⇒वर्ष में एक ही बार होते हैं भक्तों को ऐसे दुर्लभ दर्शन
⇒निर्थीरित समय से डेढ़ घंटे पहले खोल दिए गए भक्तों के लिए मंदिर के द्वार
मथुरा। कान्हा की नगरी श्री धाम वृंदावन में हर उत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। उत्सवों की श्रृंखला में श्रावण मास में आने वाला हरियाली तीज का पर्व भी वृंदावन में बड़े ही धूमधाम और हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव के मौके पर वृंदावन में स्थित सभी मंदिरों में ठाकुर जी को हिंडोलो में विराजमान किया जाता है। वही बेशकीमती स्वर्ण रजत निर्मित हिंडोले में विराजित जन जन के आराध्य ठाकुर बांके बिहारी लाल की मनमोहनी छवि को निहारने के लिए भक्तों का सैलाब कान्हा की नगरी में उमड़ पड़ा है। भक्त अपने लाडले की एक झलक पाने को लालायित दिखाई दिए। श्रावण मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर ठाकुर बांके बिहारी लाल वर्ष में केवल एक बार बेशकीमती स्वर्ण रजत निर्मित हिंडोले में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते है। हरे रंग की रेशमी कढ़ाई से सजी विशेष पोशाक में ठाकुर जी की दिव्याकर्षक छवि को निहारने के लिए भक्त का अपार समूह अपने आराध्य की सिर्फ एक झलक निहारने को लालायित दिखाई दिया। इस विशालकाय झूले का इतिहास आजादी की लड़ाई से जुड़ा हुआ है। 15 अगस्त 1947 को ठाकुरजी प्रथम बार इस अद्भुत झूले पर विराजित हुए थे। 218 किलो वजनी हिंडोले में ठाकुरजी की श्री विग्रह को प्रातःकाल वैदिक पूजा अर्चना के उपरांत विराजमान कर ठीक 6ः15 बजे भक्तो के लिये दर्शन खोल दिये गये, हालांकि मंदिर के द्वारा दर्शन खुलने का समय 7ः45 था। मन्दिर के द्वार खोल जाने से पूर्व ही हजारों की संख्या में भक्त मंदिर के आसपास जुटने शुरू हो गये थे। जैसे ही पट खोले गए बांके बिहारी लाल की जयजयकार से सारा परिसर गूंज उठा। उमस भरी गर्मी भी भक्तो की आस्था को डिगा नहीं सकी। भक्तों की श्रद्धा के मद्देनजर मन्दिर के पट खोले जाने के समय मे भी चार घण्टे की अवधि बढ़ा दी गयी है। पहले केवल शाम के समय ठाकुर जी झूले में विराजते थे। अब सुबह व शाम दोनों समय दर्शन दे रहे है। श्रद्धालुओं की सुविधा के दृष्टिगत पुलिस प्रशासन द्वारा चाक चौबंद इंतजाम किये गये है। आलाधिकारी पूरे शहर की खुद निगहबानी कर रहे है। हर चौराहे तिराहे व प्रमुख मार्गों पर बैरिकेडिंग लगाकर पुलिसकर्मी तैनात किये गये है। वहीं वृंदावन शहर के अन्य मंदिरों में भी ठाकुर जी की ग्रहों को लकड़ी, चांदी एवं सोने से निर्मित हिंडोले में विराजमान किया गया। जिसमें राधावल्लभ मंदिर, राधारमण मंदिर, राधा दामोदर मंदिर, राधा श्याम सुंदर मंदिर, स्नेह बिहारी मंदिर, राधा गोविंद मंदिर, मदन मोहन मंदिर है।
मंदिर में प्रवेश के लिए रही एकल व्यवस्था
मंदिर में भीड़ का दबाव न बने इसके लिए मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश की एकल व्यवस्था लागू की गई थी। मंदिर के आस पास की सभी गलियों में बैरिकेडिंग लगाकर लाइन से मंदिर में प्रवेश कराया जा रहा है। शहर में वाहनों की एंट्री के सभी रास्ते बंद कर ट्रैफिक का रूट बदला गया था। शहर के बाहर 30 से अधिक पार्किंग स्थलों की व्यवस्था की गई, जहां वाहनों को पार्क कराया गया।
सुरक्षा के रहे पुख्ता इंतजाम
प्रशासन ने इस अवसर पर उमड़ने वाली भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पूरे इंतजाम किये थे। शहर को तीन जोन, 18 सेक्टर में बांट कर अपर पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को जोन प्रभारी बनाया गया। 18 सर्किल ऑफिसर को सेक्टर प्रभारी का जिम्मा सौंपा गया है। 30 निरीक्षक, 200 उपनिरीक्षक, 1200 कॉन्स्टेबल, 2 प्लाटून पीएसी और इसके अतिरिक्त यमुना के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए एक प्लाटून फ्लड पीएसी की टीम यमुना पर तैनात की गई है।