Friday, November 8, 2024
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महाराष्ट्र में योगी का ‘हिंदू एकजुटता’ अभियान, क्या ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ बनेगा सत्ता का मंत्र ?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अपनी पहली रैली के माध्यम से राजनीतिक माहौल को बदलने की कोशिश की है। महाराष्ट्र की सियासत में कदम रखते ही उन्होंने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक रहेंगे तो नेक और सेफ रहेंगे’ जैसे नारे के जरिए हिंदुत्व के मुद्दे को फिर से एक मजबूत दिशा देने की कोशिश की है। योगी आदित्यनाथ का यह कदम महाराष्ट्र में बीजेपी के वोटबैंक को मजबूत करने और हिंदू समुदाय को एकजुट करने के उद्देश्य से लिया गया है, क्योंकि विधानसभा चुनावों में जातिगत समीकरण और धार्मिक ध्रुवीकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र के वाशिम, अमरावती और अकोला जैसे शहरों में आयोजित रैलियों में यह नारा बार-बार दोहराया कि अगर हिंदू समाज एकजुट रहेगा, तो वह कभी कमजोर नहीं होगा, लेकिन अगर वह बंटेगा, तो कटेगा। योगी आदित्यनाथ का यह नारा विशेष रूप से हिंदू वोटों को एकजुट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इससे पहले हरियाणा विधानसभा चुनावों में यह नारा सुर्खियों में था, और अब महाराष्ट्र में भी इसका राजनीतिक प्रयोग किया जा रहा है। इस नारे का उद्देश्य हिंदू समुदाय को यह संदेश देना है कि उन्हें एकजुट रहकर अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और किसी भी बाहरी ताकत से प्रभावित हुए बिना एक सामूहिक पहचान बनानी चाहिए।
योगी आदित्यनाथ की रैलियों में यह नारा राजनीति की एक नई दिशा दिखा रहा है। उन्होंने हिंदू समुदाय को एकजुट करने के लिए शिवाजी महाराज और हनुमान चालीसा का उदाहरण भी दिया। वाशिम में अपनी रैली में योगी ने कहा कि जब हम इतिहास में बंटे, तो हम कमजोर हुए और नुकसान उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि अब हिंदू समाज को एकजुट रहने की जरूरत है, क्योंकि अगर हम बंटे तो कटेंगे। यह संदेश सीधे तौर पर बीजेपी के समर्थन में हिंदू वोटों को एकजुट करने की दिशा में है।
इसके अलावा, अमरावती में योगी ने हनुमान चालीसा का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि नवनीत राणा ने हनुमान चालीसा के लिए संघर्ष किया था, और यह संघर्ष धार्मिक ही नहीं, बल्कि राष्ट्रवादी भी है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोई भी भारतीय राम और बजरंग बली का सम्मान नहीं करता, ऐसा नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि जब त्रेतायुग में बजरंग बली थे, तब इस्लाम का अस्तित्व भी नहीं था, तो फिर आज के समाज में क्यों हनुमान चालीसा के पढ़ने पर विरोध किया जा रहा है।
योगी आदित्यनाथ ने शिवाजी महाराज के संघर्ष को भी भारतीय स्वाभिमान का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी का संघर्ष केवल एक राजा की सत्ता को बचाने के लिए नहीं था, बल्कि वह भारत के स्वाभिमान की रक्षा के लिए था। शिवाजी महाराज ने औरंगजेब की सत्ता को चुनौती दी और मुगलों के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ी। योगी आदित्यनाथ ने इसे एक प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत किया और कहा कि हमें भी अपने देश, धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए इसी तरह एकजुट रहना होगा।
योगी आदित्यनाथ ने इस दौरान पाकिस्तान और फिलीस्तीन जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कुछ लोग भारत की समस्याओं के बजाय पाकिस्तान और फिलीस्तीन के बारे में अधिक चिंता करते हैं, जबकि हमें अपनी समस्याओं का समाधान पहले करना चाहिए। यह उनका कटाक्ष था उन लोगों पर जो अपनी आंतरिक समस्याओं की बजाय बाहरी मुद्दों को प्राथमिकता देते हैं। इस विचारधारा का मकसद यह है कि भारतीय समाज को अपने आंतरिक मुद्दों और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति ज्यादा संवेदनशील और जागरूक रहना चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ का महाराष्ट्र में हिंदुत्व का एजेंडा अपनाने का मकसद राज्य में हिंदू वोटों को एकजुट करना है, क्योंकि राज्य में विभिन्न जातियों और समुदायों के बीच यह स्पष्ट विभाजन देखा जा रहा है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी का उद्देश्य केवल अपनी पार्टी को सत्ता में लाना नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति और धर्म की रक्षा करना है। महाराष्ट्र में आरक्षण, जातिगत जनगणना और मराठा आरक्षण जैसे मुद्दे इन चुनावों में गरमाए हुए हैं, और बीजेपी को इन मुद्दों के संदर्भ में विशेष रणनीति अपनानी होगी।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पहले के कुछ महीनों में बीजेपी को 2024 के लोकसभा चुनावों में मिली हार का सामना करना पड़ा था। उस हार को देखते हुए पार्टी ने अपने चुनावी दृष्टिकोण में बदलाव किया है और अब बीजेपी के दिग्गज नेता, विशेष रूप से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्य की सियासी फिजा को अपने पक्ष में करने के लिए सक्रिय हो गए हैं। योगी आदित्यनाथ ने यह सुनिश्चित किया है कि वह अपनी रैलियों के माध्यम से हिंदू समुदाय के बीच एकजुटता का संदेश दें और राज्य में पार्टी के समर्थन में एक मजबूत लहर पैदा करें।
वहीं, महा विकास अघाड़ी के नेता बीजेपी के इस एजेंडे को आड़े हाथों ले रहे हैं। संजय राउत जैसे नेता यह आरोप लगा रहे हैं कि महाराष्ट्र की भूमि पर कोई भी बंटेगा या कटेगा नहीं। वे कहते हैं कि छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमि पर इस तरह के विभाजनकारी नारे लगाने का कोई स्थान नहीं है। उनके अनुसार, महाराष्ट्र के लोग महा विकास अघाड़ी के साथ हैं और बीजेपी की यह साजिश सफल नहीं होगी। राउत का कहना है कि योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी को बचा नहीं पाया, तो महाराष्ट्र में क्या करेंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, योगी आदित्यनाथ का यह कदम बीजेपी की सियासी रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य हिंदू वोटों को एकजुट करने और जातिगत विभाजन से निपटने का है। वे मानते हैं कि महाराष्ट्र में आरक्षण और जातिगत जनगणना के मुद्दे को लेकर कई समुदायों के बीच तनाव है, और ऐसे में धार्मिक ध्रुवीकरण को अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी ने यह कदम उठाया है। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के आरक्षण, ओबीसी और आदिवासी समुदायों के आरक्षण के मुद्दे ने चुनावी राजनीति को और जटिल बना दिया है, और बीजेपी इस मुद्दे को संभालने के लिए खुद को तैयार कर रही है।
योगी आदित्यनाथ को केवल उत्तर भारतीय वोटों के लिए नहीं, बल्कि एक हिंदू आइकन के रूप में महाराष्ट्र में उतारा गया है। इसीलिए, वह अपनी रैलियों में हिंदुत्व का एजेंडा प्रमुखता से रखते हुए जातिगत मुद्दों को हल करने की कोशिश कर रहे हैं। इस तरह, बीजेपी को उम्मीद है कि वह अपनी रणनीति के तहत अपने पक्ष में वोटों का रुझान बदलने में सफल हो सकती है।महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम से पहले यह देखना होगा कि बीजेपी की यह रणनीति कितनी सफल हो पाती है, क्योंकि राज्य की सियासी तस्वीर में कई बदलाव हो चुके हैं और चुनावी मुकाबला कड़ा होने वाला है।
-अजय कुमार, लखनऊ