Monday, November 25, 2024
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सुहागनगरी में स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों को किया गया याद

⇒क्रांतितीर्थ उन बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने का जिन्होंने अपना सर्वस्व जीवन देश की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कियारू धर्मवीर प्रजापति
फिरोजाबाद। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशन में सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च और डेवलपमेंट एंड चेंज (सी.ए.आर.डी.सी) के संयोजन तथा संस्कार भारती के सहयोग से क्रांतितीर्थ कार्यक्रम का आयोजन बलिदानों की नगरी फिरोजाबाद के एफ.एम. वाटिका में किया गया। कार्यक्रम में क्रांतिवीरों को नमन करते हुए उनका सम्मान व उनके परिवारजनों का सम्मान किया गया। सम्मान के दौरान गुमनाम क्रांतिवीरों के ऊपर व उनके परिवार के सदस्यों के ऊपर पुष्प वर्षा की गई।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के कारागार एवं होमगार्ड मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि क्रांतितीर्थ कार्यक्रमों की एक श्रृंखला मात्र नहीं है, अपितु ये एक अभियान है, उन बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने का जिन्होंने अनेक कष्ट सहे, अपना जीवन, अपना सर्वस्व देश की स्वतंत्रता के लिए, स्वराज की, स्वधर्म की भावना के लिए समर्पित कर दिया। फिर भी वे इतिहास के पृष्ठों में अनाम रह गए, अल्पज्ञात रह गए। उन्हें जिस तरह से स्मरण किया जाना चाहिए था उस तरह से स्मरण नहीं किया गया, जैसा यश मिलना चाहिए था वैसा यश उन्हें नही मिला। आज इस कार्यक्रम के माध्यम से जनपद फिरोजाबाद के गुमनामी क्रांतिवीरों व उनके परिवारजनों को आज सम्मान करने का मौका मिला है। मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय की प्राध्यापिका डा. अंकिता कुमार ने कहा कि ‘क्रांतितीर्थ’ एक श्रृंखला है। जो स्वतन्त्रता के लिए बलिदान हुए भूले-बिसरे महानायकों को याद करने तथा उनके योगदान को सबके समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयत्न कर रही है। हमने आजादी की रजत जयंती मनाई, स्वर्ण जयंती मनाई गई, आजादी के साठ वर्ष पूर्ण होने पर भी पूरे देश में अनेक कार्यक्रम आयोजित हुए, हमने उन्हें पग-पग पर स्मरण किया। आज जब पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो ये अवसर हैं उन सभी नायकों को स्मरण करने का जो इतने वर्षों में छूट गए, इतिहास के पन्नों में कहीं दब गए। जैन समाज जो सदा अहिंसा का पाठ पढ़ता है, उस समाज की एक रानी, रानी अब्बक्का जब अपने पति को छोड़कर, अपने राज्य को छोड़कर सिर्फ इसलिए वापस आ जाती है कि उसका पति पुर्तगालियों के साथ मिलकर देशद्रोह कर रहा था। वो सिर्फ अपने पति का विरोध ही नहीं करती बल्कि धनुष वाण उठाती है, उन विदेशी आततायियों के विरुद्ध अग्नि वाणों का प्रयोग करने वाली अंतिम रानी के नाम से जानी जाती है। इसके बावजूद भी जब वो इतिहास के पन्नों में गुम हो जाती है। तो उसको संवादों का हिस्सा बनाने के लिए क्रंतितीर्थ जन्म लेता। कार्यक्रम में आईवे इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं द्वारा देशभक्ति पर प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में मंचासीन प्रवीन अग्रवाल सेवा सदन, डॉ रमा शंकर सिंह, शिवशंकर झा, हरिओम शर्मा आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रवीन अग्रवाल, इंडियन कंप्यूटर सेंटर द्वारा किया गया। इस दौरान देवीचरन अग्रवाल, अर्पित चित्रांश, उद्देश्य तिवारी, रविन्द्र बंसल, बृजेश यादव, अमित गुप्ता रक्तवीर, अनुग्रह गोपाल अग्रवाल, शंकर गुप्ता, राजीव बंसल, शिवकांत पलिया, उमेश गुप्ता, शैलेश अग्रवाल, मंयक सारस्वत, दयाशंकर गुप्ता, कृष्ण मुरारी, कपिल अग्रवाल के अलावा शहर के गणमान्य लोग मौजूद रहे।