Monday, November 25, 2024
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अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवियों ने रचनायें सुनाकर बांधा समां

सिकंदराराऊ, हाथरस। हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत एवं हिंदी प्रोत्साहन समिति के 31वें वार्षिकोत्सव पर आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवियों ने हास्य-व्यंग्य,गीत और देशभक्ति की रचनाओं से श्रोताओं को घंटों बांधे रखा।
पंडित सुभाष चंद्र दीक्षित एवं राजेंद्र मोहन सक्सैना की संयुक्त अध्यक्षता में तथा कवि डॉ सौरभ कांत शर्मा एवं देवेंद्र दीक्षित शूल के संयुक्त संचालन में यह सफल कार्यक्रम ममता फार्म हाउस में संपन्न हुआ ।
मुख्य अतिथि समाजसेवी उदय पुंढीर दिल्ली, विशिष्ट अतिथि गौरीशंकर शर्मा कासगंज, जयपाल सिंह चौहान, देवेन्द्र राघव , डॉ शरीफ अली तथा सुप्रसिद्ध कवि, प्रोफेसर व पूर्व सांसद ओमपाल सिंह निडर द्वारा मां सरस्वती के छवि चित्र पर माल्यार्पण कर व दीप जला कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया ।
कवयित्री श्रीमती सीमा पुंढीर की सरस्वती वंदना से प्रारंभ हुए कवि सम्मेलन में एटा के कवि आर्य राजेश यादव ने पढ़ा- तीनों संत बड़े अलबेले, आगे पीछे मेला मेले, मोदी योगी रामदेव से ,
है कोई जो पंगा ले ले ।
वहीं भोपाल मध्य प्रदेश से पधारे व्यंग्य कवि अश्वनी अंबुज ने पढ़ा- बाबुल की बाहों में पली, नाज नखरों से ढली,
दहेज की बलि वेदी पर तिल तिल जली ।
संजय जैन सरधना मेरठ ने पढ़ा- मन भगवा है तन भगवा है भानु के प्रकाश का भी रंग भगवा है जी ।
ज्वालापुर उत्तराखंड के वरिष्ठ कवि पं ज्वाला प्रसाद दिव्य जी ने पढ़ा -गम दूर हों, अश्क बहाना जरूरी बहुत ।
जीना है तो मुस्कुराना जरूरी है बहुत ।कवयित्री सीमा पुंढीर ने पढ़ा- मिटाकर पाप जग का हे प्रभू यह काम कर डालो।
हर एक नारी में हो सीता, पुरुष हर राम हो जाए।
कु शांभवी पाठक दर्पण ने पढ़ा – हर स्वप्न के संसार को आधार चाहिए, न गढ़ सकेंगे गढ़ कभी मकड़ी के जाल पर।
वरिष्ठ कवि डॉ ओमप्रकाश दीक्षित सूर्य ने पढ़ा-ओ श्रृंगार सुनाने वालो तुम मरघट के भी तट देखो
हैं जहां वीर बलिदान हुए उनके भी पावन घट देखो।
संभल के कवि डॉ सौरभकांत शर्मा ने पढ़ा -इतना तो मान रखना मेरे प्रभु मेरा, अंतिम सफर पर निकालूं तिरंगे को ओढ़कर।
सुप्रसिद्ध कवि ,पूर्व सांसद प्रोफेसर ओमपाल सिंह निडर ने पढ़ा-
खाई थी सौगंध राम की,पूर्ण कर रहे राम सुनो ।
अपनी क्या औकात स्वयं का, राम कर रहे काम सुनो ।
होगा भव्य राम जैसा ही श्री राम का धाम सुनो। प्राण प्रतिष्ठा होने तक अब होगा नहीं विराम सुनो।
शाहजहांपुर के कवि उर्मिलेश सौमित्र ने पढ़ा- वो समाज जो सीता माँ पर भी लांछन सह सकता है। वो समाज जो चीर हरण पर शब्द न दो कह सकता है। आंख बंद कर उस समाज की पैरोकारी बंद करो। ओ समाज के ठेकेदारो ठेकेदारी बंद करो।
कानपुर की कवयित्री डॉ अंजना कुमार ने श्रृंगार रस की उत्कृष्ट रचना पढ़ी वहीं आगरा के युवा कवि मोहित सक्सेना ने देशभक्ति की कविता पढ़कर खूब तालियां बटोरीं।
इस अवसर पर हिंदी एवं समाज की सेवा हेतु केदार बाबू वार्ष्णेय, राजपाल सिंह बघेल, ओ पी शर्मा रसिया वाले, स्यौराज सिंह यादव, राम किशन दीक्षित, पं चेतन शर्मा, डॉ शादाब अहमद आदि का सम्मान किया गया।
इस अवसर पर स्थानीय कवि भद्रपाल सिंह चौहान, अवशेष विमल, प्रमोद विषधर, डॉ दत्तात्रेय द्विवेदी व प्रेम सिंह यादव प्रेम के साथ-साथ अरुण दीक्षित, तरुण चौहान, आकाश दीक्षित, डॉ शशिकांत गर्ग, अनीता गर्ग श्रीकांत गर्ग, मालती गर्ग, कुमुद कांत गर्ग, शालिनी गर्ग, भानु प्रताप सक्सेना, राजीव शर्मा राज, शिवेन्दु दीक्षित, शशिकांत शर्मा, इंजी आकाश प्रताप तोमर, डॉ के पी सिंह तोमर ,मुनेश बघेल बाजीदपुर ,दिलीप गुप्ता, पारस शर्मा, सुमन शर्मा , तरुण चौहान नगला सरदार, डॉ अशोक यादव, विनोद गुप्ता मुरारी लाल शर्मा, हुकम सिंह बघेल, विजय उपाध्याय, हिमांशु दीक्षित एड, दीपेश पाठक, रायसेन यादव , मुकेश राजपूत, यशपाल बघेल , पंकज शर्मा राय आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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