क्रेडिट रोल-सरश्री तेजपारखी ‘तेजज्ञान फाउंडेशन’
व्यक्तिगत जीवन हो या सामाजिक, ऑफिस हो या घर, स्वयं के साथ हो या दूसरों के साथ, सभी जगहों पर दिखनेवाली एक कॉमन समस्या है, ‘मिस कम्युनिकेशन’ यानी गलत तरीके से संवाद करना।
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि कम्युनिकेशन का क्या मतलब है? बातचीत के दौरान एक इंसान सामनेवाले को जो संदेश देना चाहता है, वह उसे मिल जाए और उससे अपेक्षित परिणाम प्राप्त हो तो वह सही कम्युनिकेशन है। जीवन के सभी क्षेत्रों में आज सही संप्रेषण (संवाद) न करने की समस्या दिखाई देती है। साधारणतः बातचीत के दौरान लोग बताना कुछ और चाहते हैं और सुननेवाला कुछ अलग ही समझता है। इसलिए कम्युनिकेशन का पहला एवं महत्वपूर्ण पहलू है- ‘पूरा और सही सुनना, न समझ में आए तो फिर से पूछना।’
पहला पायदान- कम्युनिकेशन का पहला पायदान है, ‘सुनना’। विचारों की भीड़ में खोया हुआ इंसान सही तरह से सुन नहीं पाता। साथ ही किसी से कम्युनिकेशन करते वक्त इंसान उसकी छवि अपने मन में बनाता है और उसके अनुसार सुनता है। इसलिए वह पूरा नहीं बल्कि अपने विचारों के अनुसार जितना उसे आवश्यक लगता है, उतना ही सुनता है। सही कम्युनिकेशन न होने का यह पहला कारण है।
अपना कम्युनिकेशन सुधारने के लिए सामनेवाले की बातें वर्तमान में रहते हुए पूरी सुनें और उसमें अपने विचारों की मिलावट न करें। सही और उत्तम कम्युनिकेशन के लिए केवल बोलने की नहीं बल्कि दिल से सुनने की कला विकसित करें। वरना आधा सुनकर लोग अकसर कह देते हैं, ‘मैं समझ गया’ मगर वे नहीं समझे होते हैं। ऐसे वक्त हमें सामनेवाले से पूछ लेना चाहिए कि उसने क्या समझा। इसे कहा गया है सही और पूर्ण कम्युनिकेशन।
दूसरा पायदान- कम्युनिकेशन पूरा होने का दूसरा पायदान है, उसे एक बार फिर से जाँचना। जैसे किसी इंसान ने आपको कहा कि ‘तुम्हें यह काम नौ बजे तक पूरा करना है।’ तब उस इंसान से फिर एक बार निश्चित करें कि ‘क्या वाकई तुम्हें 9 बजे तक यह काम पूरा करके चाहिए?’ इस सवाल के साथ-साथ उस काम से संबंधित बाकी डिटेल्स भी पूछ लें। जैसे काम सुबह के 9 बजे तक पूरा होना चाहिए या रात के? काम पूरा होने के बाद उसकी सॉफ्ट कॉपी उसे किस तरह देनी है? मेल के साथ काम पूरा करना है या पेन ड्राइव जैसे किसी और माध्यम से? अगर उसकी हार्ड कॉपी अर्थात प्रिंट चाहिए तो वह कहाँ और कैसे देनी है? उस फाइल पर नाम, तारीख जैसे कौन से डिटेल्स लिखने हैं? उसे लेने के लिए कौन और कितने बजे आनेवाला है? आदि सवालों के जवाब से आपको उस काम के प्रति स्पष्टता मिलेगी। जिससे आप सही ढंग से और समय पर उसे पूरा कर पाएँगे।
उत्तम संप्रेषण की कला सीखने के लिए स्वयं से जरूर पूछेंः
मुझे लोगों की बातें सुनने में ज्यादा दिलचस्पी होती है या अपनी बातें बताने में?
क्या मैं लोगों की बातें सुनते वक्त जैसी हैं वैसी सुन पाता हूँ या सिर्फ वही हिस्सा सुनता हूँ जो मुझे अच्छा लगता है?
‘उत्तम कम्युनिकेशन’ की कला सीखने के लिए आपको निरंतर प्रॅक्टिस करनी होगी। जिसके लिए आप हर रात सोने से पहले इस तरह मनन कर सकते हैः
आज दिनभर मेरी किन-किन लोगों से बात हुई?
उनके साथ बात करते समय मुझसे कौन-कौन सी गलतियाँ हुईं?
मैंने कौन से गलत शब्दों का उपयोग किया?
ऐसे कौन से शब्द थे, जिनकी जगह पर मैं अन्य सकारात्मक शब्दों का इस्तेमाल कर सकता था?
बात करते वक्त मेरी बॉडी लैंग्वेज कैसी थी?
इस तरह के मनन से आपके कम्युनिकशेन स्किल में निरंतरता से विकास होगा। क्या बोलें, क्या न बोलें, कहाँ बोलें और कहाँ मौन रहें, इन बातों का निरंतरता से अभ्यास करें।
प्रस्तुति – अनीता गौड़