-हर एक को सीखना चाहिए अपनी मातृ भाषा
-कृषि विश्व विद्यालय, केवीके और वैज्ञानिकों को मिलकर बनाना होगा कृषि को लाभदायक
कानपुरः जन सामना ब्यूरो। उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि कृषि और संस्कृति दोनों को स्कूल के पाठ्यक्रम में होना चाहिए। इसके लिए वे जल्द मंत्रियों और अन्य संबंधित लोगों से बात करेंगे। साथ ही कहा कि कृषि को कैसे लाभदायक बनाया जाए, इसकी जिम्मेदारी कृषि विश्व विद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) और वैज्ञानिकों पर है।
कानपुर स्थित चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं तकनीकी विश्व विद्यालय के 19वें दीक्षांत समारोह में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू आज मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। इस मौके पर साथ में उपस्थित थे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक व प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही।
अपने संबोधन में उप राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपनी मातृ भाषा और मातृ भूमि को कभी नहीं भूलना चाहिए। हमारे देश का इतिहास 5 हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। मैं अंग्रेजी के विरुद्ध नहीं हूं, लेकिन यदि हम अपनी मातृ भाषा में बात करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
साथ ही श्री नायडू ने कहा कि मातृ भाषा हर एक को सीखना चाहिए। घर में हर एक को मातृ भाषा में ही बात करनी चाहिए। साथ ही हमें अपने पूर्वजों को भी नहीं भूलना चाहिए। श्री नायडू ने विश्व विद्यालय के कैलाश सभागार में उपस्थित छात्रों से कहा कि भारत विश्व की तीसरे नंबर की अर्थ व्यवस्था बनकर उभर रहा है। जिस तरह से मां शब्द उच्चारण में अंदर से निकल कर आता है उसी तरह अम्मी शब्द भी अंदर से निकलता है।
छात्रों से उप राष्ट्रपति ने कहा कि हमें भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन देना चाहिए। साथ ही प्रत्येक देशवासी को अपनी मातृ भाषा से इतर एक अन्य क्षेत्रीय भाषा को भी सीखने का प्रयत्न करना चाहिए। उदाहरण देते हुए श्री नायडू ने बताया कि रूस, चीन, फ्रांस व बेलारूस देश के प्रमुख जब भारत आते हैं तो ज्यादातर अपनी मातृ भाषा में ही बात करते हैं। इसका मतलब ये नहीं की उन्हें अंग्रेजी नहीं आती बल्कि वे अपनी मातृ भाषा का सम्मान करते हैं। मातृ भाषा में स्वाभिमान है, श्री नायडू ने कहा।
छात्रों से श्री नायडू ने कहा कि राष्ट्रीयता मतलब सबका सम्मान है। नमस्कार भारत का संस्कार है। उसी तरह वंदे मातरम मतलब मां तुझे सलाम है। लोकतंत्र का मतलब आजादी है तो लोकतंत्र का मतलब नियमों का पालन करना भी है। मतभेद होना ठीक है लेकिन देश को विघटित करने का प्रयास कभी सफल नहीं होने देना चाहिए। अपनी रोटी दूसरे को खाने के लिए दे देना, यह भारतीय संस्कृति है।
श्री नायडू ने छात्रों से कहा कि जीवन में शिक्षक का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। आजकल के बच्चे सिर्फ गूगल करते हैं। गूगल जानकारी प्राप्त करने का अच्छा तरीका है, लेकिन गूगल कभी शिक्षक की जगह नहीं ले सकता।
कृषि क्षेत्र की चुनौतियों पर श्री नायडू ने कहा कि जिस दर से देश की आबादी बढ़ रही है हमें उसी दर से खाद्यान का उत्पादन भी करना होगा। ऐसा तभी संभव होगा जब कृषि एक लाभदायक व्यवसाय बनकर उभरेगा। इसकी जिम्मेदारी राजनेताओं व वैज्ञानिकों दोनों पर है। हम विदेश से बेहतर केचप और चिप्स बना सकते हैं।
कृषि बेहतर व्यवसाय तभी बन सकता है जब बैंक अपना दायित्व बनाएं कि उन्हें किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराना है। साथ ही इसी प्रकार कृषि विश्व विद्यालयों व केवीके का यह दायित्व हो कि वे रोग प्रतिरोधक बीज अच्छी तदात में किसानों को उपलब्ध कराएं। श्री नायडू ने वैज्ञानिकों से आहवाहन किया कि कृषि की आधुनिकतम तकनीक को लैब (प्रयोगशाला) से लैंड (जमीन) तक पहुंचाएं।
चंद्र शेखर आजाद कृषि व तकनीकी विश्व विद्यालय के 19वें दीक्षांत समारोह में कुल 424 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गईं। जिनमें से 28 विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों में पीएचडी की उपाधि से विभूषित किया गया। उतकृष्ट प्रदर्शन के आधार पर 07 विद्यार्थियों को कुलाधिपति स्वर्ण पदक, 07 को विश्व विद्यालय रजत पदक, 07 छात्रों को विश्व विद्यालय कांस्य पदक एवं 10 विद्यार्थियों को प्रायोजित स्वर्ण पदकों से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने कृषि वैज्ञानिक डाॅ एनएस राठौर व प्रो0 एमपी पांडेय को डाॅक्टर आॅफ साइंस मानद उपाधि से अलंकरण का प्रशस्ति पत्र प्रदान किया।