सामाजिक तानों-बानों पर यों तो ढेरों फिल्में बन चुकी हैं, परन्तु समाज को एक नई दशा और दिशा देगी हिंदी फीचर फिल्म – पहल। इक्का-दुक्का सामाजिक फिल्मों को छोड़ दें तो पता चलेगा कि इस तरह की अधिकांश फिल्में सिनेमाघरों में अपना जादू अच्छे से नहीं दिखा पाईं हैं पर वे लम्बें समय तक पसंद की गईं और की जा रही हैं। लेकिन ‘पहल’ एक ऐसी फिल्म होगी जो सिनेमाघरों में अपना भरपूर जादू भी दिखायेगी और फिल्म जगत में हमेशा एक मिसाल बनी रहेगी।
इस फिल्म में वह सब दर्शाया गया है कि कैसे एक पिछड़ा समाज निम्नस्तर से उच्चश्रेणी में पहुंच सकता है। मुख्यभूमिका में राजशेखर साहनी हैं और इनका साथ दिया है प्रियंका रघुवंशी ने इन दोनों ने ही अपनी – अपनी भूमिका उम्दा तरीके से निभाई है। कहने को लगभग दोनों ही फिल्म जगत में नवोदित हैं पर इनके अभिनय को देखकर कोई इन्हें नवसिखिया नहीं कह सकेगा।
निकट भविष्य में ढेर सारे राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में अवार्ड जीतेगी ‘पहल’… हालांकि हम शत – प्रतिशत यह दावा नहीं कर सकते कि आधुनिक शहरीजन इस फिल्म को पसंद करेंगे ही करेंगे। लेकिन अगर वे दूर देहात, जंगल, पहाड़, नदियां, तालाब देखने के शौकीन हैं अथवा थोडे – बहुत प्रकृति प्रेमी हैं तो न चाहते हुए भी शहरीजन भी इस फिल्म को देखने के लिये मजबूर हो जायेंगे।
सभी कलाकारों के अभिनय की अगर बात करें तो सारे ही कलाकारों ने कमाल का काम किया है। भले ही वे बड़े कलाकार नहीं हैं, लेकिन उनके अभिनय को देखकर फिल्म जगत के अच्छे – अच्छे दिग्गज भी सराहना करते नजर आयेंगे।
कुलमिलाकर संजय आर. निषाद के निर्देशन में बनी यह फिल्म कमाल की है। ढेरों बधाईयों के पात्र निर्माता रामसूरत बिंद जी हैं क्योंकि इस तरह की फिल्म के निर्माण का इन्होंने वीणा (जोखिम) उठाया जो अश्लीलता से कोसों दूर है। हमें मानना पड़ेगा कि कुछ फिल्में अपने विषय से अपने विषयवस्तु से ढेर सारे बड़े सितारों से लदी-भरी फिल्मों से कहीं अच्छी होती हैं और यह फिल्म (पहल) भी वैसी ही एक फिल्म है। प्रस्तुति – मुकेश कुमार ऋषि वर्मा