेषज्ञों का कहना है कि आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए दोनों दस्तावेजों पर ध्यान देना जरूरी है। आयकर विभाग के अनुसार, फॉर्म 26एएस में अब मुख्य ध्यान सिर्फ टीडीएस और टीसीएस की जानकारी पर रहेगा करदाता की अन्य सभी जानकारियां अब एआईएस में दी जाएगी। इसलिए आईटीआर दाखिल करते समय दोनों दस्तावेजों में दी जानकारी का इस्तेमाल करना होगा।
गलत विवरण को ठीक करने का तरीका-
एआईएस के लिए-
विशेषज्ञों के अनुसार हाल ही में ऐसे भी कुछ मामले सामने आए हैं जहां दोनों ही दस्तावेज में गलत विवरण दिए गए थे। ऐसी स्थिति में करदाता के पास संबंधित वित्त वर्ष के दौरान किए गए वित्तीय लेनदेन के वैध कागजात होने अनिवार्य है। इनकी मदद से वह एआईएस फॉर्म में गलती सुधारने के लिए विभाग से संपर्क कर सकता है। इसके लिए आयकर विभाग की वेबसाइट पर लॉगइन कर एआईएस सेक्शन में जाना होगा और वहां संबंधित गलत विवरण में क्लिक कर फीडबैक के माध्यम से विभाग को सूचित करना होगा।
फॉर्म 26एएस के लिए-
अगर इस फॉर्म में कोई गड़बड़ी है तो करदाता को टीडीएस काटने वाले से संपर्क करके उसे सुधार करने के लिए कहना होगा। इसके अलावा किसी सीए की मदद से रिटर्न में सुधार करवा सकते हैं। इसके लिए लेनदेन के दस्तावेज पेश करने होंगे।
Home » मुख्य समाचार » वित्त एवं लेखाधिकारी आशुतोष त्रिपाठी ने शिक्षकों के इनकम टैक्स को लेकर सीए को लिखा पत्र