मथुराः श्याम बिहारी भार्गव। किसानों के नाम पर राजनीति खूब हो रही है। किसानों के हित की दुहाई देकर किसान संगठन खूब हो हल्ला हो रहा है। इस बीच किसान राजनीति के नाम पर तमाम नए संगठन उग आए हैं। भारतीय किसान यूनियन टिकैत की पकड किसानों पर मजबूत रही है। वर्तमान में जनपद में किसान राजनीति के नाम पर संगठन को चला रहे किसान नेताओं की किसानों पर कितनी पकड़ है, यह बहुत हद तक शुक्रवार को प्रस्तावित तिरंगा ट्रैक्टर रैली में साबित होगा। किसानों के अगुआ होने का दावा ठोकते रहे तमाम किसान संगठन महत्वपूर्ण अवसरों पर उंगलियों पर गिनने लायक किसान ही एकत्रित कर पाते हैं। क्षेत्रीय किसानों का मानना है कि इनकी तब खूब चल जाती है जब किसी मुद्दे पर किसान खुद आगे आते हैं और किसान संगठनों से जुड़े लोग अगुआ जाते हैं। यह ट्रैक्टर रैली भाकियू टिकैत के शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर की जा रही है। कोई स्थानीय किसान नेता खुद को स्थापित करने के लिए यह रैली नहीं कर रहा है जिससे वह अपना पूरा दमखम लगा कर लोगों को जुटा लाये। संगठन की एकता भी ट्रैक्टर रैली में साबित होगी। किसान संगठनों के नाम राजनीति करने की ललक लिए तमाम ऐसे लोग भी पदाधिकारी हो बैठे हैं जिनका किसानों के बीच किसी तरह का कोई जनाधार नहीं है। जानकारों का मानना है कि ट्रैक्टर रैली के लिए ऐसे समय को चुना गया है जो किसान संगठन में नेताओं के लिए अग्नि परीक्षा साबित होगा। भाकियू टिकैत के जिलाध्यक्ष देवेन्द्र कुमार रघुवंशी के मुताबिक शुक्रवार को सुबह 10 बजे से राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर विशाल ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी। जनपद भर से ट्रैक्टर लेकर किसान रैली में शामिल होंगे। करीब 200 टैक्टर और हजारों किसान टोपी पहन कर हाथों में झंडा लेकर कलेक्ट्रेट पहुचेंगे। यह ट्रैक्टर रैली ऐतिहासिक होगी, जो सत्ता में बैठे लोगों को किसानों की ताकत का अहसास करागी। रैली को सफल बनाने के लिए व्यापक स्तर पर जनसंपर्क अभियान चलाया गया है।