♦ बागपत के मुकेश, माटी कला योजना अपनाकर बने मजदूर से उद्यमी
♦ मुकेश के मिट्टी के बर्तनों की उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा व उत्तराखंड में बढ़ रही मांग
♦ उत्तर प्रदेश की माटी कला योजना से बदली मुकेश की तकदीर
विश्व बंधु शास्त्री; बागपत। उत्तर प्रदेश में बागपत जनपद के बड़ौत क्षेत्र में किरठल गांव निवासी मुकेश अब किसी परिचय के मोहताज नहीं रह गए है। उत्तर प्रदेश सरकार की माटी कला योजना ने अचानक उसके जीवन की तकदीर ही बदल दी। जिसकी वजह से अब वह ईंट भट्ठा मजदूर से मिट्टी के बर्तनों को बनाकर एक सफल उद्यमी बन गया। आज उसके हाथ से बने मिट्टी के बर्तनों की मांग उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा व उत्तराखंड में भी बढ़ने लगी है।
किरठल गांव निवासी 44 वर्षीय मुकेश पुत्र ओमपाल सिंह एक ईंट भट्ठे पर मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। उसने बताया कि समाचार पत्रों के माध्यम से उसे उत्तर प्रदेश सरकार की माटी कला योजना की जानकारी मिली तो उसने जिला खादी ग्रामोद्योग कार्यालय में संपर्क किया। वहाँ से पात्रता की सभी औपचारिकता पूरी कर जिला प्रशासन की ओर से उसे स्वचालित चाक उपलब्ध हो गया। बकौल मुकेश, पहले वह हाथ से बने चाक पर मिट्टी के बर्तन बनाता था, लेकिन अब स्वचालित चाक से वह काफी संख्या में मिट्टी के बर्तन बना लेता है। इस कार्य में उसकी पत्नी सोनी के अलावा उसके दो पुत्र मोहित व रोहित और पुत्री सलोनी अपनी पढ़ाई के साथ साथ उसका भी हाथ बटाते है। यही वजह है वे काफी संख्या में मिट्टी के दीये, कुल्हड़, घड़े, कसोरे आदि बना लेते है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा बने बर्तनों की बागपत के अलावा उत्तराखंड व हरियाणा में मांग बढ़ती जा रही हैं। उसने बताया कि पूर्व में उसके द्वारा पत्थर के चाक से मिट्टी के बर्तन बनाए जाते थे जिसमें श्रम और समय अधिक लगता था और बमुश्किल परिवार का भरण पोषण हो पाता था। इसके बाद भी अपना परिवार पालने के लिए उसे ईट भट्ठे पर मजदूरी भी करनी पड़ती थी। करीब दो साल पहले उन्होंने जिला प्रशासन की मदद से मिले विद्युत चाक से अपने परंपरागत मिट्टी के कार्य को और आगे बढ़ाया जिससे त्योहार के सीजन में लाखों रुपए का मुनाफा कमाया। इससे उनकी आर्थिक स्थिति में पहले से काफी सुधार हुआ है और अब वह अपने काम को और अधिक विस्तार दे रहे है। इतना ही नही वे अब आसपास के लोगों के लिए भी रोजगार के अवसरों का सृजन कर रहे है। साथ ही कुछ नया करने की इच्छा रखने वाले नवयुवकों और पारंपरिक कारीगरों को भी विभागीय योजनाओं की जानकारी देते है। उन्होंने बताया कि उनके निर्मित माल को बेचने के लिए उनको विभाग द्वारा संचालित प्रदर्शनी एवं स्थानीय बाजार में दुकान स्टॉल निशुल्क प्रदान की जाती है। वहीं, जिला ग्रामोद्योग अधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि इस योजना अंतर्गत गत वर्षों में 78 चाक का वितरण कराया जा चुका है और चालू वित्तीय वर्ष में 35 चाक वितरण का लक्ष्य प्राप्त हुआ था जिसके सापेक्ष 35 लाभार्थियों का चयन सूची मुख्यालय लखनऊ प्रेषित की गई। उक्त 35 चाक की आपूर्ति शीघ्र ही जिला ग्रामोद्योग कार्यालय द्वारा कराया जाना प्रस्तावित है।